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भाजपा के साथ संबंध होने के आरोपों पर न्यायाधीश ने सुनवाई से हटने संबंधी याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा

By भाषा | Updated: June 24, 2021 19:04 IST

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कोलकाता, 24 जून कलकाता उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उस याचिका पर बृहस्पतिवार को आदेश सुरक्षित रख लिया जिसमें उन्होंने कहा है कि भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ उनकी चुनाव याचिका की सुनवाई के लिए नियुक्त न्यायाधीश मामले से खुद को अलग कर लें क्योंकि वह भाजपा के “सक्रिय सदस्य” रह चुके हैं।

बनर्जी 18 जून को दिए गए निर्देश के मुताबिक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की अदालत के समक्ष पेश हुईं।

बनर्जी की तरफ से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि याचिकाकर्ता को आशंका है कि न्यायाधीश पक्षपात कर सकते हैं क्योंकि वह पहले भाजपा के ‘‘सक्रिय सदस्य’’ थे। वकील एस एन मुखर्जी ने भी टीएमसी सुप्रीमो की तरफ से बहस की।

न्यायमूर्ति चंदा ने मामले को सुना और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति चंदा के खिलाफ ही मामले से अलग होने संबंधी याचिका दायर की गई है। उन्होंने फैसला सुनाने की तारीख का जिक्र नहीं किया।

बनर्जी ने उच्च न्यायालय में दायर याचिका में यह दावा किया कि उन्हें संदेह है कि उन्हें न्यायाधीश के भाजपा से कथित संबंध होने के कारण उन्हें न्याय नहीं मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने दावा किया कि न्यायमूर्ति चंदा 2015 में अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल नियुक्त होने तक भाजपा के सक्रिय सदस्य थे और चूंकि भाजपा उम्मीदवार के चुनाव को चुनौती दी गई है इसलिए उन्हें आशंका है कि इसमें पक्षपात किया जाए।

शेक्सपियर को उद्धृत करते हुए सिंघवी ने कहा, ‘‘इस सम्मानीय अदालत के आदरणीय न्यायाधीश को सीजर की पत्नी की तरह संदेह से ऊपर होना चाहिए।’’

न्यायमूर्ति चंदा ने कहा कि वह कभी भी भाजपा के कानूनी प्रकोष्ठ के संयोजक नहीं रहे, जैसा दावा किया गया है लेकिन उन्होंने कलकता उच्च न्यायालय के समक्ष कई बार पार्टी का प्रतिनिधित्व किया है।

उन्होंने कहा कि वह 2014 में भाजपा के लिए एक मामले में पेश हुए थे जिसमें विक्टोरिया हाउस के सामने अमित शाह की तरफ से आयोजित रैली को अनुमति देने की मांग की गई थी।

न्यायाधीश ने आश्चर्य जताया कि क्या मामले से हटने से इसका मीडिया ट्रायल शुरू नहीं हो जाएगा।

न्यायमूर्ति चंदा ने पूछा कि 18 जून को चुनाव याचिका पर पहली सुनवाई के दौरान आपत्ति क्यों नहीं उठाई गई और तब 16 जून को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष स्थानांतरण आवेदन का जिक्र नहीं किया गया।

उनके वकील ने इससे पहले उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को पत्र लिखकर बनर्जी की चुनाव याचिका किसी अन्य न्यायाधीश के पास सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था।

बनर्जी ने मामले से न्यायाधीश को हटाने संबंधी याचिका में दावा किया है कि उन्हें इस बात की जानकारी दी गई है कि न्यायमूर्ति चंदा भाजपा के “सक्रिय सदस्य” रहे हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि मामला एक निर्वाचन याचिका पर निर्णय लेने से संबंधित है जहां भाजपा प्रत्याशी के निर्वाचन को चुनौती दी गई है, इसलिए इसके राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, उन्होंने आग्रह किया कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, जोकि रोस्टर के मास्टर हैं, वह मामला अन्य पीठ को सौंप दें।

बनर्जी ने अपने पूर्व सहयोगी से बदलकर उनके चुनावी प्रतिद्वंद्वी बने अधिकारी पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 की धारा 123 का उल्लंघन करते हुए भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया है। उन्होंने मतगणना में गड़बड़ियों का भी आरोप लगाया है।

निर्वाचन आयोग द्वारा दो मई को घोषित परिणामों के मुताबिक, अधिकारी ने बनर्जी को 1956 मतों से हराया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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