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खोरी गांव : न्यायालय ने पुनर्वास के तहत फ्लैट की कीमत को लेकर शिकायत को खारिज किया

By भाषा | Updated: November 15, 2021 22:19 IST

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नयी दिल्ली, 15 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने फरीदाबाद नगर निगम की पुनर्वास योजना के तहत खोरी गांव के पात्र आवेदकों को आवंटित किए जाने वाले ईडब्ल्यूएस फ्लैट की लागत के संबंध में शिकायत को सोमवार को खारिज कर दिया।

न्यायालय के आदेश के बाद अरावली वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अनधिकृत ढांचे को पूर्व में ध्वस्त कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के प्रत्येक फ्लैट की कीमत 3,77,500 रुपये तय की गई है और पात्र आवेदक के पास 2.5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ मासिक किस्त पर 20 साल के भीतर राशि का भुगतान करने का विकल्प है। आवेदक को प्रत्येक फ्लैट के आवंटन के लिए 10,000 रुपये की जमा राशि भी देनी होगी।

योजना के तहत पात्रता मानदंड को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों के संबंध में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि आवेदक अपनी पहचान स्थापित करने को लेकर केंद्रीय योजना में संदर्भित दस्तावेजों को प्रस्तुत कर सकते हैं जिसका आगे प्राधिकार द्वारा सत्यापन किया जाएगा।

याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत को बताया था कि निगम की योजना के तहत केवल मतदाता सूची, बिजली कनेक्शन और ‘‘परिवार पहचान पत्र’’ सूचीबद्ध दस्तावेज थे, जबकि केंद्रीय योजना में आधार कार्ड सहित कई अन्य दस्तावेज भी हैं।

फ्लैट की कीमत के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि नगर निगम के वकील ने जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं उसके अनुसार प्रत्येक फ्लैट के लिए आनुपातिक भूमि लागत 6,15,470 रुपये और जमीन की कीमत सहित प्रत्येक फ्लैट की लागत 10,76,900 निर्धारित की गई है।

पीठ ने कुछ अन्य मुद्दों पर भी विचार किया, जिसमें पानी, सीवरेज और बिजली के लिए भुगतान किए जाने वाले शुल्क और याचिकाकर्ताओं द्वारा भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में आवंटन रद्द करने से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।

शीर्ष अदालत ने आठ अक्टूबर को कहा था कि पुनर्वास योजना के तहत पात्र आवेदकों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट का अस्थायी आवंटन करने के लिए आधार कार्ड नगर निगम द्वारा विचार योग्य दस्तावेजों में से एक होगा।

शीर्ष अदालत ने सात जून को हरियाणा और फरीदाबाद नगर निगम को खोरी गांव के पास अरावली वन क्षेत्र में ‘‘सभी अतिक्रमणों’’ को हटाने का निर्देश दिया था, जिसमें लगभग 10,000 आवासीय ढांचे शामिल थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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