भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार चौथे साल नहीं बंटेगा 'शक्कर' और 'शर्बत', चमलियाल मेले का 24 जून को होना था आयोजन

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 22, 2021 18:19 IST2021-06-22T18:05:20+5:302021-06-22T18:19:21+5:30

यह लगातार चौथा साल है जब जम्मू के इंटरनेशनल बॉर्डर पर लगने वाले चमलियाल मेले में दोनों मुल्कों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाने वाला 'शक्कर' और 'शर्बत' नहीं बंटेगा।

Jammu Kashmir Shakkar and sherbet will not be distributed between India and Pakistan in chamaliyal fair | भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार चौथे साल नहीं बंटेगा 'शक्कर' और 'शर्बत', चमलियाल मेले का 24 जून को होना था आयोजन

फाइल फोटो

Highlightsचमलियाल मेले में प्रसाद के रूप में बांटा जाने वाला 'शक्कर' और 'शर्बत' नहीं बंटेगा। सैंदावाली गांव की दरगाह में 24 जून को मेले का आयोजन किया जाना था। 2018 से लगातार मेले के शांतिपूर्ण आयोजन में व्यवधान आते रहे हैं। 

जम्मूः यह लगातार चौथा साल है जब जम्मू के इंटरनेशनल बॉर्डर पर लगने वाले चमलियाल मेले में दोनों मुल्कों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाने वाला 'शक्कर' और 'शर्बत' नहीं बंटेगा। लगातार दूसरे साल इस मेले को कोरोना के कारण रद्द कर दिया गया है जबकि वर्ष 2019 में इसे पाक गोलीबारी के कारण आयोजित नहीं किया गया था। उससे पहले वर्ष 2018 में पाक सेना के अड़ियल रवैये के कारण भारतीय पक्ष ने 'शक्कर' और 'शर्बत' उस पार भिजवाने से मना कर दिया था। इस बार यह मेला 24 जून को आयोजित होना था।अधिकारियों ने इस बार इस ओर के लोगों को भी दरगाह पर एकत्र होने से मना कर दिया है।

दरअसल इंटरनेशनल बॉर्डर पर जीरो लाइन पर चमलियाल मेला तभी संभव होता है, जब पाकिस्तान की ओर से विश्वास दिलाया जाता है कि किसी भी हालात में मेले के दौरान गोलीबारी या कोई अन्य शरारत नहीं की जाएगी। वर्ष 2018 में सीमा पर भारी गोलाबारी कर रहे पाकिस्तान ने मेले को लेकर सुचेतगढ़ में हुई सेक्टर कमांडर स्तर की फ्लैग मीटिंग में अपने तेवर नरम करने की दिशा में कोई गंभीरता नहीं दिखाई थी। ऐसे हालात में लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने 2018 में भी मेले को रद्द कर दिया था।

चमलियाल में एक दिन मेला

भारतीय क्षेत्र में चमलियाल मेला एक दिन चलता है। वहीं जीरो जाइन से 300 मीटर दूर पाकिस्तान के सैदांवाली गांव में यह करीब एक हफ्ता चलता है। बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2017 तक चमलियाल मेले के आयोजन में पाकिस्तान भी गंभीरता दिखाता रहा है, लेकिन वर्ष 2018 में उसने मेले से ठीक पहले खूनखराबा करने की मंशा से गोलीबारी कर स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि वह मेले के प्रति गंभीर नहीं है।

दरगाह इधर, प्रतिकृति उधर

मेले के बारे में एक कड़वी सच्चाई यह थी कि जब 1947 में देश का बंटवारा हुआ था तो दरगाह के दो भाग हो गए थे। असली दरगाह इस ओर रह गई और उसकी प्रतिकृति पाकिस्तानी नागरिकों ने अपनी सीमा चौकी सैदांवाली के पास स्थापित कर ली।

बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं

बताया यही जाता है कि पाकिस्तानी नागरिक बाबा के प्रति कुछ अधिक ही श्रद्धा रखते हैं तभी तो इस ओर मेला एक दिन तथा उस ओर सात दिनों तक चलता रहता है जबकि इस ओर 60 से 70 हजार लोग इसमें शामिल होते रहे हैं जबकि सीमा के उस पार लगने वाले मेले में शामिल होने वालों की संख्या चार लाख से भी अधिक होती है। मेले में आने वाले इस बार निराश हुए थे, क्योंकि मेले का मुख्य आकर्षण दोनों देशों के बीच-शक्कर व शर्बत-का आदान प्रदान का दृश्य होता था जो इस बार भी नदारद होगा।

Web Title: Jammu Kashmir Shakkar and sherbet will not be distributed between India and Pakistan in chamaliyal fair

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