प्रेम और सद्भाव की बड़ी मिसाल, कोरोना खौफ से अपनों ने नहीं दिया साथ तो मुस्लिम युवकों ने दिया कंधा और कराया दाह संस्कार

By एस पी सिन्हा | Published: June 8, 2020 08:16 PM2020-06-08T20:16:13+5:302020-06-08T20:16:13+5:30

बरवाडीह इलाके की रहने वाली 72 साल की लखिया देवी को मधुमेह की बीमारी थी और उनकी तबीयत खराब रहती थी. हाल के दिनों में उन्हें लकवा मार दिया था. परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए रांची के एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया था. मगर वहां उनकी स्थिति नहीं संभली तब घर वाले गिरिडीह वापस ले आए.

jharkhand Coronavirus lockdown great example of love and harmony Muslim youths gave shoulder got cremated | प्रेम और सद्भाव की बड़ी मिसाल, कोरोना खौफ से अपनों ने नहीं दिया साथ तो मुस्लिम युवकों ने दिया कंधा और कराया दाह संस्कार

घर पर केवल उनका बेटा जागेश्वर तूरी और पोता समेत परिवार के कुछ लोग शामिल थे.

Highlightsशनिवार की रात उनकी मौत हो गई. इसकी सूचना के बाद सगे-संबंधी शव के अंतिम दर्शन को घर पहुंचे थे. काफी देर तक यह सब चलता रहा कि अब वृद्धा के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाना चाहिये.

रांचीः झारखंड के गिरिडीह जिले के बरवाडीह इलाके में प्रेम और सद्भाव की एक बड़ी मिसाल देखने को मिली है, जिसमें कोरोना के खौफ ने लखिया देवी को अपनों ने कंधा देने से किनारा कर लिया तो मुस्लिम युवकों ने वृद्धा की अर्थी को न सिर्फ कंधा दिया, बल्कि उनकी अंतिम यात्रा तक वे पूरी निष्ठा के साथ लगे रहे. यह घटना रविवार की शाम है.  

प्राप्त जानकारी के अनुसार बरवाडीह इलाके की रहने वाली 72 साल की लखिया देवी को मधुमेह की बीमारी थी और उनकी तबीयत खराब रहती थी. हाल के दिनों में उन्हें लकवा मार दिया था. परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए रांची के एक नर्सिंग होम में भर्ती कराया था. मगर वहां उनकी स्थिति नहीं संभली तब घर वाले गिरिडीह वापस ले आए.

शनिवार की रात उनकी मौत हो गई. इसकी सूचना के बाद सगे-संबंधी शव के अंतिम दर्शन को घर पहुंचे थे. लेकिन कोरोना के भय से सभी ने दूरी बना कर रखी. काफी देर तक यह सब चलता रहा कि अब वृद्धा के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाना चाहिये. लेकिन कोरोना के कारण कोई रिश्तेदार घर नहीं पहुंचा. घर पर केवल उनका बेटा जागेश्वर तूरी और पोता समेत परिवार के कुछ लोग शामिल थे. लेकिन उनके सहारे आठ किलोमीटर कंधा देकर शव को मुक्तिधाम तक पहुंचाना संभव नहीं था.

ऐसे में स्थिती ऊहापोह की बनी रही कि आखिर शव के स्मशान घाट तक ले कैसे जाया जाये? इसी बीच कोरोना के डर से शव को नहीं अठाए जाने की जानकारी जब पहाडीडीह के मुस्लिम युवकों को हुई तो बरवाडीह के करीब 50 मुस्लिम युवा वहां आ पहुंचे.

इन लोग न केवल वृद्धा की अंतिम यात्रा में शामिल हुए बल्कि उसके पार्थिव शरीर को बारी-बारी कंधा देकर मुक्तिधाम पहुंचाया. वहां जागेश्वर ने हिंदू रीति-रिवाज से मां को मुखाग्नि दी. अब इसकी चर्चा पूरे गिरिडीह जिले में हो रही है. इंसानियत क्या होती है, यह मुस्लिम युवकों ने कर दिखाया है. 

Web Title: jharkhand Coronavirus lockdown great example of love and harmony Muslim youths gave shoulder got cremated

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