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कोवैक्सीन, कोविशील्ड के क्लीनिकल ट्रायल के लिए कुछ सहायता दी : केंद्र ने न्यायालय से कहा

By भाषा | Updated: May 10, 2021 21:04 IST

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नयी दिल्ली, 10 मई केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि कोविड-19 के टीकों - कोवैक्सीन और कोविशील्ड के अनुसंधान या विकास के लिए कोई भी सरकारी सहायता या अनुदान नहीं दिया गया लेकिन इनके क्लीनिकल ट्रायल के लिए कुछ वित्तीय सहायता दी गई थी।

केंद्र ने रविवार रात शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा है कि कोवैक्सीन को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) के बीच सार्वजनिक निजी भागीदारी के तहत विकसित किया गया है।

केंद्र ने कहा, ‘‘आईसीएमआर ने कोवैक्सीन के विकास के लिए बीबीआईएल को कोई धनराशि मुहैया नहीं करायी। हालांकि, आईसीएमआर-एनआईवी, पुणे द्वारा कोवैक्सीन के विकास के लिए विभिन्न गतिविधियों में धन खर्च किया गया है। इसके अलावा कोवैक्सीन के चरण 3 क्लीनिकल ट्रायल को आईसीएमआर द्वारा वित्त पोषित किया गया। क्लीनिकल ट्रायल 22 स्थलों पर 25,800 प्रतिभागियों पर किया गया।’’ हलफनामे में कहा गया है कि इसमें आईसीएमआर का कुल अनुमानित खर्च 35 करोड़ रुपये था।

केंद्र ने कहा कि भारत में 1,600 प्रतिभागियों पर कोविशील्ड के अध्ययन को आईसीएमआर द्वारा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) की साझेदारी में समर्थन दिया गया।

केंद्र ने कहा, ‘‘एसआईआई को कोई धनराशि प्रदान नहीं की गई। निधि 14 क्लीनिकल ट्रायल स्थलों को अंतरित की गई थी। आईसीएमआर ने आईसीएमआर-राष्ट्रीय एड्स अनुसंधान संस्थान (एनएआरआई), पुणे में कोविशील्ड से संबंधित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया संबंधी प्रयोगशाला अध्ययन का भी समर्थन किया।’’

इसमें कहा गया है कि इस पर आईसीएमआर का कुल अनुमानित खर्च 11 करोड़ रुपये था।

केंद्र ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि कोवैक्सीन या कोविशील्ड के अनुसंधान या विकास के लिए कोई भी सरकारी सहायता या अनुदान नहीं दिया गया है। हालांकि, क्नीकल ट्रायल करने के लिए कुछ वित्तीय सहायता दी गई थी।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा कोविड​​-19 महामारी के दौरान आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं का वितरण सुनिश्चित करने के लिए स्वत: संज्ञान लेकर मामले पर सुनवायी की जा रही है।

शीर्ष अदालत द्वारा 30 अप्रैल के पारित आदेश के अनुपालन में दायर अपने हलफनामे में केंद्र ने बीबीआईएल और एसआईआई को टीके के उत्पादन के लिए किये गए अग्रिम भुगतान का विवरण दिया है, जो उसने उन्हें मई, जून और जुलाई के लिए टीके की खुराक के लिए किया है।

केंद्र ने कहा, ‘‘भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एसआईआईपीएल) को कोवैक्सीन और कोविशील्ड के उत्पादन के लिए अग्रिम भुगतान (सहायता या निवेश नहीं) के तौर पर वित्तीय सहायता दी गई। इसके तहत 1,732.50 करोड़ रुपये मई, जून और जुलाई के महीनों के लिए कोविशील्ड टीक की 11 करोड़ खुराक के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को जारी की गई थी और इसी तरह, मई, जून और जुलाई के महीनों के लिए कोवैक्सीन की पांच करोड़ खुराक के लिए भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड (बीबीआईएल) को 787.50 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान जारी किया गया था।’’

हलफनामे में कहा गया है कि भारत सरकार का वर्तमान खरीद मूल्य कोविड-19 टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह द्वारा (एनईजीवीएसी) द्वारा बातचीत के आधार पर तय कीमत पर आधारित है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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