रांचीः झारखंड में विधायकों की खरीद-फरोख्त और सरकार को गिराने की साजिश में सरकार के खिलाफ साजिश के मामले में जांच लगातार आगे बढ़ रही है. सरकार को गिराने की साजिश में मिडिल मैन के तौर पर महाराष्ट्र के जय कुमार बेलखडे का नाम सामने आया है, जो इस पूरे प्रकरण में अहम कड़ी हैं.
सूत्रों के अनुसार इस मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी ने अपनी शुरुआती जांच रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में साजिशकर्ताओं के नाम, खरीद-फरोख्त में शामिल लोग और संपर्क में रहे एक दर्जन लोगों की संलिप्तता की बात सामने आई है. अब सभी पर कार्रवाई के लिए आगे की रणनीति बन रही है.
एसआइटी की जांच में सामने आए महाराष्ट्र के भाजपा नेता चंद्रशेखर राव बवनकुले और चरण सिंह के अलावा होटल लीलैक में ठहरने वाले जय कुमार बेलखेडे, मोहित भारतीय, आशुतोष ठक्कर, अमित कुमार यादव को नोटिस भेजकर उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा. इस खरीद-फरोख्त के मामले में पत्रकार कुंदन कृतज्ञ और संतोष कुमार के नाम भी सामने आए हैं.
इनके अलावा अन्य संदिग्धों की भूमिका भी खंगाली जा रही है. उनसे भी पूछताछ के बाद आगे की कार्रवाई होगी. मुंबई के भाजपा नेताओं को नोटिस देने के मामले पर वरीय अधिकारियों का आदेश प्राप्त हो गया है. लेकिन अभी उन्हें नोटिस नहीं भेजा गया है. झारखंड के विधायकों को लेकर अभी तक पुलिस ने कोई तैयारी नहीं की है. माना जा रहा है कि पुलिस वरीय अधिकारियों के निर्देश का इंतजार कर रही है.
सूत्र बताते हैं कि अब तक की जांच और मामले में गिरफ्तार अभिषेक दुबे और अमित सिंह के स्वीकारोक्ति बयान से पता चलता है कि बेलखडे को सब पता है. उसे झारखंड के उन विधायकों के संबंध में भी जानकारी है, जो उसके संपर्क में थे. उसके कहने पर दिल्ली गये और भाजपा के बडे़ नेताओं से मिले.
अमित सिंह ने अपने बयान में कहा है कि जुलाई के पहले हफ्ते में जय कुमार बेलखडे ने फोन कर विधायकों को तैयार करने की जवाबदेही सौंपी थी. बेलखडे के रांची आने और उससे मिलने की बात का उल्लेख अभिषेक दुबे और अमित सिंह ने किया है. सूत्रों की मानें तो मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी में शामिल चारों अलग-अलग टीमों ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है.
इसमें रांची में छापेमारी से लेकर दिल्ली और महाराष्ट्र तक के लिंक खंगाले गए. इसके लिए चार अलग-अलग टीमें बनी थीं. चारों को अलग-अलग जांच की जिम्मेवारी मिली थी. शुरुआती चरण में मिली जिम्मेवारी के अनुसार सभी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इसपर मामले के मुख्य अनुसंधानक ने समीक्षा की.
समीक्षा के आधार पर आगे के अनुसंधान की रूपरेखा भी तय की गई. अभिषेक दुबे ने अपने बयान में कहा है कि होटल ली-लैक में छापेमारी से 15-20 मिनट पहले बेलखडे और उसके साथी भाग निकले थे. एयरपोर्ट और होटल के सीसीटीवी की जांच से इस बात की पुष्टि होने की बात सामने आई है.
सूत्रों की अगर मानें तो जय कुमार बेलखडे इसके पहले भी दो बार जांच एजेंसियों के हत्थे चढ़ चुका है. एनएसजी के असिस्टेंट कमांडेंट की नौकरी छोड बेलखडे ने नागपुर में कोचिंग सेंटर शुरू किया था. सेना भर्ती पेपर लीक मामले में 2014 और 2017 में मामले में वह जांच एजेंसियों के हत्थे चढ़ा था.
लेकिन हर बार वह जेल से बाहर आकर फिर से अपनी कारगुजारियों में जुट गया. गिरफ्तार आरोपियों ने जयकुमार बेलखेडे को महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सह भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले का भांजा बताया है. उधर, कांग्रेस विधायकों का नाम आने के बाद शुरू में भले ही कांग्रेस ने मामले की जांच कराई, लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस संगठन अपने विधायकों के साथ खडा हो गया है.
पार्टी किसी भी तरह से मामले को तूल देने से बचने के मूड में आ गई है. बात चंद विधायकों के साजिश में शामिल होने से अलग होकर पूरी कांग्रेस पार्टी पर आ गई है. केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट भेजने के बाद प्रदेश कांग्रेस इस मामले को अब ठंडे बस्ते में डालना चाहती है. कहा जा रहा है कि इससे सर्वाधिक परेशानी पुलिस को होगी.
इस मामले में विधायकों का नाम सामने आने के बावजूद पुलिस कुछ कर नहीं पा रही है. विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में कांग्रेस विधायकों पर आरोप लग रहे हैं. लेकिन पार्टी अब इस मामले को तूल देकर अपनी ही फजीहत नहीं करवाना चाहती है. सभी विधायकों से प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने बात की और अन्य कांग्रेस विधायकों से भी राय ली गई है.
सबने पूरे प्रकरण को कांग्रेस को बदनाम करने की साजिश करार दिया है. जानकारों की अगर मानें तो विधायकों से बातचीत में यह बात भी सामने आई कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का काम नहीं होने से निचले स्तर तक नाराजगी पहुंच चुकी है.
विधायकों का काम भी झारखंड में आसानी से नहीं हो रहा है. ऐसे में अब अगर कांग्रेस के विधायकों से पूछताछ हुई तो आक्रोश और बढे़गा. कहीं ना कहीं यही कारण है कि पुलिस विधायकों से पूछताछ नहीं कर पा रही है.