कोच्चि, 12 जनवरी केरल उच्च न्यायालय ने प्रदेश की एलडीएफ सरकार को झटका देते हुए राज्य सरकार की आवासीय परियोजना “लाइफ मिशन” में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच को चुनौती देने वाली उसकी याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
इस परियोजना का उद्देश्य बेघरों को घर मुहैया करना था।
अदालत ने कहा, “मौजूदा मामले में हाई प्रोफाइल बौद्धिक धोखाधड़ी का खुलासा होगा जिसे सीएजी के ऑडिट से बचने के लिये सहमति-पत्र के जरिये बढ़ाया गया ताकि घूस और अनुचित लाभ हासिल किये जा सकें।”
सीबीआई ने कांग्रेस विधायक अनिल अक्कारा की शिकायत पर यहां एफआईआर दर्ज की थी और यूनिटेक बिल्डर के प्रबंध निदेशक संतोष एप्पन को मुख्य आरोपी तथा सेन वेंचर्स को दूसरा आरोपी बनाया था।
लाइफ मिशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और एप्पन ने उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिकाएं दायर कर कहा था कि प्राथमिकी, “अवैध, मनमानी और कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है, ऐसे में खारिज किये जाने योग्य है।”
अदालत हालांकि उनकी दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई।
लाइफ मिशन परियोजना विदेशी योगदान नियमों के कथित उल्लंघन से जुड़ी है। इस परियोजना के तहत हाल में आई विनाशकारी बाढ़ में बेघर हुए लोगों के लिये आवास और एक स्वास्थ्य केंद्र बनाया जाना है।
अदालत ने कहा कि लाइफ मिशन और यूएई के रेड क्रिसेंट के बीच सहमति पत्र के जरिये एक करोड़ दिरहम की वित्तीय सहायता घरों व स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के लिये उपलब्ध कराई जानी थी लेकिन लेकिन रकम उपलब्ध कराने वाले और पाने वाले के बीच इसके बाद कोई करार नहीं किया गया।
अदालत ने कहा, “एमओयू के बाद की गई इस गड़बड़ी की प्रकृति इसमें बेहद शिक्षित पेशेवरों – मास्टरमाइंड के शामिल होने का संकेत देती है।”
सहमति-पत्र (एमओयू) के मुताबिक यूएई रेड क्रिसेंट एक करोड़ दिरहम उपलब्ध कराने पर सहमत हुआ था जिसमें से 70 लाख का उपयोग घरों के निर्माण और तीस लाख दिरहम का इस्तेमाल स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिये किया जाना था।
अदालत को इसके बाद तिरुवनंतपुरम में यूएई के महावाणिज्य दूत और यूनिटेक बिल्डर्स एंड डेवलपर्स तथा संतोष एप्पन की अध्यक्षता वाली सेन वेंचर्स एलएलपी के बीच हुए दो समझौतों में गड़बड़ी मिली।
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