कोलकाता पुलिस ने फर्जी टीकाकरण अभियान मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया
By भाषा | Updated: June 25, 2021 22:18 IST2021-06-25T22:18:01+5:302021-06-25T22:18:01+5:30

कोलकाता पुलिस ने फर्जी टीकाकरण अभियान मामले में जांच के लिए एसआईटी का गठन किया
कोलकाता, 25 जून कोलकाता पुलिस ने यहां खुद को कथित तौर पर एक आईएएस अधिकारी बताकर एक व्यक्ति द्वारा फर्जी टीकाकरण अभियान चलाने के मामले की जांच के लिए शुक्रवार को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया।
पुलिस द्वारा उसके अभियान का भंडाफोड़ करने के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में देबांजन देब (28) को गिरफ्तार कर लिया गया था। देब ने कई शिविर लगाए थे, जहां शायद 2000 लोगों को टीका दिया गया।
कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने मामले की जांच के लिए खुफिया विभाग के अधिकारियों के साथ एसआईटी का गठन किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि आरोपी ने कई लोगों को यह बताकर ठगा है कि वह कई विकास परियोजनाओं का प्रभारी है।’’
इससे पहले दिन में कोलकाता के पुलिस आयुक्त सोमेन मित्रा ने कहा कि आईएएस अधिकारी होने का दावा कर रहे एक व्यक्ति द्वारा फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविर का आयोजन करना एक "विकृत मानसिकता" का कार्य है। मित्रा ने संवाददाताओं से कहा, "देबांजन ने जो किया, वह बेहद अमानवीय था। ऐसा कार्य कोई विकृत मानसिकता वाला व्यक्ति ही कर सकता है।"
पुलिस ने बुधवार को देबांजन को गिरफ्तार कर लिया, जिसने आईएएस अधिकारी होने का दावा करते हुए कस्बा क्षेत्र में एक कोविड-19 टीकाकरण शिविर का आयोजन किया था। इस शिविर में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती ने भी टीके की खुराक ली थी। चक्रवर्ती को टीकाकरण की प्रक्रिया पर उस समय शक हुआ जब उन्हें एसएमएस नहीं आया, जो आम तौर पर टीके की खुराक लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मोबाइल फोन पर आता है। इसके बाद चक्रवर्ती ने इसकी शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने टीकाकरण शिविर से एंटीबायोटिक टीके एमीकेसिन की कई शीशियां बरामद कीं।
पुलिस देबांजन के राजनीतिक संबंधों की भी जांच कर रही है। संभवत: उसने अपने राजनीतिक संपर्कों की मदद से ही टीकाकरण शिविर का आयोजन किया। देबांजन खुद को कोलकाता महानगर पालिका में संयुक्त आयुक्त के पद पर कार्यरत बताया करता था। वह अपनी कार पर राज्य सरकार के प्रतीक चिह्न का भी इस्तेमाल करता था। उसने कोलकाता महानगर पालिका के कई अधिकारियों के नाम पर कई फर्जी खाते भी खोले हुए थे।
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