Jupiter-Saturn great Conjunction: खगोलीय घटना के तौर पर आज (21 दिसंबर) का दिन बेहद खास होने जा रहा है। दुनिया आज एक शानदार खगोलीय नजारा देखेगी जो अमूमन को कोई भी शख्स अपने जीवनकाल में एक ही बार देख पाता है। दरअसल, बृहस्पति और शनि ग्रह पिछले करीब 400 सालों में आज एक-दूसरे के सबसे करीब होंगे।
इसे 'क्रिसमस स्टार' भी कहा जा रहा है। दुनिया भर के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की नजर इस खगोलीय घटना पर टिकी है। बृहस्पति और शनि इससे पहले 1623 में एक दूसरे के इतने करीब आए थे और अनुमान है कि अब 60 साल बाद ही 2080 में ऐसा नजारा दोबारा देखने को मिल सकेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार आज बृहस्पति और शनि एक-दूसरे से केवल करीब 0.1 डिग्री की दूरी पर होंगे।
Jupiter-Saturn Conjunction: भारत में कब दिखेगा, हर डिटेल
- अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अनुसार बृहस्पति और शनि के पास आने की इस अद्भुत खगोलीय घटना का समय इस बार कुछ ऐसा है कि दुनिया भर के लोग इसे देख सकेंगे।
- अगर कोई इसे खगोलीय घटना को टेलिस्कोप से देखता है तो उसे बृहस्पति के चक्कर काट रहे उसके चार चांद भी दिखेंगे।
- इस मिलन को सूरज डूबने के बाद दक्षिणपश्चिम आसमान में देखा जा सकता है।
- भारत की अगर बात करें तो इसे शाम 6.30 से 7.30 के बीच देखा जा सकता है।
- दिल्ली के नेहरू तारामंडल (https://nehruplanetarium.org/) में भी रजिस्ट्रेशन जारी है। इसके जरिए आप इस खूबसूरत नजारे को देख सकेंगे। कोरोना महामारी को देखते हुए हालांकि तमाम गाइडलाइंस का पालन किया जाएगा।
- बेंगलुरू के नेहरू तारामंडल ने भी कहा है कि इस अद्भुत खगोलीय घटना की लाइव स्ट्रिमिंग यूट्यूब और फेसबुक पर की जाएगी। अगर मौसम ठीक रहा तो आप इस नजारे को इस लिंक पर जाकर देख सकते हैं।
Jupiter-Saturn Conjunction को क्यों कहा जा रहा है क्रिसमस स्टार
अंतरिक्ष में दो ग्रहों या स्पेस ऑब्जेक्ट्स के इस तरह बेहद पास गुजरने की घटना को Conjunction कहा जाता है। इस बार ये घटना क्रिसमस से ठीक चार दिन पहले हो रही है। इसलिए इसे क्रिसमस स्टार या बेथलेहम का तारा कहा जा रहा है।
दरअसल, दोनों ग्रह इतने करीब होंगे कि धरती से खुले आंखों से देखने पर ये एक बड़े तारे की तरह नजर आएंगे। मान्यता है कि जब यीशु का जन्म हुआ था तो भी पूरब की ओर आकाश में ऐसा ही बड़ा तारा दिखा था।
वैसे ये भी बता दें कि बृहस्पति और शनि ग्रह करीब हर 20 साल के बाद हमेशा एक सीधी रेखा में आते हैं लेकिन इस बार का संयोग अपने आप में दुर्लभ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये दूरी काफी कम है और इंसान भी इन्हें धरती से देख सकेंगे।