झारखंड: अस्पताल से नहीं मिली एंबुलेंस, शव लाने के लिए बेचनी पड़ी बकरी, पोस्टमार्टम भी नहीं करने का आरोप
By एस पी सिन्हा | Updated: March 13, 2020 06:07 IST2020-03-13T06:07:37+5:302020-03-13T06:07:37+5:30
महिला ने कहा कि पति के इलाज में उसके घर के बैल-बकरी बिक गए. रिम्स से शव घर ले जाने के लिए नर्स से एंबुलेंस की भी मांग की लेकिन वाहन नहीं मिला. मजबूरी में परिजनों ने एक और बकरी बेचकर पैसे का इंतजाम किया तब बिना पोस्टमार्टम के शव गांव लाया जा सका और दाह संस्कार किया गया.

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)
झारखंड के लातेहार जिले के सदर थाना क्षेत्र के तरवाडीह पंचायत, तेनारटांड निवासी देवचरण सिंह की मौत के बाद उसकी पत्नी चरकी ने यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है कि पति के इलाज में उसके घर के बैल-बकरी बिक गए. यही नहीं रिम्स से शव घर लाने के लिए नर्स से एंबुलेंस की मांग की. लेकिन वाहन नहीं मिला. मजबूरी में परिजनों ने एक और बकरी बेचकर पैसों का इंतजाम किया. तब जाकर शव लाने वाला वाहन का किराया भुगतान किया गया. उसके अनुसार बगैर पोस्टमार्टम के शव गांव लाया गया और दाह संस्कार किया गया.
दरअसल, जंगल में लकड़बग्घे ने देवचरण सिंह पर हमला कर दिया था. वह उससे भिड़ गए. लकड़बग्घा भाग तो गया, लेकिन देवचरण गंभीर रूप से घायल हो गए. परिजनों और ग्रामीणों ने उन्हें इलाज के लिए रांची के रिम्स में भर्ती कराया. करीब दो हफ्ते के इलाज के बाद देवचरण की मौत हो गई.
देवचरण की पत्नी चरकी देवी का आरोप है कि उनकी मौत वन विभाग की उपेक्षा, पैसे की कमी व रिम्स में इलाज में लापरवाही से हुई है. उसने कहा कि पैसे के अभाव में दवा लाने में परेशानी हो रही थी जिससे चिकित्सक भी सही से इलाज नहीं कर रहे थे. चरकी ने कहा कि पति के इलाज में उसके घर के बैल-बकरी बिक गए. रिम्स से शव घर ले जाने के लिए नर्स से एंबुलेंस की भी मांग की लेकिन वाहन नहीं मिला. मजबूरी में परिजनों ने एक और बकरी बेचकर पैसे का इंतजाम किया तब बिना पोस्टमार्टम के शव गांव लाया जा सका और दाह संस्कार किया गया.
हालांकि रिम्स के अस्थि रोग विभाग के विभागाध्यक्ष, डॉ. एलबी माझी ने अपनी सफाई में कहा है कि इलाज में किसी तरह की लापरवाही या कोताही नहीं बरती जा रही थी. परिजन चाहते थे कि एक नर्स सिर्फ उसी मरीज की सेवा में रहे जो रिम्स में संभव नहीं है. यहां पहले से ही नर्सों की कमी है. लेकिन शव वाहन के मामले में कोई भी कुछ बोलने से बचता दिख रहा है. इसतरह से झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई एकबार फिर से उजागर होने के बाद सरकार की फजीहत शुरू हो गई है.