कोरोना वायरस से निपटने के सरकार के प्रयासों से न्यायालय असंतुष्ट, दिया रणनीति बताने का निर्देश

By भाषा | Updated: April 26, 2020 05:38 IST2020-04-26T05:38:51+5:302020-04-26T05:38:51+5:30

मुख्य न्यायाधीश राजीव रंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने राज्य में कोरोना वायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार को यह बताने को कहा है कि इस महामारी से निपटने के लिए उसने कोई नीति तैयार की है या नहीं?

Jharkhand: Court dissatisfied with govt efforts to deal with coronavirus, directed to state strategy | कोरोना वायरस से निपटने के सरकार के प्रयासों से न्यायालय असंतुष्ट, दिया रणनीति बताने का निर्देश

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsझारखंड उच्च न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार की तैयारियों पर अप्रसन्नता प्रकट की।अदालत ने कहा कि इसके लिए सरकार ने क्या नीति और रणनीति तैयार की है, इसके बारे में पांच मई तक अदालत को सूचित करे।

झारखंड उच्च न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार की तैयारियों पर अप्रसन्नता प्रकट की। अदालत ने कहा कि इसके लिए सरकार ने क्या नीति और रणनीति तैयार की है, इसके बारे में पांच मई तक अदालत को सूचित करे।

मुख्य न्यायाधीश राजीव रंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने राज्य में कोरोना वायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार को यह बताने को कहा है कि इस महामारी से निपटने के लिए उसने कोई नीति तैयार की है या नहीं?

न्यायालय ने कहा कि यदि नीति तैयार की गयी है तो पांच मई तक अदालत में उसे पेश करे। तैयार नीति के साथ जितने काम किए गए हैं, उसका ब्योरा भी पेश करने का निर्देश अदालत ने सरकार को दिया। अदालत ने सरकार से यह भी बताने को कहा कि लॉकडाउन में अब तक कितने लोगों को राशन दिया गया और कितने लोगों को खाना खिलाया गया।

उसने कहा कि अभी के समय में राज्य में ‘गुड गवर्नेंस ’ की नहीं ‘सुपर गवर्नेंस ’ की जरूरत है। शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से जवाब देते हुए बताया गया था कि झारखंड सरकार को 23 अप्रैल तक 5760 ‘रैपिड टेस्टिंग किट’, 2700 व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) और 59,700 एन-95 मास्क उपलब्ध कराए गए हैं।

केन्द्र सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार के पास सभी राज्यों से चिकित्सा उपकरणों की मांग आ रही है। इन उपकरणों के निर्माण , उपलब्धता और राज्य के हालात को देखते हुए केंद्र सरकार राज्यों को संसाधन उपलब्ध करा रही है। राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता ने पीठ को बताया कि राज्य में नमूने लेने के काम में तेजी आ रही है।

‘पूल टेस्टिंग’ शुरू हो गयी है। रैपिड टेस्टिंग किट भी मिली है, लेकिन इससे जांच अभी नहीं हो रही है। केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद जांच शुरू होगी। सरकार अपने सीमित संसाधनों से इस महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने यह भी बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) कार्डधारी दो लाख लोगों को दो माह का राशन दिया गया है। उन्होंने बताया कि राशन कार्ड के लिए आवेदन करने वाले सात लाख लोगों को भी राशन दिया जा रहा है।

इसके अलावा मुख्यमंत्री दाल भात केन्द्र और सामुदायिक रसोई से भी लोगों को भोजन कराया जा रहा है। लोगों के बीच खाने के पैकेट का वितरण भी किया जा रहा है। सरकार ने बाजार ऐप भी जारी किया है। अदालत ने लॉकडाउन का उल्लंघन कर 24 मार्च से आठ बसों से पाकुड़, साहेबगंज और कोडरमा भेजे गए श्रमिकों के मामले में स्पष्ट जानकारी नहीं दिए जाने पर नाराजगी जतायी।

अदालत ने कहा कि सरकार के जवाब में यह स्पष्ट नहीं है कि किसकी अनुशंसा से रांची के उपायुक्त ने बसों से श्रमिकों को ले जाने की इजाजत दी। इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि संबंधित अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। जवाब मिलने के बाद पूरी बात न्यायालय में रखी जाएगी। अदालत ने पूछा कि अधिकारी को कितने दिनों में जवाब देने को कहा गया था। अदालत ने कहा कि यदि अधिकारी जवाब नहीं देते हैं तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी को बचाने का प्रयास हो रहा है।

सरकार की ओर से दाखिल जवाब में बताया गया कि इस दिन रांची के उपायुक्त ने बसों की जाने की अनुमति तो दी थी, लेकिन केंद्र सरकार का आदेश आने के बाद अनुमति आदेश को रद्द कर दिया। इस दिन चार बसों से 472 श्रमिक पाकुड़ पहुंचे थे। सभी को पृथक केन्द्र में रखा गया था और सभी ने पृथक रखे जाने की अवधि पूरी कर ली है। यह बसें भी कोडरमा और साहिबगंज में बस नहीं पहुंची थी।

Web Title: Jharkhand: Court dissatisfied with govt efforts to deal with coronavirus, directed to state strategy

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