जम्मू एवं कश्मीर में स्थानीय निकाय के चुनावों की सफलता के बाद शनिवार को पंचायत चुनाव का बिगुल बजने वाला है। शनिवार को पहले चरण का मतदान होना है। आतंकी खतरे के बीच हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं फिर भी डर बरकरार है। आतंकियों ने एक ग्रामीण की हत्या कर इस डर को और बढ़ाने की भी कोशिश की है। ऐसे में उम्मीदवारों को शाम को घरों से बाहर न निकलने की हिदायत दी गई है।
शनिवार को पहले चरण का मतदान होने जा रहा है। 17 नवंबर को होने वाले पहले चरण के पंचायत चुनाव को कामयाब बनाने के लिए प्रशासन व सुरक्षाबलों पूरी तरह से मुस्तैद है। मतदान 17 नवंबर से शुरू होकर 11 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान 316 ब्लॉक में 4483 पंचायत हलका के 3506 पंच निर्वाचन क्षेत्र के लिए 58 लाख 54 हजार 208 मतदाता वोट डालेंगे।
इससे पहले जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनाव 2011 में हुए थे। राज्य में पंचायत चुनाव काफी समय से टलते आ रहे थे। ऐसे हालात में ग्रामीण इलाकों में इस समय पंचायत चुनाव को लेकर काफी उत्साह है। जिन दूरदराज इलाकों में जल्द बर्फबारी होती है, वहां पर पहले मतदान करवाए जा रहे हैं। गैर राजनीतिक आधार पर होने वाले इस चुनाव में मतदान के दिन या फिर अगले दिन चुनाव के परिणाम की घोषणा कर दी जाएगी। मतदान का समय पूर्ववत सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक रहना है।
कश्मीर में 29 लाख 91 हजार मतदाता पंजीकृत हैं, जबकि जम्मू डिवीजन में 28 लाख 63 हजार 080 मतदाता हैं। मतदान केंद्रों के बारे में जागरूक करने के लिए उर्दू और अंग्रेजी भाषा में मतदाताओं को पर्ची दी जाएगी। चुनाव लड़ने के लिए किए जाने वाले खर्च की लिमिट सरपंच के लिए 20 हजार रुपये और पंच के लिए 5 हजार रुपये रखी गयी है। जिन स्थानों पर पहले बर्फबारी होती है उन स्थानों पर पहले चरण में मतदान रखा गया है। इसमें कश्मीर संभाग के बांदीपोरा, बारामुला, बडगाम, गांदरबल, कारगिल, कुपवाड़ा, लेह, श्रीनगर के साथ ही जम्मू संभाग के डोडा, कठुआ, किश्तवाड़, पुंछ, राजोरी, रामबन व उधमपुर के पहाड़ी इलाकों को रखा गया है।
आतंकियों की धमकियों और अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के फरमान के बीच हो रहे पंचायत चुनावों में 40 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मी प्रत्याशियों से लेकर मतदाताओं की सुरक्षा को यकीनी बनाने में जुटे हुए हैं। गौरतलब है कि राज्य में पिछले पंचायत चुनाव वर्ष 2011 में हुए थे। यह चुनाव वर्ष 2016 में दोबारा होने थे, लेकिन कानून व्यवस्था की स्थिति के चलते नहीं हो पाए थे।
पंचायत चुनावों की प्रक्रिया गत अक्टूबर में शुरू हुई थी और नौ चरणों में होने जा रहे पंचायत चुनावों के पहले चरण का मतदान 17 नवंबर को होने जा रहा है। आतंकी संगठनों ने इन चुनावों में भाग लेने वालों को जान से मारने की धमकी दे रखी है। हुर्रियत कांफ्रेंस समेत विभिन्न अलगाववादी संगठनों ने इन चुनावों के बहिष्कार का फरमान सुना रखा है।
राज्यपाल प्रशासन ने इन पंचायत चुनावों को सुरक्षित और एक निष्पक्ष वातावरण में संपन्न कराने के लिए पूरी रियासत में सुरक्षा का पुख्ता बंदोबस्त करने का दावा किया है। राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रहमण्यम ने भी गत दिनों एक बैठक में पंचायत चुनावों के सुरक्षा कवच का जायजा लिया है।
पंचायत चुनावों की सुरक्षा में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि पंचायत चुनावों का सुरक्षा चक्र हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनावों में उपलब्ध कराए गए सुरक्षा चक्र से ज्यादा विस्तृत और सख्त है।केंद्रीय अर्धसैनिकबलों की 400 कंपनियों जिनमें लगभग 40 हजार जवान और अधिकारी शामिल हैं, पंचायत चुनावों की सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे हैं। इनके अलावा सेना और राज्य पुलिस की सशस्त्र वाहिनियों को भी चुनावी ड्यूटी में तैनात किया गया है।
उन्होंने बताया कि चुनाव लड़ रहे पंच-सरपंचों की सुरक्षा को यकीनी बनाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र को सामान्य, संवेदनशील और अति संवेदनशील की श्रेणी में बांटते हुए सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। अस्थायी चौकियां बनाई गई हैं। इसके अलावा आतंकवाद प्रभावित इलाकों में रात्रिकालीन गश्त को भी बढ़ाया गया है। चौकी और पुलिस थाना क्षेत्र के आधार पर अधिकारियों को अपने अपने कार्याधिकार क्षेत्र में सक्रिय सभी शरारती तत्वों की गतिविधियों की सख्त निगरानी करने और राष्ट्रविरोधी तत्वों को गड़बड़ी करने से पहले ही एहतियातन हिरासत में लेने का निर्देश दिया गया है।
चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को कहा गया है कि वह सूर्यास्त के बाद चुनाव प्रचार से बचने के अलावा अजनबी लोगों से मिलने से बचें। अगर किसी को अपने घर के आसपास किसी पर कोई संदेह नजर आए तो तुरंतपुलिस चौकी या सुरक्षा शिविर को सूचित करें। इसके अलावा पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के जवानों की संयुक्त टुकड़ियां लगातार आतंकियों की धरपकड़ के लिए विभिन्न इलाकों में घेराबंदी कर तलाशी अभियान चला रही हैं।
इस बीच पंचायत चुनावों के पहले चरण के मतदान से पहले वीरवार की रात आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां में एक ग्रामीण को अगवा कर मौत के घाट उतार दिया। आतंकियों ने जिला शोपियां के सफनगरी इलाके से नदीम मुश्ताक नामक एक युवक को अगवा कर लिया। करीब आधे घंटे बाद लोगों ने गांव से कुछ दूरी पर गोलियों की आवाज सुनी। बताया जाता है कि गोलियों की आवाज सुनकर जब गांव से कुछ लोग मौके पर पहुंचे तो वहां नदीम का गोलियों से छलनी शव पड़ा था।