लोकसभा चुनाव 2019 में मिली करारी शिकस्त के बाद महाराष्ट्र-झारखंड विधानसभा चुनाव नतीजों से कांग्रेस को संजीवनी मिली है। महाराष्ट्र में सिर्फ 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस ने बीजेपी को रोकने के लिए एनसीपी-शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई। वहीं झारखंड में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस ने छोटे भाई की भूमिका निभाना भी स्वीकार कर लिया।
लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस बदली बदली नजर आ रही है। 2018 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पराजित करने वाली कांग्रेस पार्टी जिन राज्यों में अपेक्षाकृत कमजोर हैं वहां क्षेत्रीय दलों पर अब पूरा दांव खेल रही है और उसे फायदा भी हो रहा है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे के बाद कांग्रेस ने सरकार बनाने की पूरी जिम्मेदारी एनसीपी प्रमुख शरद पवार को दी। कांग्रेस नेतृत्व ने लगातार कहा कि वह एनसीपी के फैसले के साथ जाएगी। वहीं झारखंड में कांग्रेस ने पहले ही हेमंत सोरेन को गठबंधन का मुख्यमंत्री घोषित करके चुनावी लड़ाई को आदिवासी बनाम गैर-आदिवासी में तब्दील किया। बीजेपी ने प्रदेश में गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री रघुवर दास को बनाया और महागठबंधन ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया।
रामेश्वर उरांव-आरपीएन सिंह की जोड़ी ने किया कमाल
1990 में बीजेपी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोकने वाले बिहार के पूर्व डीआईजी रामेश्वर उरांव को अगस्त 2019 में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया। कांग्रेस के दिग्गज नेता आरपीएन सिंह पहले से ही प्रदेश प्रभारी थे। इन दोनों की जोड़ी ने लगातार प्रत्याशियों के चयन से लेकर गठबंधन दलों की रणनीति पर ध्यान दिया। इसका परिणाम ये हुआ कि झारखंड बनने के बाद पहली बार कांग्रेस ने 16 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस को 13.88 फीसदी मत मिले जबकि पिछले चुनाव में उसे 10.46% वोट मिले थे। जेएमएम को 18.72% जबकि आरजेडी को 2.75 फीसदी वोट मिले। गठबंधन को 35.35 फीसदी मत मिले।
विधानसभा चुनाव जीत 2005 09 2009 142014 062019 16
जेएमएम पर लगाया दांव
झारखंड विधानसभा चुनाव 2014 में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने अलग अलग लड़ा था। इस बार शुरुआती चर्चा के बाद ही सोरेन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। आदिवासी सीटों पर पकड़ मजबूत बनाने के लिए संथाल परगना में 31 सीटें जेएमएम और 7 सीटों पर आरजेडी ने अपने उम्मीदवार उतारे। कांग्रेस का पूरा फोकस शहरी क्षेत्रों में रहा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने खुद लोहरदग्गा सीट से बीजेपी के सुखदेव भगत को 30 हजार मतों के अंतर से हराया।