जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व भाकपा नेता कन्हैया कुमार ने ट्वीट कर आरएसएस पर हमला बोला है. उन्होंने आरएसएस को धर्म का धंधा करने वाला बताया है. बता दें कि बुधवार को सुपौल में कन्हैया कुमार के काफिले पर अज्ञात लोगों ने हमला दिया था. कन्हैया ने ट्वीट कर कहा है कि ''हिंदू होने और संघी होने में क्या फर्क है? हिंदुओं के लिए धर्म आस्था है और संघियों के लिए धंधा.''
वहीं, सुपौल के युवक दिवाकर कुमार ने कन्हैया पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके साथ कन्हैया कुमार ने मारपीट की. उनके मारने के बाद उनके समर्थकों ने भी हमें लात-घूंसों से मारा. उन्होंने यह भी कहा कि हम भीड देखकर कन्हैया को देखने गए कि वे लोग हमें मारने-पीटने लगे.
दिवाकर कुमार का वीडियो भी वायरल हो रहा है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि कन्हैया कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. पीड़ित युवक ने कन्हैया पर मोबाइल छीनने का आरोप लगाया है. पीड़ित ने सदर थाने पहुंचकर कन्हैया कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.
उल्लेखनीय है कि कन्हैया कुमार के काफिले पर कुछ लोगों ने पत्थरों से हमला कर दिया था. इस हमले में गाड़ी के ड्राइवर का सिर फट गया था, जबकि कन्हैया कुमार भी घायल हो गए हैं. दोनों को निकट के अस्पताल में प्राथमिक इलाज कराया गया है.
हमले के के बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि ''हमले में हमारे एक ड्राइवर साथी को गंभीर चोट आई है और कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं. बाकी हम सभी साथी सुरक्षित हैं.'' साथ ही उन्होंने कहा था कि 'हम भारत के लोग' इनके ईंट-पत्थरों का जवाब 'आजाद देश में आजादी' के बुलंद नारों से देंगे.'' आज वह सहरसा और मधेपुरा में सभा कर रहे हैं. गुरुवार को सभा करने के पूर्व ही सुबह में ट्वीट कर उन्होंने विवादित ट्वीट किया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ जन-मन यात्रा के तहत संघर्ष मोर्चा द्वारा आयोजित सभा में शामिल होने आ रहे कन्हैया कुमार को सुपौल में जबर्दस्त विरोध का सामना करना पड़ा. जैसे ही कन्हैया का काफिला मल्लिक चौक पर पहुंचा, सैकड़ों की संख्या में उपस्थित युवाओं ने कन्हैया के विरोध में जमकर नारेबाजी की.
वहीं, कहा गया है कि हमले की इस घटना में कन्हैया भी जख्मी हुए हैं. कन्हैया के दौरों पर उनके साथ रह रहे कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने हमले के लिए "पुलिस और प्रशासन की लापरवाही" को जिम्मेदार ठहराया है. शकील अहमद खान ने कहा है कि यह एक छोटा सा शहर है. जिस स्थान पर हमला हुआ, वह जिलाधिकारी के निवास से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर है. वहां जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी एवं कर्मी तैनात थे, इसके बावजूद उपद्रवियों ने पत्थर फेंके, नारे लगाए और अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे.' यहां बता दें कि इससे पहले बुधवार को भी झंझारपुर में कन्हैया के काफिले को काला झंडा दिखाया गया था. झंझारपुर के बाद कन्हैया कुमार सुपौल पहुंचे थे. दरअसल, कन्हैया कुमार संशोधित नागरिकता कानून, राष्ट्रीय नागरिक पंजी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के विरोध में राज्यव्यापी यात्रा पर हैं. इसके तहत एक फरवरी को वह सारण जिले के दौरे पर थे तो यहां भी उनके काफिले पर हमला हुआ था. पथराव में उनके काफिले की दो गाडियां क्षतिग्रस्त हुईं थी.