किसान काला दिवस: पंजाब, हरियाणा में लोगों ने घरों और वाहनों पर लगाए काले झंडे

By भाषा | Updated: May 26, 2021 18:53 IST2021-05-26T18:53:08+5:302021-05-26T18:53:08+5:30

Kisan Black Day: People put up black flags on homes and vehicles in Punjab, Haryana | किसान काला दिवस: पंजाब, हरियाणा में लोगों ने घरों और वाहनों पर लगाए काले झंडे

किसान काला दिवस: पंजाब, हरियाणा में लोगों ने घरों और वाहनों पर लगाए काले झंडे

(दूसरे पैरे संशोधन के साथ)

चंडीगढ़, 26 मई केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर अपने आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर कृषक संगठनों द्वारा बुधवार को आहूत ‘काला दिवस’ पर पंजाब और हरियाणा में किसानों ने अपने घरों पर काले झंडे लगाए, केंद्र सरकार के पुतले फूंके और प्रदर्शन किया।

पंजाब में कई स्थनों पर प्रदर्शनकारी किसानों ने भाजपा नीत सरकार के पुतले फूंके।

मुक्तसर जिले के बादल गांव में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने भी अपने घर पर काला झंडा लगाया और केन्द्र सरकार से प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग स्वीकार करने की अपील की।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रमुख गुरनाम सिंह चडूनी ने बताया कि हरियाणा में कई स्थानों पर किसानों ने अपने घरों और वाहनों पर काले झंडे लगाए।

कांग्रेस, शिअद और आम आदमी पार्टी सहित कई राजनीतिक दलों ने किसानों के ‘काला दिवस’ मनाने के आह्वान का समर्थन किया।

संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की थी कि किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर 26 मई को वे ‘काला दिवस’ मनायेंगे।

दोनों राज्यों में किसानों ने काले झंडे हाथ में लिए और केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मार्च भी निकाला। महिलाएं भी काली चुन्नी लगाकर प्रदर्शन में आयीं।

पंजाब में अमृतसर, मुक्तसर, मोगा, तरनतारन, संगरूर और बठिंडा समेत कई स्थानों पर प्रदर्शनकारी किसानों ने भाजपा नीत सरकार के पुतले भी फूंके। कई जगहों पर खासकर युवा किसानों ने ट्रैक्टरों, कारों, दो पहिया वाहनों पर काला झंडा लगा रखा था।

दो विधायकों-- कुलतार सिंह संधवान और मीत हायरे समेत आम आदमी पार्टी के नेताओं ने प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में यहां पंजाब राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने भाजपा सरकार के खिलाफ नारे लगाये और कानून निरस्त करने की मांग की। उनके हाथों मे काले झंडे थे। बाद में पुलिस ने उन्हें वहां से हटा दिया।

बिक्रम सिंह मजीठिया के नेतृत्व में शिअद नेताओं ने यहां पार्टी कार्यालय पर काला झंडा लगाया।

हरियाणा में भी कई स्थानों पर ऐसा ही नजारा देखने को मिला। अंबाला, हिसार, सिरसा, करनाल, रोहतक, जींद, भिवानी, सोनीपत और झज्जर में किसानों ने प्रदर्शन किया। सिरसा में बरनाला रोड पर काले झंडे लेकर बहुत सारे किसान पहुंच गये। जींद में किसानों ने केंद्र और हरियाणा की भाजपा नीत सरकारों के खिलाफ प्रदर्शन किया।

अंबाला में चडूनी ने कहा, ‘‘ केंद्र यदि हमारी मांगों पर सहमत हो जाता है तो किसान आज प्रदर्शन खत्म करने के लिए तैयार है। साथ ही हम अपना आंदोलन तब तक जारी रखने के लिए तैयार हैं जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती हैं।’’

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और केंद्र को कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेना चाहिए।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि किसान ठंड और गर्मी में पिछले छह महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन केंद्र उनकी मांगों पर अड़ियल रवैया अपनाये हुए है।

किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने केन्द्र सरकार पर कानून वापस ना लेने को लेकर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ दिल्ली की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को शुरू हुए अब छह महीने हो चुके हैं।’’

पंढेर ने कहा कि जब तक कानून निरस्त नहीं किये जाते तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

किसान संगठन ने मजदूर, युवा बेरोजगार, व्यापारी, दुकानदारों सहित सभी तबकों से अपने घरों, दुकानों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर काले झंडे लगाने की अपील की थी।

सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट किया, ‘‘ किसानों के प्रदर्शन के आज छह महीने पूरे होने पर, मैं केन्द्र से किसानों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने और कानून वापस लेने की अपील करता हूं। मेरे बादल आवास पर आज काला झंडा लगाया गया है और अकाली दल के अन्य नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने भी ऐसा ही किया है। किसानों के लिए काला दिवस।’’

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी एक बार फिर मंगलवार को केन्द्र से किसानों के साथ बातचीत शुरू करने की अपील की थी।

गौरतलब है कि दिल्ली के टीकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर तथा गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवम्बर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दिए जाने की है। हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसान हितैषी हैं।

सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। दोनों के बीच आखिरी वार्ता 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी को किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के बाद से दोनों पक्षों के बीच पूरी तरह बातचीत बंद है।

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Web Title: Kisan Black Day: People put up black flags on homes and vehicles in Punjab, Haryana

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