न्यायमूर्ति अशोक भूषण के फैसले उनके कल्याणकारी और मानवतावादी रुख का सबूत है : सीजेआई

By भाषा | Updated: June 30, 2021 16:04 IST2021-06-30T16:04:19+5:302021-06-30T16:04:19+5:30

Justice Ashok Bhushan's verdict is proof of his welfare and humanitarian stand: CJI | न्यायमूर्ति अशोक भूषण के फैसले उनके कल्याणकारी और मानवतावादी रुख का सबूत है : सीजेआई

न्यायमूर्ति अशोक भूषण के फैसले उनके कल्याणकारी और मानवतावादी रुख का सबूत है : सीजेआई

नयी दिल्ली, 30 जून भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमण ने बुधवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश अशोक भूषण हमेशा ‘‘अनमोल सहकर्मी’ रहे और उनके फैसले ‘‘ उनके कल्याणकारी और मानवतावादी’’ रुख का सबूत है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण चार जुलाई को उच्चतम न्यायालय से अवकाश प्राप्त कर रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने न्यायमूर्ति भूषण के विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वह उन्हें न्यायपालिका में योगदान और न्यायपालिका में उच्च मूल्य स्थापित करने के लिए याद करेंगे।

उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति भूषण को 13 मई 2016 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया था और वह कई अहम फैसलों के हिस्सा थे जिनमें नवंबर 2019 को पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर दिया गया फैसला शामिल है जिसके जरिये विवादित भूमि पर भव्य राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ।

न्यायमूर्ति भूषण आधार योजना पर गठित पांच न्यायाधीशों के संविधान पीठ के सदस्य थे जिसने सितंबर 2018 में दिए फैसले में आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया लेकिन बैंक खाता, स्कूल प्रवेश और फोन से आधार नंबर जोड़ने के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया। वह उस पांच सदस्यीय संविधान पीठ के भी सदस्य थे जिसने पिछले महीने मंडल आयोग पर सुनाए 29 साल पुराने फैसले को बड़ी पीठ को सौंपने की याचिका को खारिज कर दिया था। इस आदेश में ही न्यायालय ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय की है।

विदाई समारोह में प्रधान न्यायाधीश रमण ने कहा कि न्यायमूर्ति भूषण की ‘‘वास्तव में उल्लेखनीय’यात्रा रही और उन्होंने करीब दो दशक संवैधानिक अदालतों में अपनी सेवाएं दी।

उन्होंने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति भूषण हमेशा अनमोल सहकर्मी रहे। उन पीठ और समितियों में उनकी मौजूदी जिसका मैं सदस्य था था बहुत विश्वास दिलाने वाली होती थी। क्योंकि सबसे पहले वह महान इनसान हैं। उनका यह गुण कर्तव्य को निर्वहन करते वक्त प्रतिबिंबित होता था।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘उनके फैसले उनके कल्याणकारी और मानवतावादी रुख को सत्यापित करता है।उनकी समाज के हर वर्ग के प्रति चिंता उनके विचारों और लेखों में प्रतिबिंबित होती है।’’

न्यायमूर्ति भूषण ने इस मौके पर कहा कि उच्चतम न्यायालय का हिस्सा होना ‘‘ गर्व की बात’ है। उन्होंने कहा,‘‘बार और पीठ दो पहिए के हिस्से हैं और बार और पीठ के रिश्ते समुद्र और बादल की तरह है।’’

उन्होंने कहा कि बार हमेशा लोकतंत्र और कानून के राज के लिए खड़ा होता है। न्यायमूर्ति भूषण ने सीजेआई और अन्य सहकर्मियों को धन्यवाद दिया और पीठ, बार के सदस्यों, रजिस्ट्री के साथ-साथ अपने निजी कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने भी न्यायमूर्ति भूषण को विदाई दी।

न्यायमूर्ति भूषण ने बुधवार को उस पीठ की अध्यक्षता की जिसने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को कोविड-19 से मरने वालों के परिजनों को न्यूनतम मानक वित्तीय मदद देने के लिए नए सिरे से दिशा निर्देश जारी करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति भूषण ने 1979 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उसी साल छह अप्रैल को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में वकील के तौर पर पंजीकरण कराया। 24 अप्रैल 2001 को वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश बने। 10 जुलाई 2014 को केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। उन्होंने मार्च 2015 में केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली थी।

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Web Title: Justice Ashok Bhushan's verdict is proof of his welfare and humanitarian stand: CJI

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