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झारखंड: 14 साल बाद पूर्व CM बाबूलाल मरांडी की BJP में आज होगी घरवापसी, जानें बाबूलाल के बारे में सबकुछ

By अनुराग आनंद | Updated: February 17, 2020 08:20 IST

बाबूलाल मरांडी का जन्‍म झारखंड के गिरीडीह के टिसरी ब्‍लॉक के अंतर्गत आने वाले कोडिया बैंक गांव में 11 जनवरी 1958 को हुआ। इन्‍होंने अपनी स्‍कूली शिक्षा गांव से प्राप्‍त करने के बाद गिरीडीह कॉलेज में दाखिला ले लिया। यहां से इन्‍होंने इंटरमीडिएट तथा स्‍नातक की पढ़ाई पूरी की।

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ठळक मुद्देबाबूलाल मरांडी का जन्‍म झारखंड के गिरीडीह के टिसरी ब्‍लॉक के अंतर्गत आने वाले कोडिया बैंक गांव में 11 जनवरी 1958 को हुआ।बाबूलाल मरांडी का बेटा अनूप मरांडी 2007 के झारखंड के गिरीडीह क्षेत्र में हुए नक्‍सली हमले में मारा गया था।

आज सोमवार को 14 साल बाद बाबूलाल मरांडी की अगुवाई वाले झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) (झाविमो) का भाजपा में विलय हो रहा है। पिछले दिनों झाविमो के अध्यक्ष मरांडी ने संवाददाताओं को बताया था कि पार्टी की केंद्रीय समिति ने पार्टी के भाजपा में विलय को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा की मौजूदगी में वह 17 फरवरी को रांची में भाजपा पार्टी ज्वॉइन करेंगे।

 मरांडी ने पार्टी विलय से पहले अपने साथियों को बाहर का रास्ता दिखाया

बाबूलाल मरांडी ने पिछले दिनों बताया था कि केंद्रीय समिति ने पार्टी विधायकों--प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के निष्कासन को भी मंजूरी दे दी। इसके बाद उन्होंने भाजपा विलय में बाधा बन रहे अपने दोनों साथियों को पार्टी से निकाल दिया। इससे कुछ समय पहले ही प्रदीप यादव ने नयी दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से भेंट की थी। यादव एक ही पखवाड़े में झाविमो से निकाले जाने वाले दूसरे पार्टी विधायक थे। उससे पहले बंधू तिर्की को भी पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर निकाल दिया गया था। झाविमो ने विधानसभा चुनाव में तीन सीटें जीती थीं। यादव और तिर्की के अलावा स्वयं मरांडी भी चुनाव जीते थे। 

शिक्षक से सीएम बनने तक का सफरबता दें कि झारखंड के गिरिडीह जिला के गुरुओं ने राजनीति में अपना एक अलग मुकाम बनाया है। व्यवस्था बदलाव व शिखर तक जाने की सोच के साथ शिक्षक की नौकरी त्यागने वाले गुरुओं ने राजनीति में लंबी लकीर खींच डाली है।

गिरिडीह जिला इस मायने में काफी भाग्‍यशाली रहा है। यहां शिक्षक की नौकरी त्याग कर राजनीति में किस्मत आजमाने वाले गुरुओं ने पंचायत के मुखिया से लेकर सांसद तक छलांग लगाई। इन्‍हीं में से एक हैं बाबूलाल मरांडी, जिन्‍हें शिक्षक की नौकरी से त्यागपत्र देकर झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

जन्म व पढ़ाई बाबूलाल मरांडी का जन्‍म झारखंड के गिरीडीह के टिसरी ब्‍लॉक के अंतर्गत आने वाले कोडिया बैंक गांव में 11 जनवरी 1958 को हुआ। इन्‍होंने अपनी स्‍कूली शिक्षा गांव से प्राप्‍त करने के बाद गिरीडीह कॉलेज में दाखिला ले लिया। यहां से इन्‍होंने इंटरमीडिएट तथा स्‍नातक की पढ़ाई पूरी की।

कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मरांडी आरएसएस से जुड़ गए। मरांडी ने आरएसएस से पूरी तरह जुड़ने से पहले गांव के स्‍कूल में कुछ सालों तक कार्य किया। इसके बाद वे संघ परिवार से जुड़ गए। उन्‍हें झारखंड क्षेत्र के विश्‍व हिन्‍दू परिषद का संगठन सचिव बनाया गया।

नक्सली हमले में गई बेटे की जान1989 में इनकी शादी शांतिदेवी से हुई। इनका बेटा अनूप मरांडी 2007 के झारखंड के गिरीडीह क्षेत्र में हुए नक्‍सली हमले में मारा गया था।शिबू सोरेन से हारे पहला चुनाव । 1991 में मरांडी ने भाजपा के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें उन्‍हें हार का मुंह देखना पड़ा था।

1996 में वे फिर शिबू सोरेन से हार गए। इसके बाद भाजपा ने 1998 में विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश अध्‍यक्ष बना दिया। पार्टी ने इनके नेतृत्‍व में झारखंड क्षेत्र की 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर कब्‍जा कर लिया।

राज्‍य के पहले मुख्‍यमंत्री बने

बिहार से 2000 में अलग होकर झारखंड राज्‍य बनने के बाद एनडीए के नेतृत्‍व में बाबूलाल मरांडी ने राज्‍य की पहली सरकार बनाई। हालांकि बाद में जदयू के हस्‍तक्षेप के चलते उन्‍हें अर्जुन मुंडा को सत्‍ता सौंपनी पड़ी थी।

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