JNU प्रशासन ने मोदी सरकार को दी कैंपस बंद करने की सलाह, सरकार ने सलाह को ठुकराया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 8, 2020 11:51 IST2020-01-08T11:50:37+5:302020-01-08T11:51:13+5:30
यूनिवर्सिटी रिपोर्ट यह बताने में विफल रहती है कि बाहरी लोग मास्क पहनकर परिसर में कैसे दाखिल हुए। इसके बजाय, यह कहता है कि विश्वविद्यालय ने पुलिस को बुलाया क्योंकि सेमेस्टर पंजीकरण प्रक्रिया का विरोध करने वाले छात्रों को "आक्रामक" मिला, जो खुद को पंजीकृत करने के लिए आए थे।

JNU प्रशासन ने मोदी सरकार को दी कैंपस बंद करने की सलाह, सरकार सलाह को ठुकराया
जेएनयू प्रशासन ने रविवार की हिंसा के बाद परिसर को अस्थायी रूप से बंद करने का सुझाव केंद्र की मोदी सरकार को दी, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस फैसले को मानने से इंकार कर दिया है। दरअसल, जेएनयू में हुई हिंसा के बाद मानव संसाधन मंत्रालय ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को बैठक के लिए आमंत्रित किया था। इसी बैठक में प्रशासन की तरफ से सरकार को यह सुझाव दिया गया था।
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के माध्यम से सोमवार को मंत्रालय और JNU प्रशासन के बीच हुई बैठक की ये सभी बातें उभर कर सामने आई है। हालांकि, कुलपति एम जगदीश कुमार बैठक में नहीं पहुंचे थे।
मंत्रालय को अपनी दो पेज की रिपोर्ट में, विश्वविद्यालय ने फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलनरत छात्रों पर दोषारोपण किया था। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि कुछ सप्ताह पहले एडमिन ब्लॉक में तोड़फोड़ की गई और कुलपति के कार्यालय में तोड़फोड़ की गई थीं। हालांकि, यह रिपोर्ट यह बताने में विफल रहती है कि बाहरी लोग मास्क पहनकर परिसर में कैसे दाखिल हुए। इसके बजाय, रिपोर्ट यह कहता है कि विश्वविद्यालय ने पुलिस को बुलाया क्योंकि सेमेस्टर पंजीकरण प्रक्रिया का विरोध करने वाले छात्रों का विरोध "आक्रामक" हो गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशासन ने तुरंत पुलिस से संपर्क किया ताकि वह जल्दी से आ सके और कैंपस में कानून व्यवस्था बनाए रख सके। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी ने मंत्रालय को बताया कि पंजीकरण के लिए आए छात्रों को पंजीकरण करने से आंदोलनकारी छात्र रोक रहे थे और इसी दौरान आंदलनकारियों ने छात्रों को पीट दिया। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने रिपोर्ट में कहा इसके बाद ही हिंसा कैंपस में फैली है।