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लोकसभा में पारित हुआ 'बांध सुरक्षा विधेयक', जानिए इसके बारे में सबकुछ

By भाषा | Updated: August 2, 2019 20:42 IST

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ठळक मुद्देबांध सुरक्षा विधेयक 2019 में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा कमिटी की स्थापना की बात कही गई है।विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि कोई असुरक्षित बांध मानव जीवन, पारिस्थितकी और सार्वजनिक एवं निजी परिसम्पत्तियों के लिए संकट का कारण बन सकता है।

लोकसभा ने शुक्रवार को बांध सुरक्षा विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें बांधों की सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रोटोकाल एवं व्यवस्था बनाने का प्रावधान किया गया है । निचले सदन में चर्चा का जवाब देते हुए जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कुछ विपक्षी दलों के उन आरोपों को खारिज किया कि केंद्र को जल से जुड़े विषय पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है।

उन्होंने कहा कि संसद को देश के लोगों की सुरक्षा के विषय पर कानून बनाने का अधिकार है । शेखावत ने इन आरोपों को भी निर्मल बताया कि केंद्र जल जैसे राज्य सूची के विषय में राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्यों के साथ चर्चा की गई है और इस बारे में 2013 में मसौदा राज्यों को भेजा गया था और राज्यों के विचार लिये गए थे । इसय बारे में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा पर बैठक में भी राज्यों ने अपने विचार रखे थे और लगभग सभी राज्यों ने इसके उपबंधों का समर्थन किया था । उन्होंने कहा, ‘‘हमारा इरादा न तो बांधों का नियंत्रण करना, न तो प्रबंधन हाथ में लेना, न ही जल में हिस्सेदारी करना, न बिजली हिस्सेदारी में हस्तक्षेप करना है । इस विधेयक का मकसद बांध सुरक्षा है ।’’

जल शक्ति मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार देश में सुरक्षा का एक माहौल बनाना चाहती है और बांध सुरक्षा विधेयक इसी दिशा में एक पहल है । मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी । इससे पहले मंत्री ने कहा कि बांधों की सुरक्षा को गंभीरता से लेना होगा क्योंकि अगर रखरखाव की कमी के कारण कहीं बांध टूटता है तो यह ‘‘राष्ट्रीय शर्म’ का विषय होता है। उन्होंने कहा कि राज्यों की ओर से बांधों की सुरक्षा को लेकर जिस स्तर पर कदम उठाए जाने चाहिए थे, वह नहीं हुआ।

बांधों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रोटोकॉल की जरूरत है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए यह विधेयक लाया गया है। मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में ‘राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति’ और ‘राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण’ का गठन करने का प्रस्ताव है। ये दोनों अपने अपने अधिकार क्षेत्र में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि विधेयक का एक और मकसद बांधों की सुरक्षा को लेकर आपात कार्ययोजना तैयार करना भी है।

शेखावत ने विधेयक को पेश किए जाते समय कई विपक्षी सदस्यों की ओर से प्रकट की गई चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का मकसद राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बांधों पर कोई स्वामित्व नहीं चाहती। बांधों पर राज्यों का अधिकार बना रहेगा। हम सिर्फ बांधों की सुरक्षा चाहते हैं और इसी पवित्र भावना से यह विधेयक लाया गया है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि कोई असुरक्षित बांध मानव जीवन, पारिस्थितकी और सार्वजनिक एवं निजी परिसम्पत्तियों के लिए संकट का कारण बन सकता है। इसलिए बांधों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाना राष्ट्रीय उत्तरदायित्व बन जाता है ।

बांध सुरक्षा विधेयक 2019 में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा कमिटी की स्थापना की बात कही गई है । यह समिति बांध सुरक्षा संबंधी नीति विकसित करेगी और ऐसे विनियमों की सिफारिश करेगी जो उस प्रयोजन के लिये उपेक्षित हो । बांधों की समुचित निगरानी, निरीक्षण के लिए नीति, मार्गदर्शन सिद्धांत और मानकों के क्रियान्वयन और दो राज्यों के राज्य बांध सुरक्षा संगठनों के बीच या किस राज्य के राज्य बांध सुरक्षा संगठन और उस राज्य में से बांध स्वामी के बीच किसी मुद्दे का समाधान करने के लिए एक विनियामक निकाय के रूप में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकार की स्थापना की बात कही गई है । इसमें राज्य बांध सुरक्षा संगठन की स्थापना की भी बात कही गई है । 

टॅग्स :संसद बजट सत्रभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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