देश की राजधानी नई दिल्ली से सटे सीमाओं पर हजारों किसान केंद्र की मोदी सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। किसान आंदोलन का आज यानी 3 जनवरी को 37वां दिन है। अपने घरों को छोड़कर दूर-दूर से आए किसान अपनी मांग को लेकर अड़े हैं और उनकी मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। उनकी मांगो के अलावा उनकी मुसीबत है कड़कड़ाती ठंड। किसानों की मुसीबत तब और बढ़ गई जब रविवार की सुबह भारी बारिश हुई।
भारी बारिश और सर्दी के बावजूद किसानों के हौसले बुलंद हैं और इस उम्मीद में हैं कि सरकार उनकी मांगे जरूर मानेंगे। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक गाजीपुर (दिल्ली-यूपी बॉर्डर) में चल रहे धरना प्रदर्शन के दौरान किसानों ने कहा कि "हम ऐसे खराब मौसम में अपने परिवार से दूर सड़कों पर बैठे हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार कल (4 जनवरी) हमारी मांगों को स्वीकार करेगी।"
4 शर्तों में से 2 शर्तों पर 4 जनवरी को होगी बैठक
आपको बता दें कि किसान की मांगों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दफे की बैठक हो चुकी है। 4 जनवरी को एक बार फिर किसान के उन दो शर्तों पर सरकार और किसान संगठन के बीच बैठक होने वाली है जिसका हल पिछली बैठक में नहीं हो पाया था। जी हां, इससे पहले बुधवार यानी 30 दिसंबर को किसान संगठनों और सरकार के बीच बिजली की कीमतें और पराली जलाने पर जुर्माने को लेकर बातचीत हुई। कहा जा रहा है कि दोनों पक्षों में इस मुद्दे को लेकर कुछ सहमति भी बनी है। लेकिन तीन नए कृषि कानून को वापस लेने और MSP को कानूनी दर्जा देने के लिए अब तक बात नहीं बनी है।
गणतंत्र दिवस पर किसान निकालेंगे ट्रैक्टर मार्ट
वहीं, सरकार के साथ सोमवार, 4 जनवरी को सातवें दौर की वार्ता से पहले अपने रुख को और सख्त करते हुए प्रदर्शनकारी किसानों ने शनिवार को कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा होगा, तब दिल्ली की ओर ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी। कृषि कानूनों के खिलाफ शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन 38वें दिन भी जारी रहा। 26 जनवरी को ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन राष्ट्रीय राजधानी में होंगे। वे गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर होने वाली परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे।
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि उनकी प्रस्तावित परेड ' किसान परेड' के नाम से होगी और यह गणतंत्र दिवस परेड के बाद शुरू होगी। संगठनों ने शुक्रवार को भी संकेत दिए थे कि गतिरोध दूर करने के लिए होने वाली बैठक असफल होती है तो उन्हें ठोस कदम उठाना होगा। गत बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के बाद सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच प्रस्तावित बिजली विधेयक एवं पराली जलाने पर जुर्माना के मुद्दे पर कथित तौर पर सहमति बनी थी, लेकिन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर गतिरोध बना हुआ है।
50% मांगों को स्वीकार करने का दावा सरासर झूठ :
यादव स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार का किसानों की 50 प्रतिशत मांगों को स्वीकार करने का दावा 'सरासर झूठ' है। उन्होंने कहा, ''हमें अब तक लिखित में कुछ नहीं मिला है।'' प्रदर्शन के दौरान अब तक 50 किसान शहीद किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ''पिछली बैठक में हमने सरकार से सवाल किया कि क्या वह 23 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करेगी। उन्होंने कहा, ''नहीं। फिर आप देश की जनता को क्यों गलत जानकारी दे रहे हैं। अबतक हमारे प्रदर्शन के दौरान करीब 50 किसान 'शहीद' हुए हैं।''
दिल्ली में बारिश ने किसानों की बढ़ाई मुश्किलें दिल्ली-एनसीआर में शनिवार की सुबह भी हल्की बारिश हुई, जिससे किसानों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई टेंट में पानी भरने के कारण किसानों को वहां से हटना पड़ा। दिल्ली में 37 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के चलते सिंघु, औचंदी, पियाऊ मनियारी, सबोली, मंगेश, चिल्ला, गाजीपुर, टीकरी और धांसा बॉर्डर बंद हैं।
तीन नये कानून पर क्यों बवाल?
1. किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020:
सरकार का कहना है कि किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे। निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे।
2. किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक:
इस कानून का उद्देश्य अनुबंध खेती यानी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत देना है। आप की जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति या ठेकेदार किराये पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा।किसान इस कानून का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि फसल की कीमत तय करने व विवाद की स्थिति का बड़ी कंपनियां लाभ उठाने का प्रयास करेंगी और छोटे किसानों के साथ समझौता नहीं करेंगी।
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक: ये कानून अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को विनियमित करता है। यानी इस तरह के खाद्य पदार्थ आवश्यक वस्तु की सूची से बाहर करने का प्रावधान है। इसके बाद युद्ध व प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थितियों को छोड़कर भंडारण की कोई सीमा नहीं रह जाएगी।