अपनी न्यायप्रियता को लेकर मुसलमानों के भी प्यारे थे कल्याण सिंह

By भाषा | Published: August 22, 2021 06:57 PM2021-08-22T18:57:19+5:302021-08-22T18:57:19+5:30

Kalyan Singh was also dear to Muslims for his justice. | अपनी न्यायप्रियता को लेकर मुसलमानों के भी प्यारे थे कल्याण सिंह

अपनी न्यायप्रियता को लेकर मुसलमानों के भी प्यारे थे कल्याण सिंह

हिंदुत्व के ‘पैरोकार' के तौर पर मशहूर हुए राम मंदिर आंदोलन के झंडाबरदार कल्याण सिंह अपने मानवीय गुणों और न्यायप्रियता के कारण अलीगढ़ स्थित अपने पुश्तैनी गांव के मुसलमानों की भी आंखों के तारे थे। लोगों के बीच 'बाबूजी' के नाम से मशहूर कल्याण सिंह का शनिवार को लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। उनके पार्थिव शरीर को रविवार शाम अलीगढ़ स्थित उनके पैतृक गांव मढौली लाया गया। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर का नरौरा स्थित राजघाट पर सोमवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। कल्याण सिंह की पहचान प्रखर हिंदूवादी नेता के रूप में होती थी लेकिन अपनी इंसानियत और न्यायप्रियता की वजह से वह अपने गांव के मुसलमानों के बीच भी खासे लोकप्रिय थे। अतरौली के पास पिंडरावल के रहने वाले एक प्रतिष्ठित परिवार के सदस्य हैदर अली ने कल्याण सिंह के मानवीय मूल्यों और मुसलमानों का ख्याल रखने की उनकी भावना का विस्तार से जिक्र किया। असद ने वर्ष 1991 में अयोध्या विवाद को लेकर देश में व्याप्त सांप्रदायिक तनाव के बीच घटी एक घटना के बारे में बताया ‘‘बाबूजी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के फौरन बाद अपने गांव आए थे। जब वह गांव आए तो उन्होंने कुछ डरे-सहमे मुस्लिम परिवारों को देखा जो अपना घर बार छोड़कर दूसरे स्थान पर जा रहे थे। बाबू जी ने फौरन उन्हें रोका और कहा कि उन्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं है और वह गांव छोड़कर कतई न जाएं।’’ असद के मुताबिक कल्याण सिंह ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों को बुलाया और कहा कि अगर किसी भी मुस्लिम परिवार का बाल भी बांका हुआ तो संबंधित पुलिस अफसर जवाबदेह होंगे। असद ने बताया कि कल्याण सिंह से जुड़ा ऐसा मामला कोई अकेला नहीं है। ‘‘अलीगढ़ शहर के सिविल लाइंस स्थित उनके बंगले के आसपास बड़ी संख्या में मुस्लिम परिवार रहते थे और बाबूजी के उन सभी परिवारों से बहुत स्नेह भरे संबंध थे।’’ छर्री के नवाब के प्रपौत्र और बड़े कारोबारी जावेद ने भी कुछ ऐसी ही यादें साझा करते हुए बताया कि वर्ष 1991 में बुलंदशहर में उनके परिवार की एक संपत्ति को कुछ स्थानीय अधिकारियों ने अवैध रूप से जब्त कर लिया था। जब वह अपने पिता के साथ इसकी शिकायत लेकर कल्याण सिंह के पास गए तो उन्होंने फौरन जांच के आदेश दिए और यह भरोसा दिलाया कि उनके साथ कोई नाइंसाफी नहीं होगी। जावेद ने कहा कि वह इस बात को कभी नहीं भूल सकते कि उनके साथ कितनी मुस्तैदी से इंसाफ किया गया।

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Web Title: Kalyan Singh was also dear to Muslims for his justice.

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