बिहार में सत्तारूढ़ जदयू अब झारखंड में शून्य से शिखर तक पहुंचने की जुगत में जुट गई है. हालांकि उसके मंसूबे को पहले तो चुनाव आयोग ने उसके चुनाव चिह्न् को फ्रीज कर धाराशायी कर दिया है. बावजूद इसके आत्मविश्वास से लबरेज जदयू चुनावी मुहिम में जी जान से जुट गई है.
इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 7 सितंबर को झारखंड के दौरे पर जा रहे हैं, जहां वह पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने का का काम करेंगे. झारखंड में अधिक से अधिक सीट जीतने का गुरुमंत्र भी वहां के कार्यकर्ताओं को देकर वापस आएंगे.
झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले ही जदयू ने एकला चलने का ऐलान कर दिया है. प्रदेश जदयू के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने दावा किया है कि पार्टी सभी 81 विधानसभा सीटों पर इस बार अकेले ही चुनाव लड़ने वाली है. मुर्मू का दावा है कि जदयू जीत हासिल कर अपने दम पर सरकार भी बनाएगी.
झारखंड में अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान का राजनीतिक मतलब भाजपा और जदयू के बीच बढ़ती दूरियों के रूप में देखा जाने लगा है. सालखन के इस दावे पर कि वह अकेले लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे. इस पर भाजपा की तरफ से कटाक्ष किए जा रहे हैं, लेकिन सलखान के बयान का मतलब निकालें तो यह साफ झलकता है कि अंदर ही अंदर दोनों दलों के बीच की कटुता सामने आने लगी है.
सलखान के बयान पर झारखंड भाजपा भी आपत्ति जता चुकी है. प्रदेश भाजपा का कहना है कि इस तरह के बयानों से बचना चाहिए. जदयू को गठबंधन धर्म का पालन करना चाहिए. भाजपा बहुमत में आने पर भी सहयोगियों को सम्मान दे रही है. ऐसी स्थिति में जबकि झारखंड में जदयू का जनाधार कमजोर और संगठन भी मजबूत नहीं है तब जदयू प्रदेश अध्यक्ष का यह बयान एक तरह से दबाव बनाने की रणनीति ही समझा जा सकता है. इस राजनीति उठा-पठक के बीच यह चर्चा है कि क्या भाजपा और जदयू के बीच एक बार फिर से सियासी तलाक होने वाला है?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा फैसला?
आशंका है कि अक्तूबर-नवंबर 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश और भाजपा की राहें जुदा होने वाली हैं? नीतीश कुमार और भाजपा के बीच की दूरी बढ़ते देख राजद की ओर से भी बार-बार साथ सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. राजद के कई बड़े नेता नीतीश कुमार का गुणगान करने से नहीं थक रहे हैं. एक तरफ राजद की तरफ से नीतीश कुमार को लगातार पुचकारा जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार शांत बैठे हैं.