Jammu: 5 दिन में सवा लाख श्रद्धालु हुए शामिल, बढ़ती संख्या से मंडराया खतरा हिमलिंग पर पिघलने का

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: July 4, 2024 12:00 IST2024-07-04T11:56:48+5:302024-07-04T12:00:45+5:30

29 जून से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा में पांच दिनों में ही सवा लाख भक्त भोलेनाथ के दर्शन कर चुके हैं। ये आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले काफी अधिक है।

Jammu Within Five days 1 lakh pilgrims reach Amarnath Gufa now Danger of melting on Himlinga looms | Jammu: 5 दिन में सवा लाख श्रद्धालु हुए शामिल, बढ़ती संख्या से मंडराया खतरा हिमलिंग पर पिघलने का

फोटो क्रेडिट- (एक्स)

Highlightsसाल 2018 में हिमलिंग की ऊंचाई 15 फीट थीइस साल हिमलिंग के दर्शन के लिए अभी तक पिछले वर्ष से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचेमगर भक्तों की बढ़ती भीड़ से हिमलिंग के जल्दी पिघलने का खतरा बढ़ा

जम्मू: अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या ने हिमलिंग के अस्तित्व के लिए खतरा बढ़ा दिया है क्योंकि इससे हिमलिंग के वक्त से पहले गायब होने की आशंका है। कई सालों से ऐसा देखने को मिल चुका है कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से हिमलिंग समय से पहले भक्तों की सांसों के कारण लुप्त हो गए।

29 जून से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा में पांच दिनों में ही सवा लाख भक्त भोलेनाथ के दर्शन कर चुके हैं। ये आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले काफी अधिक है। लेकिन अब बढ़ती संख्या को हिमलिंग के लिए खतरे के तौर पर लिया जा रहा है। हालांकि इस साल हिमलिंग 22 फुट के बने थे जो पहले ही भीषण गर्मी के कारण आधे रह चुके हैं।

हालांकि साल 2018 में हिमलिंग की ऊंचाई 15 फीट थी। इस साल हिमलिंग के दर्शन के लिए अभी तक पिछले वर्ष से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे हैं। मगर भक्तों की बढ़ती भीड़ से हिमलिंग के जल्दी पिघलने का खतरा बढ़ गया है। इससे ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने की भी आशंका है।

श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के बकौल, करीब दो माह पहले हिमलिंग अपने पूरे आकार में था। यह करीब 20 से 22 फुट का था। और अब इसकी ऊंचाई 11 से 12 फुट के बीच रह गई है। उनके मुताबिक, यह अब तेजी से पिघल रहा है। दरअसल इस बार पूरी दुनिया में गर्मी ने जो कहर बरपाया अमरनाथ यात्रा का प्रतीक हिमलिंग भी उससे अछूता नहीं रहा है।

हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है कि हिमलिंग तेजी से पिघल रहा हो बल्कि पिछले कई सालों से यह देखने को मिल रहा है हिमलिंग यात्रा के आरंभ होने के कुछ ही दिनों के उपरांत पूरी तरह से पिघल जाता रहा है। हालांकि तब इसके लिए ग्लोबल वार्मिंग के साथ साथ उन लाखों भक्तों की सांसें भी जिम्मेदार होती थीं जो दर्शनार्थ गुफा तक पहुंचते थे।

विशेषज्ञों के मुताबिक अमरनाथ ग्लेशियरों से घिरा है। ऐसे में ज्यादा लोगों के वहां पहुंचने से तापमान के बढ़ने की आशंका होगी। इससे ग्लेशियर जल्दी पिघलेंगे। साल 2016 में भी भक्तों की ज्यादा भीड़ के अमरनाथ पहुंचने से हिमलिंग तेजी से पिघल गया था। आंकड़ों के मुताबिक उस वर्ष यात्रा के महज 10 दिन में ही हिमलिंग पिघलकर डेढ़ फीट के रह गए थे। तब तक महज 40 हजार भक्तों ने ही दर्शन किए थे।

साल 2016 में प्राकृतिक बर्फ से बनने वाला हिमलिंग 10 फीट का था। जो अमरनाथ यात्रा के शुरूआती सप्ताह में ही आधे से ज्यादा पिघल गया था। ऐसे में यात्रा के शेष 15 दिनों में दर्शन करने वाले श्रद्धालु हिमलिंग के साक्षात दर्शन नहीं कर सके थे।

साल 2013 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान हिमलिंग की ऊंचाई कम थी। उस वर्ष हिमलिंग महज 14 फुट के थे। लगातार बढ़ते तापमान के चलते वे अमरनाथ यात्रा के पूरे होने से पहले ही अंतरध्यान हो गए थे। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2013 में हिमलिंग के तेजी से पिघलने का कारण तापमान में वृद्धि था। उस वक्त पारा 34 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था।

साल 2018 में भी बाबा बर्फानी के तेजी से पिघलने का सिलसिला जारी था। 28 जून से शुरू हुई 60 दिवसीय इस यात्रा में एक महीने बीतने पर करीब दो लाख 30 हजार यात्रियों ने दर्शन किए थे। मगर इसके बाद दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का बाबा बर्फानी के साक्षात दर्शन नहीं हुए। बाबा दर्शन देने से पहले ही अंतरध्यान हो गए थे। इस बार भी भीषण गर्मी कहें या ग्लोबल वार्मिंग अपना रूप जरूर दिखा रही है।

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