Jharkhand Chunav 2024: बिगुल बजने के साथ शुरू हुई 'विरासत की सियासत'?, बेटे-बेटियों और पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी!

By एस पी सिन्हा | Updated: October 17, 2024 15:42 IST2024-10-17T15:41:13+5:302024-10-17T15:42:48+5:30

Jharkhand Chunav 2024: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को भाजपा घाटशिला से मैदान में उतारने जा रही है। 

Jharkhand Chunav 2024 virasat ki siyasat started bugle sound field sons, daughters and wives in elections congress bjp jmm rjd jdu | Jharkhand Chunav 2024: बिगुल बजने के साथ शुरू हुई 'विरासत की सियासत'?, बेटे-बेटियों और पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी!

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Highlightsकोल्हान प्रमंडल में चंपई सोरेन का काफी प्रभाव माना जाता है।जामा सीट से तीन बार झामुमो की विधायक रहीं सीता सोरेन अब भाजपा में हैं। सीट पर अपनी पुत्री जयश्री सोरेन को भाजपा का टिकट दिलाना चाहती हैं।

Jharkhand Chunav 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही सभी दलों ने अपनी कमर कसकर मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। लेकिन 'विरासत की सियासत' को चमकाने के लिए नेताओं ने गणेश परिक्रमा करना शुरू कर दिया है। सूबे के एक दर्जन से भी ज्यादा सांसद, विधायक, मंत्री और नेता अपने बेटे-बेटियों व पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें पार्टियों का टिकट दिलाने की लॉबिंग शुरू हो गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को भाजपा घाटशिला से मैदान में उतारने जा रही है।

कोल्हान प्रमंडल में चंपई सोरेन का काफी प्रभाव माना जाता है। उधर, संथाल परगना प्रमंडल की जामा सीट से तीन बार झामुमो की विधायक रहीं सीता सोरेन अब भाजपा में हैं। वह इस सीट पर अपनी पुत्री जयश्री सोरेन को भाजपा का टिकट दिलाना चाहती हैं। भाजपा के सामने दुविधा यह है कि इस सीट पर पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे सुरेश मुर्मू की भी मजबूत दावेदारी है।

वहीं, झारखंड की मौजूदा कैबिनेट में नंबर दो की हैसियत वाले कांग्रेस कोटे के मंत्री रामेश्वर उरांव की उम्र 77 वर्ष है। उम्र के तकाजे के आधार पर उनका टिकट कट सकता है। ऐसे में वह अपने पुत्र रोहित उरांव को टिकट दिलाने की कोशिश में जुटे हैं। वह लोहरदगा से विधायक हैं। लेकिन इसी सीट पर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत भी अपने पुत्र अभिनव भगत को उतारना चाहते हैं।

अभिनव यूथ कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं और उन्होंने उम्मीदवारी की दावेदारी के साथ बायोडाटा पार्टी के पास जमा किया है। धनबाद जिले के बाघमारा से भाजपा के विधायक रहे ढुल्लू महतो अब सांसद बन चुके हैं। वह खाली हुई विधानसभा सीट पर अपनी पत्नी सावित्री देवी या पुत्र प्रशांत कुमार में से किसी एक के लिए टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।

धनबाद जिले की ही सिंदरी सीट के भाजपा विधायक इंद्रजीत महतो गंभीर रूप से बीमार होकर साढ़े तीन साल से हॉस्पिटल के बिस्तर पर पड़े हैं। अब इस सीट पर उनकी पत्नी तारा देवी दावेदारी कर रही हैं। जबकि कोल्हान की मनोहरपुर सीट से झामुमो की विधायक रहीं जोबा मांझी लोकसभा चुनाव में चाईबासा सीट से जीतकर संसद पहुंच चुकी हैं।

इस सीट पर उनके पुत्र उदय मांझी झामुमो टिकट के सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। वहीं, झामुमो के कद्दावर नेता और महेशपुर सीट से विधायक स्टीफन मरांडी अपनी पुत्री उपासना मरांडी को सियासत में लाना चाहते हैं। संभव है कि वह अपनी जगह बेटी को मैदान में उतारें।

पलामू जिले की विश्रामपुर सीट से भाजपा के विधायक और पूर्व मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी भी अपने पुत्र ईश्वर सागर चंद्रवंशी को सियासी विरासत सौंपना चाहते हैं। इसी सीट से कई बार विधायक रहे और राज्य में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि उनका पुत्र अभय दुबे उनका सियासी उत्तराधिकारी होगा और वह विश्रामपुर से चुनाव लड़ेगा।

जबकि हजारीबाग जिले की बरही सीट पर कांग्रेस विधायक उमाशंकर अकेला अपने पुत्र रविशंकर अकेला को अपनी विरासत सौंपने की तैयारी कर रहे हैं। इस सीट पर पिता-पुत्र दोनों ने उम्मीदवारों की दावेदारी का आवेदन पार्टी को सौंपा है। इसी जिले की बड़कागांव सीट पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री विधायक योगेंद्र साव और उनकी विधायक पुत्री अंबा प्रसाद ने टिकट के लिए आवेदन दिया है।

पलामू की हुसैनाबाद सीट से एनसीपी के विधायक और पूर्व मंत्री कमलेश सिंह भी अपने बेटे सूर्या सिंह को सियासी विरासत सौंपना चाहते हैं। पिछले साल एक कार्यक्रम में उन्होंने सार्वजनिक तौर पर इसका ऐलान भी किया था। उधर, डाल्टनगंज सीट से पांच बार विधायक-सांसद रह चुके दिग्गज नेता इंदर सिंह नामधारी ने पिछले चुनाव में अपने बेटे दिलीप सिंह नामधारी को मैदान में उतारा था।

लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। दिलीप इस बार फिर मैदान में उतरेंगे, यह तय माना जा रहा है। इसी तरह सिमडेगा सीट पर चार बार विधायक रहे भाजपा के दिग्गज नेता निर्मल बेसरा के बेटे श्रद्धानंद बेसरा को पार्टी ने पिछले चुनाव में उतारा था और वह महज कुछ सौ वोटों के फासले से पराजित हो गए थे। इस बार फिर वह टिकट के मजबूत दावेदार हैं। ऐसे कई और नेता हैं जो अपने पुत्र-पुत्रियों को चुनावी मैदान में उतारकर अपनी धमक बरकरार रखना चाहते हैं।

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