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न्यायमूर्ति मिधा ने विदाई समारोह में कोविड से जान गंवाने वाले न्यायाधीशों, वकीलों को श्रद्धांजलि दी

By भाषा | Updated: July 7, 2021 20:04 IST

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नयी दिल्ली, सात जुलाई दिल्ली उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति जेआर मिधा ने अपने विदाई समारोह में बुधवार को कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले न्यायाधीशों, न्यायिक अधिकारियों और वकीलों को श्रद्धांजलि दी। वह उच्च न्यायालय में 13 साल तक न्यायाधीश रहे।

न्यायमूर्ति मिधा ने कहा, “कोविड ने हमारे कई पूर्व सहयोगियों, वकील, न्यायाधीशों, जिला अदालत के न्यायाधीशों और उच्च न्यायालय के कर्मचारियों को छीन लिया है। मैं सभी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”

उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति मिधा के सेवानिवत्त होने के अवसर पर उनके सम्मान में डिजिटल माध्यस से आयोजित विदाई समारोह आयोजित किया। इस समारोह में न्यायमूर्ति मिधा ने देश में बड़ी संख्या में सड़क हादसों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके आगे कोविड के आंकड़े भी कम पड़ जाएंगे।

न्यायमूर्ति मिधा उच्च न्यायालय के छठे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश थे। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने आवारा कुत्तों के अधिकारों को मान्यता देना, वैवाहिक मामलों में रखरखाव के निर्धारण के लिए दिशा-निर्देश, मोटर दुर्घटना के दावों के निपटान के लिए विशेष योजना और दीवानी मुकदमों में फरमानों के निष्पादन के लिए दिशा-निर्देश सहित कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए।

दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल ने कहा कि न्यायमूर्ति मिधा को बहुत याद किया जाएगा। उन्होंने कहा, “ न्यायमूर्ति मिधा आध्यात्मिक व्यक्ति हैं जिन्होंने साबित किया कि विश्वास ही सफलता की आत्मा है।”

न्यायमूर्ति मिधा ने कहा कि उन्होंने "पूर्ण संतुष्टि" के साथ पीठ में अपने न्यायिक करियर का समापन किया। मिधा ने यह भी कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय देश के अन्य उच्च न्यायालयों में सर्वश्रेष्ठ है।

उन्होंने कहा, “कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बावजूद, मैंने इस मुकाम तक पहुंचने के बारे में कभी नहीं सोचा था और न ही सपना देखा था। मैं कहूंगा कि हमारी न्यायिक प्रणाली बहुत मजबूत है और इसके मूल सिद्धांतों के कारण, बिना किसी कानूनी पृष्ठभूमि या गुरू के वकीलों को इस पद पर पदोन्नत किया जा सकता है।”

न्यायमूर्ति मिधा ने बताया किया कि उनका "सबसे पसंदीदा फैसला" उच्चतम न्यायालय द्वारा सहारा के मामले में दिया गया फैसला था जिसमें शीर्ष अदालत ने व्यवस्था दी है एक बेईमान वादी को अदालत द्वारा हिरासत में लिया जा सकता है।

न्यायमूर्ति मिधा 11 अप्रैल, 2008 को दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुये थे और छह जुलाई, 2011 को उन्हें न्यायालय में स्थाई न्यायाधीश बनाया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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