केरल सरकार मुल्लापेरियार निगरानी समिति में राज्य के हितों की रक्षा करने में नाकाम रही: कांग्रेस

By भाषा | Updated: December 16, 2021 15:16 IST2021-12-16T15:16:30+5:302021-12-16T15:16:30+5:30

Kerala government failed to protect state's interests in Mullaperiyar monitoring committee: Congress | केरल सरकार मुल्लापेरियार निगरानी समिति में राज्य के हितों की रक्षा करने में नाकाम रही: कांग्रेस

केरल सरकार मुल्लापेरियार निगरानी समिति में राज्य के हितों की रक्षा करने में नाकाम रही: कांग्रेस

तिरुवनंतपुरम, 16 दिसंबर मुल्लापेरियार बांध से पानी छोड़े जाने अथवा जल स्तर के प्रबंधन के संबंध में केरल और तमिलनाडु को पहले निगरानी समिति के पास जाने के उच्चतम न्यायालय के निर्देश के एक दिन बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को राज्य की एलडीएफ सरकार की आलोचना की और कहा कि सरकार समिति के समक्ष राज्य के हितों की रक्षा करने में नाकाम रही है।

विपक्षी दल ने आरोप लगाया कि बांध के मुद्दे पर वाम सरकार केरल की जनता के साथ लगातार ‘‘धोखाधड़ी’’ कर रही है। इसके साथ ही पार्टी ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ने की भी मांग की।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने कहा कि सरकार को उन परिस्थितियों की जांच करनी चाहिए जिनमें न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य का ‘‘मखौल’’ उड़ाया था। राज्य द्वारा दायर याचिका में तमिलनाडु को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि तड़के बांध से भारी मात्रा में पानी नहीं छोड़ा जाए।

उन्होंने संवाददाताओं से यहां कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह निगरानी समिति के समक्ष मुद्दे को उठाए बिना उनके पास क्यों आए हैं। सरकार समिति के समक्ष केरल के हित की रक्षा में नाकाम रही है।’’

सतीसन ने कहा कि मुख्यमंत्री को मुल्लापेरियार सहित अन्य मुद्दों पर अब चुप्पी तोड़नी चाहिए।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा था कि केरल और तमिलनाडु सरकारों के लिए ‘‘बाहरी राजनीतिक मजबूरी’’ भले हो सकती है, लेकिन दोनों राज्यों को 126- साल पुराने मुल्लापेरियार बांध से संबंधित मामले में न्यायालय में सामान्य वादियों की तरह ‘व्यवहार’ करना चाहिए।

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ ने कहा कि अदालत में कोई भी शिकायत करने से पहले पक्षकारों को केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर 1895 में बने बांध से पानी छोड़ने या जल-स्तर के प्रबंधन के लिए कोई भी कदम उठाने से पहले निगरानी समिति से संपर्क करना चाहिए।

शीर्ष अदालत केरल सरकार के एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बांध से तड़के भारी मात्रा में पानी नहीं छोड़ने का तमिलनाडु को निर्देश देने का यह कहते हुए अनुरोध किया था कि इससे बांध के निचले हिस्से में रहने वाले लोगों को भारी नुकसान होता है।

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