केरल उच्च न्यायालय ने सिल्वर लाइन परियोजना को लेकर याचिका पर जवाब मांगा
By भाषा | Updated: November 30, 2021 17:01 IST2021-11-30T17:01:51+5:302021-11-30T17:01:51+5:30

केरल उच्च न्यायालय ने सिल्वर लाइन परियोजना को लेकर याचिका पर जवाब मांगा
कोच्चि, 30 नवंबर केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस याचिका पर राज्य सरकार और ‘के-रेल’ से जवाब मांगा, जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर सिल्वर लाइन के लिए केंद्र या उपयुक्त प्राधिकारों की मंजूरी के बिना भूमि अधिग्रहण कर रहा है।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और केरल रेल विकास निगम लिमिटेड (के-रेल) को नोटिस जारी कर याचिका पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। याचिका में जनवरी में अदालत को दिए गए आश्वासन का उल्लंघन करने के लिए अवमानना कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है कि केंद्र, रेलवे बोर्ड और अन्य वैधानिक प्राधिकरों से सहमति प्राप्त करने के बाद ही परियोजना आगे बढ़ाई जाएगी।
याचिकाकर्ता एम टी थॉमस ने अपनी अवमानना याचिका में दावा किया है कि ‘के-रेल’ ने अदालत को दिए गए वचन की ‘पूरी तरह अवहेलना’ करते हुए पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अध्ययन के लिए एक निविदा आमंत्रित की है, जिसे जनवरी 2023 तक पूरा किया जाना है।
अधिवक्ता के मोहनकन्नन के माध्यम से दायर याचिका में यह भी दावा किया गया है कि राज्य सरकार ने केंद्र या रेलवे बोर्ड से अपेक्षित मंजूरी प्राप्त होने से पहले ही परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने का फैसला कर लिया। याचिका में कहा गया है कि कोट्टायम जिले के मुलकुलम ग्राम पंचायत में याचिकाकर्ता की जमीन का भी अधिग्रहण किए जाने का प्रस्ताव है।
केरल सरकार की महत्वाकांक्षी सिल्वर लाइन परियोजना पूरी होने से तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक यात्रा में लगभग चार घंटे कम समय लगेंगे। कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्षी गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) इस परियोजना का विरोध कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि यह ‘‘अवैज्ञानिक और अव्यावहारिक’’ परियोजना है और इससे राज्य पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक 532 किलोमीटर के खंड को ‘के-रेल’ विकसित करेगी। ‘के-रेल’ केरल में रेलवे बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केरल सरकार और रेल मंत्रालय का एक संयुक्त उपक्रम है।
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