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डॉक्टरों ने किया कारनामा, 40 वर्षीय महिला की सांस नली में 25 साल से अटकी सीटी निकाली, जानें मामला

By भाषा | Updated: February 19, 2021 20:27 IST

केरल के कन्नूर का मामला है। मत्तानूर की रहने वाली महिला को एक निजी क्लीनिक के चिकित्सक ने सरकारी चिकित्सकीय कॉलेज रेफर किया था।

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ठळक मुद्देमहिला लंबे समय से खांसी की समस्या से परेशान थी।दल ने महिला की जांच की और उसने महिला की श्वसन प्रणाली में एक वस्तु अटकी पाई।चिकित्सकों ने बताया कि महिला की ब्रोंकोस्कोपी की गई और उसकी श्वसन प्रणाली से एक सीटी निकाली।

कन्नूरः कन्नूर के सरकारी चिकित्सकीय कॉलेज के चिकित्सकों ने 40 वर्षीय महिला की श्वसन प्रणाली से पिछले करीब 25 साल से अटकी एक छोटी सीटी निकाली।

महिला जब किशोरी थी, तब उसने गलती से सीटी निगल ली थी और करीब दो दशक से अधिक समय से वह लगातार खांसी की समस्या से जूझ रही थी। चिकित्सकों ने बताया कि कन्नूर जिले के मत्तानूर की रहने वाली महिला को एक निजी क्लीनिक के चिकित्सक ने सरकारी चिकित्सकीय कॉलेज रेफर किया था। चिकित्सक को महिला की श्वसन प्रणाली में किसी बाहरी वस्तु की मौजूदगी की आशंका थी।

महिला लंबे समय से खांसी की समस्या से परेशान थी। उसे खासकर सर्दी के मौसम में यह समस्या बढ़ जाती थी, जिसके कारण वह चिकित्सक के पास गई थी। चिकित्सकीय कॉलेज के अधीक्षक डॉ. सुदीप ने बताया कि डॉ़ राजीव राम और डॉ. पद्मनाभन के नेतृत्व में चिकित्सकीय कॉलेज में चिकित्सकों के एक दल ने महिला की जांच की और उसने महिला की श्वसन प्रणाली में एक वस्तु अटकी पाई।

चिकित्सकों ने बताया कि महिला की ब्रोंकोस्कोपी की गई और उसकी श्वसन प्रणाली से एक सीटी निकाली, जो महिला ने अपने मित्रों के साथ खेलते समय 25 साल पहले निगल ली थी। उन्होंने बताया कि महिला को लगा था कि उसे अस्थमा के कारण सांस लेने में समस्या हो रही है, लेकिन जब सीटी निकाली गई, तब महिला को वह घटना याद आई।

उन्होंने बताया कि महिला को अब सांस की समस्याओं और खांसी की दिक्कत से राहत मिल गई है। महिला ने चिकित्सकों को बताया कि उसने सीटी को बाहर निकालने के लिए खूब पानी पिया था, लेकिन उसे यह अंदाजा नहीं था कि वह उसकी श्वसन प्रणाली में अटक गई है।

डॉक्टरों ने लड़की की गर्दन से 3.5 किलोग्राम की रसौली निकाली

 बेंगलुरु में डॉक्टरों ने 15 साल की एक लड़की की गर्दन से 3.5 किलोग्राम की रसौली सफलतापूर्वक निकाली। यह रसौली सुरभि बेन के गर्दन से लेकर छाती तक फैली हुई थी और पिछले एक दशक से ज्यादा समय से वह उससे परेशान थी। डॉक्टरों ने इसकी पहचान ‘फाइब्रोमेटोसिस’ के रूप में की है।

‘एस्टर सीएमआई अस्पताल’ में 21 डॉक्टरों की एक टीम ने फुटबॉल के आकार की रसौली हटाई। मंगलवार को अस्पताल ने एक बयान में बताया कि वह अपना जीवन अब सामान्य तौर पर जी सकती हैं। सुरभि बेन का जन्म गुजरात के अमरेली जिले में खेतिहर मजदूर परिवार में हुआ था। वह जब बच्ची ही थी तभी उनके माता-पिता ने उनके चेहरे के आसपास गांठ देखी थी।

बाद में यह उसके पूरे गर्दन तक पसर गई। सुरभि के परिवार ने कई डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों ने उन्हें बड़े शहरों के डॉक्टरों से ऑपरेशन के लिए संपर्क करने को कहा था। परिवार की आर्थिक स्थिति की वजह से इलाज का खर्चा उठा पाना संभव नहीं था और ऐसे में परिवार को बस किसी चमत्कार की उम्मीद ही रह गई थी।

सुरभि ने बताया कि वह रसौली की वजह से कहीं जाने की स्थिति में नहीं थी। गर्दन में बेहद दर्द की वजह से पिछले साल उसे स्कूल भी छोड़ना पड़ा। ‘न्यूजलायन्स’ ने क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म ‘मिलाप’ के साथ मिलकर क्राउडफंडिग (ऑनलाइन दान जुटाना) के जरिए 70 लाख रुपये से ज्यादा की राशि जमा की और सुरभि का इलाज शुरू हो सका।

टॅग्स :केरलडॉक्टर
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