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कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ने से कश्मीरी पंडितों को 1990 का दोहराव होने की आशंका

By भाषा | Updated: October 8, 2021 20:00 IST

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(सुमीर कौल)

श्रीनगर/अनंतनाग, आठ अक्टूबर अल्पसंख्यकों की लगातार लक्षित हत्याएं किये जाने से कश्मीर घाटी के दहल उठने के बीच कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी नौकरी कर रहे समुदाय के कुछ लोगों ने अपनी जान को खतरा होने को लेकर यहां से जम्मू जाना शुरू कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रशासन एक सुरक्षित माहौल उपलब्ध करा पाने में अक्षम है।

इन लोगों को 2010-11 में एक पुनर्वास पैकेज के तहत सरकारी नौकरी दी गई थी।

सूत्रों ने बताया कि इस बीच, प्रशासन ने अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को 10 दिनों की छुट्टी दी है।

उल्लेखनीय है कि बृहस्पतिवार को शहर में एक सरकारी स्कूल के अंदर एक प्रधानाध्यापिका और एक शिक्षक की करीब से गोली मार कर हत्य कर दी गई। इसके साथ ही, पांच दिनों में कश्मीर घाटी में सात नागरिकों की हत्या हो चुकी है। इन सात लोगों में चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।

इन लक्षित हत्याओं के चलते कश्मीर पंडित समुदाय के सदस्यों को आतंकी समूहों द्वारा उन्हें भी निशाना बनाये जाने का डर सता रहा है।

कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के अध्यक्ष संजय टिकू ने कहा, ‘‘करीब 500 या इससे अधिक लोगों ने बडगाम, अनंतनाग और पुलवामा जैसे इलाकों को छोड़ कर जाना शुरू कर दिया है। कुछ गैर कश्मीरी पंडित परिवार भी चले गये हैं। यह 1990 का दोहराव है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने जून में उप राज्यपाल कार्यालय से मिलने का अनुरोध किया था लेकिन अब तक वक्त नहीं दिया गया।’’

उन्होंने कहा कि इस तरह के घटनाक्रमों पर आजकल सोशल मीडिया के चलते ज्यादा गौर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात से अवगत हैं कि कौन-कौन लोग छोड़ कर चले गये।

केपीएसएस ने कहा यह अब बिल्कुल स्पष्ट है कि कश्मीरी प्रवासियों को रोजगार मुहैया करने के विश्वास बहाली उपाय को अल्पसंख्यक विरोधी ताकतें स्वीकार नहीं कर रही हैं। समिति ने प्रशासन की आलोचना की।

दक्षिण कश्मीर के काजीगुंड इलाके में वेसु प्रवासी शिविर शुक्रवार सुबह प्रशासनिक कार्रवाई का केंद्रबिंदु बन गया, जब अनंतनाग उपायुक्त पीयूष सिंगला ने पुलिस अधिकारियों के साथ परिवारों से ट्रांजिट शिविर छोड़ कर नहीं जाने का आग्रह किया। वहां करीब 380 परिवार रहते हैं।

वेसु शिविर पैकेज कर्मचारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सन्नी रैना ने कहा, ‘‘उन्होंने हमें पूर्ण सुरक्षा का आवश्वासन दिया और हमसे जम्मू नहीं जाने का अनुरोध किया।’’

संगठन में करीब 4,284 कर्मचारी हैं। इसने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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