Jammu-Kashmir: बीते तीन साल में एक लाख से अधिक लोग ब्लैक लिस्टेड, पासपोर्ट की अर्जी अब क पेंडिंग

By सुरेश एस डुग्गर | Published: August 26, 2021 05:36 PM2021-08-26T17:36:29+5:302021-08-26T18:38:29+5:30

Jammu Kashmir: करीब एक लाख से अधिक कश्मीरियों पर वह कहावत एक दम सटीक बैठ रही है जिसमें कहा जाता है कि लम्हें अगर खता करते हैं तो सजा सदियों को मिलती है. असल में पिछले तीन सालों के अरसे में एक लाख से अधिक कश्मीरी नागरिकों को रीजनल पासपोर्ट आफिस ने पासपोर्ट जारी करने से इसलिए इंकार कर दिया क्योंकि वे किसी न किसी रूप में आतंकियों या उनके सहयोगियों के रिश्तेदार रहे हैं. इन सभी को ब्लैक लिस्ट में डाला गया है.

Jammu-Kashmir: Regional Passport Office refuses to issue passports to over one lakh Kashmiri citizens | Jammu-Kashmir: बीते तीन साल में एक लाख से अधिक लोग ब्लैक लिस्टेड, पासपोर्ट की अर्जी अब क पेंडिंग

Jammu-Kashmir: बीते तीन साल में एक लाख से अधिक लोग ब्लैक लिस्टेड, पासपोर्ट की अर्जी अब क पेंडिंग

Jammu Kashmir: करीब एक लाख से अधिक कश्मीरियों पर वह कहावत एक दम सटीक बैठ रही है जिसमें कहा जाता है कि लम्हें अगर खता करते हैं तो सजा सदियों को मिलती है. असल में पिछले तीन सालों के अरसे में एक लाख से अधिक कश्मीरी नागरिकों को रीजनल पासपोर्ट आफिस ने पासपोर्ट जारी करने से इसलिए इंकार कर दिया क्योंकि वे किसी न किसी रूप में आतंकियों या उनके सहयोगियों के रिश्तेदार रहे हैं. इन सभी को ब्लैक लिस्ट में डाला गया है.

जिन कश्मीरियों को पासपोर्ट जारी करने से इंकार किया गया है उनमें से अधिकतर छात्र हैं जो या तो विदेशों में पढ़ाई करने के लिए जाना चाहते हैं या फिर विदेशी स्कूलों-कालेजों या प्रोफेशनल विश्वविद्यालयों से स्कालरशिप पाकर विदेश जाना चाहते थे. उसके बाद दूसरे नम्बर पर बिजनेसमैन आते हैं जिन्हें व्यापार के लिए अन्य देशों में जाना था.

इंटरनेशनल ला की धारा 12 के तहत घूमने फिरने का दिया गया अधिकार कश्मीर की विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां इन लोगों से इसलिए छीन रही हैं क्योंकि वे तो नहीं बल्कि उनके सगे संबधी सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर आतंकी गतिविधियों से जुड़े रहे हैं. ऐसे मामलों में पासपोर्ट के लिए आवेदन करने वालों का कहना था कि:‘आखिर हमारा क्या कसूर है अगर हमारा कोई रिश्तेदार या परिवार का सदस्य आतंकी था या फिर आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा था.’

कुछ अरसा पहले की सबसे बड़ी घटना में पासपोर्ट आफिस ने अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की बेटी समां शब्बीर शाह को पासपोर्ट देने से इंकार कर दिया था. वह लंदन में एलएलबी की पढ़ाई करना चाहती है. इसी तरह से पाकिस्तान में रह रहे आतंकी नेता मुश्ताक जरगर की बेटी को पासपोर्ट इस तर्क के साथ नहीं दिया गया था कि उसका बाप आतंकी है.

हालांकि पिछले कुछ साल पहले ऐसे ही कई मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दखलंदाजी करते हुए कुछ उन कश्मीरियों को पासपोर्ट दिलवाने में सहायता की थी जिनका कोई न कोई रिश्तेदार किसी न किसी तरह से आतंकवाद से जुड़ा हुआ था. लेकिन पम्पोर का साकिब इतना खुशकिस्मत नहीं था जिसके बाप के आतंकी होने की सजा उसे भुगतनी पड़ी थी.

उसका बाप गुलाम मोहि-उ-द्दीन 1998 में सुरक्षाबलों के हाथों मारा गया था और अब साकिब लंदन के एक संस्थान से मिली स्कालरशीप पर पढ़ने के लिए जाना चाहता था पर सुरक्षा एजेंसियों ने उसे इस आधार पर रोक लिया कि उसके बाप ने जो कसूर किया है उसकी सजा उसका बेटा भुगते.

ऐसे करीब एक लाख मामले हैं जिनमें सुरक्षा एजेंसियों द्वारा आपत्ति इसी आधार पर दर्ज की गई कि उनके सगे-संबंधी या रिश्तेदार आतंकी थे या फिर आतंकवाद का समर्थन करते रहे हैं. ऐसे लोगों में वे भी शामिल थे जो हज पर जाना चाहते थे. पर सुरक्षा एजेंसियों की इस करतूत के कारण हज यात्रा से वंचित हो गए थे. ऐसा सिर्फ कश्मीर में ही नहीं बल्कि जम्मू संभाग में भी हुआ है जहां आतंकियों के परिजनों तथा रिश्तेदारों को पासपोर्ट से वंचित किया जा चुका है.

इस संबंध में श्रीनगर के रीजनल पासपोर्ट अधिकारी कहते थे कि वे तो सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट मिलने के बाद ही संबंधित लोगों को पासपोर्ट जारी कर सकते हैं. अतः उनका इस मामले में सीधा कोई लेना-देना नहीं है.

याद रहे बिना सीआईडी रिपोर्ट के राज्य में पासपोर्ट नहीं मिलता है जबकि तत्काल पासपोर्ट की सुविधा जम्मू कश्मीर के लोगों को प्राप्त नहीं है. ऐसे में अगर पाक कब्जे वाले कश्मीर में  6 दिनों में पासपोर्ट मिल जाता है तो जम्मू कश्मीर में इसके लिए आपको 6 साल भी इंतजार करना पड़ सकता है.

Web Title: Jammu-Kashmir: Regional Passport Office refuses to issue passports to over one lakh Kashmiri citizens

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