जेएनयू हिंसा: शिक्षक, छात्रों ने कहा, जांच में कोई प्रगति नहीं हुई

By भाषा | Updated: August 5, 2021 00:22 IST2021-08-05T00:22:28+5:302021-08-05T00:22:28+5:30

JNU violence: Teachers, students say no progress in investigation | जेएनयू हिंसा: शिक्षक, छात्रों ने कहा, जांच में कोई प्रगति नहीं हुई

जेएनयू हिंसा: शिक्षक, छात्रों ने कहा, जांच में कोई प्रगति नहीं हुई

नयी दिल्ली, चार अगस्त जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शिक्षकों और छात्रों ने बुधवार को दावा किया कि पिछले साल जनवरी में विश्वविद्यालय परिसर में हुई हिंसा की जांच के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने कोई प्रगति नहीं की है।

हालांकि दिल्ली पुलिस ने कहा कि जांच अभी जारी है।

यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा लोकसभा को सूचित किया गया था कि दिल्ली पुलिस ने जेएनयू में हुई हिंसा के सिलसिले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया है, हालांकि कई लोगों से पूछताछ की गयी है।

पिछले साल पांच जनवरी को, नकाबपोश लोगों की एक भीड़ ने परिसर में धावा बोला था और तीन छात्रावासों में छात्रों को निशाना बनाया था। इन नकाबपोश व्यक्तियों ने लाठी, पत्थर और लोहे की छड़ों के साथ हमला किया था और खिड़कियां, फर्नीचर तथा निजी सामान तोड़ दिया था।

घटना के बाद जहां जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार को हटाने की मांग की गई थी, वहीं दिल्ली पुलिस पर तब कार्रवाई नहीं करने के लिए निशाना साधा गया जब भीड़ परिसर में हमला कर रही थी।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (जेएनयूटीए) सचिव मौसमी बसु ने कहा, ‘‘यह बहुत स्पष्ट था कि एसआईटी के गठन के बाद कुछ भी नहीं होने वाला। अगर हम कुलपति से पूछते हैं कि क्या हुआ, तो उनका कहना होता है कि दिल्ली पुलिस ने एक एसआईटी का गठन किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘व्हाट्सऐप समूह आसानी से पहचाने जा सकते थे लेकिन कुछ भी नहीं किया गया। उनके सदस्य जेएनयू में संकाय सदस्य बन गए हैं। सभी की मिलीभगत है। यह एक स्वरूप है जो नजीब के गायब होने के समय से ही हो रहा है।’’

जेएनयू का बायोटेक्नोलॉजी का छात्र नजीब अहमद 15 अक्टूबर 2016 की रात विश्वविद्यालय से लापता हो गया था।

बसु ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जो संवाददाता सम्मेलन किया जिसमें उसने कुछ छात्रों के नामों की घोषणा की, वह "बहुत अजीब" था।

उन्होंने कहा, ‘‘जो अन्य नाम सामने आए, उनका क्या हुआ? यह उस दिन परिसर में जो हुआ, वह दर्दनाक है। यह अच्छा है कि इस मुद्दे को संसद में उठाया गया लेकिन जवाब निराशाजनक था।’’

जेएनयू छात्र संघ उपाध्यक्ष साकेत मून ने पुलिस पर एसआईटी गठित करके मामले को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने घटना से पहले और घटना के बाद भी पुलिस को फोन किया और उस समय कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। जो कुछ भी सामने आया, यह उसका विस्तार है। यह पहले से ही सार्वजनिक है कि इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस ने एसआईटी गठित करने के बाद मामले को दबाने की कोशिश की। ऐसी तस्वीरें और सबूत हैं जो एबीवीपी सदस्यों की संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं। यह इस मामले में प्रशासन की मिलीभगत का संकेत देता है।’’

जेएनयूएसयू महासचिव सतीश चंद्र यादव ने कहा, ‘‘आरोपियों के वीडियो पुलिस के साथ साझा किए गए थे और उनकी पहचान कर ली गई थी। यह निराशाजनक है कि एक विचारधारा के लोगों को निशाना बनाया गया जबकि दूसरी विचारधारा वाले लोगों को बचाया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘शुल्क वृद्धि आंदोलन उस समय अपने 100 दिनों के करीब था जब परिसर में हिंसा हुई थी और हमला हमारे आंदोलन को दबाने का एक तरीका था। अन्य जगहों पर भी यही हो रहा है जहां सच्चाई को दबाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, जेएनयू के छात्रों को अब भी उम्मीद है कि एक दिन उन्हें न्याय मिलेगा।’’

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने द्रमुक सदस्य दयानिधि मारन के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि दिल्ली पुलिस ने बताया है कि जनवरी, 2020 में जेएनयू परिसर में हुई हिंसा के संबंध में वसंत कुंज (उत्तर) थाने में दर्ज तीन मामलों की जांच के लिए अपराध शाखा का विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जांच में गवाहों से पूछताछ, फुटेज एकत्रित करना और उनका विश्लेषण करना तथा चिह्नित संदिग्धों से पूछताछ शामिल है। दिल्ली पुलिस के अनुसार इन मामलों में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

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Web Title: JNU violence: Teachers, students say no progress in investigation

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