आतंकी स्थानीय नागरिकों में खौफ पैदा करने के इरादों से स्थानीय नागरिकों व दुकानदारों की हत्याएं करने लगे हैं। राज्य के बंटवारे के बाद से अभी तक चार स्थानीय दुकानदारों को इसलिए मार डाला गया है क्योंकि आतंकियों का आरोप था कि उन्होंने उनके निर्देशों की नाफरमानी की थी।
यह सच है कि पांच अगस्त को पूरे प्रदेश में पाबंदियां लगाए जाने के बाद पूरी तरह व्यावसायिक गतिविधियां ठप थीं। इसके बाद धीरे-धीरे दुकानें खुलने लगीं। हाल के दिनों में दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग व पुलवामा में बाजार लगभग खुले हुए हैं। लोगों के बीच खौफ कम हुआ है और वह बाहर निकलने लगे हैं। इससे परेशान आतंकी संगठनों ने लोगों में खौफ पैदा करने के लिए इस प्रकार घटना को अंजाम दिया है।
सूत्रों का कहना है कि आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर रियाज नायकू पांच अगस्त के बाद से चर्चाओं से लगभग गायब हो चुका था। पांच अगस्त को जब जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया गया, उसके बाद से सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था के चलते आतंकी किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे पाए।
ऐसा माना जा रहा है कि लोगों के बीच आतंकियों का खौफ कुछ कम हुआ। माना जा रहा है कि लोगों के बीच दहशत फैलाने के लिए ही उसके गुर्गों नें बुधवार को त्राल की घटना को अंजाम दिया है।
जानकारी के लिए 5 अगस्त के बाद यह चौथी ऐसी हत्या है जिसमें आतंकियों ने स्थानीय लोगों को निशाना बनाया गया हो। इससे पूर्व आतंकियों ने 29 अगस्त को श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र पारिमपुरा में एक दुकानदार गुलाम मोहम्मद (65) को निशाना बनाया और मौत के घाट उतार दिया।
इतना ही नहीं 26 अगस्त को भी आतंकियों ने त्राल के जंगलों में एक ढोक (अस्थायी रहने की जगह) से राजौरी के अब्दुल कदीर कोहली और श्रीनगर के मंजूर अहमद को अगवा कर मौत के घाट उतार दिया था।