रांचीः झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार को अस्थिर करने की रची जा रही कथित साजिश का मामला सामने आने के बाद प्रदेश कांग्रेस में अभी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस में अंदरखाने चल रहा घमासान पूरी तरह सतह पर आ गया है। फिलहाल कांग्रेस की स्थिति सांप-छछूंदर वाली हो गई है। हाल यह है कि कांग्रेस न तो इस साजिश से पूरी तरह इनकार कर पा रही है और न ही स्वीकार करने की स्थिति में है। वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भी इससे खुश है।
सूत्रों की अगर मानें तो पार्टी का एक धड़ा आरोपित विधायकों के साथ खड़ा हो गया है और उन्हें पूरी तरह पाक साफ बता रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव के खिलाफ कुछ विधायक लगातार मोर्चा खोले हुए हैं। उन पर अध्यक्ष पद छोडने का दबाव है। अलग-अलग ग्रुप में कई विधायक दिल्ली का चक्कर लगाकर केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष अपना दुखड़ा सुना चुके हैं। बताया जाता है कि जब भी कांग्रेसी विधायकों का कोई ग्रुप दिल्ली जाता है तो राज्य में हलचल शुरू हो जाती है। कांग्रेस विधायकों की दिल्ली यात्रओं को यहां राजनीतिक गलियारे में हमेशा शक की निगाह से ही देखा जाता रहा है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार में मंत्री बने कांग्रेस कोटे के चार विधायकों के अलावा अन्य सभी कांग्रेसी विधायक किसी न किसी कारण से अपनी नाखुशी जाहिर करते रहते हैं। इनमें ज्यादातर की नजर कैबिनेट में खाली एक सीट पर लगी हुई है। हालांकि झामुमो ने कुछ दिनों पहले स्पष्ट कर दिया था कि चुनाव पूर्व हुए समझौते के मुताबिक खाली मंत्री पद पर उसका हक है। कांग्रेसी बेवजह सपने न पालें।
उधर, झारखंड में गठबंधन की सरकार के पौने दो साल होने को आ रहे हैं और उनका धैर्य अब जवाब दे रहा है। जानकार बताते हैं कि कांग्रेस विधायक 20 सूत्रीय कमेटियों और निगमों-बोर्डो के अध्यक्ष पद पर भी नजर जमाए हुए हैं, लेकिन वह भी नही मिल पा रहा है। सूत्रों की मानें तो झारखंड में अगले साल होने वाले शराब के ठेके पर भी दिग्गजों की निगाहें टिकी हुई हैं। इसमें कुछ सत्ता के करीबी इसे अपने कब्जे में लेना चाहते है। कारण कि यह हजार करोड़ से ज्यादा का खेल है। वहीं कांग्रेस खेमे के भी कुछ लोगों की इस पर नजर होने की चर्चा है। ऐसे में संभव है कि पूर्व मंत्री चंद्रशेखर राव बावनकुले के सहारे सत्ता से करीबी व्यक्ति ने इसपर अपनी दावेदारी जमाना चाहता हो!
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि सरकार को अस्थिर कराने के मामले को लेकर प्राथमिकी भी कांग्रेस विधायक अनूप सिंह उर्फ कुमार जयमंगल ने दर्ज करवाई है। जबकि इसके घेरे में भी कांग्रेस के ही दो विधायक इरफान अंसारी और उमाशंकर अकेला के अलावा निर्दलीय विधायक अमित यादव आए हैं। इस मामले के लिए गठित एसआईटी की टीम को दिल्ली के होटल में सीसीटीवी फुटेज में महाराष्ट्र के जय कुमार बेलखेडे उर्फ बालकुडे व महाराष्ट्र के ही भाजपा नेता व पूर्व मंत्री चंद्रशेखर राव बावनकुले व चरण सिंह भी इन विधायकों के साथ दिखे हैं। वहीं, एक आरोपित ने पुलिस को बताया है कि सभी का यात्र टिकट जय कुमार बेलखेडे़ ने कटवाया था। इस साजिश पर से पर्दा उठने के बाद भाजपा नेता चंद्रशेखर राव बावनकुले मीडिया के समक्ष आकर इसे बेबुनियाद बता चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। हेमंत सोरेन की गठबंधन सरकार को 52 विधायकों का समर्थन हासिल है। इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 30, कांग्रेस के 16, राष्ट्रीय जनता दल का एक, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (एनसीपी) का एक और दो निर्दलीय विधायकों विनोद सिंह व सरयू राय के साथ-साथ कांग्रेस में विलय का इंतजार कर रहे बंधु तर्की व प्रदीप यादव शामिल हैं। सरकार गिराने के लिए कम से कम 12 विधायकों की जरूरत होगी। यह तभी संभव है जब कांग्रेस के एक तिहाई विधायक टूटकर नया धड़ा बना लें और भाजपा को समर्थन दे दें। सरकार गिराने की साजिश के शक में रांची पुलिस ने तीन आरोपितों अभिषेक दुबे, अमित सिंह व निवारण महतो को गिरफ्तार किया है। ऐसे में कांग्रेस इसका ठीकरा विपक्षी भाजपा पर फोड़कर उसे घेरने की नाकाम कोशिश तो कर रही है।