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अपने ही पिता के लागू किए गए कानून PSA के तहत फंसे फारूक अब्दुल्ला, डोजियर में लगे हैं ये गंभीर आरोप

By रामदीप मिश्रा | Updated: September 24, 2019 11:36 IST

फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके खिलाफ श्रीनगर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 14 सितंबर को पीएसए आदेश जारी किया गया था और वह पहले से ही अपने गुपकार रोड स्थित अपने निवास पर नजरबंद थे।

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ठळक मुद्देफारूक अब्दुल्ला के खिलाफ कड़े कानून जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत दिए गए डोजियर में उन पर पिछले तीन सालों में 27 आरोप, 16 पुलिस रिपोर्ट, तीन प्राथमिकी और 13 बयान दर्ज है। ये बयान अनुच्छेद 35ए की तरफदारी को लेकर दिए गए है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और श्रीनगर के सांसद फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ कड़े कानून जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत दिए गए डोजियर में उन पर पिछले तीन सालों में 27 आरोप, 16 पुलिस रिपोर्ट, तीन प्राथमिकी और 13 बयान दर्ज है। ये बयान अनुच्छेद 35ए की तरफदारी को लेकर दिए गए है। बता दें कि फारूक अब्दुल्ला अपने पिता स्वर्गीय शेख मोहम्मद अब्दुल्ला द्वारा लागू किए गए कानून जन सुरक्षा अधिनियम के तहत घर में कैद हैं। 

फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके खिलाफ श्रीनगर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 14 सितंबर को पीएसए आदेश जारी किया गया था और वह पहले से ही अपने गुपकार रोड स्थित अपने निवास पर नजरबंद थे। उसकी उम्र को ध्यान में रखते हुए उनके घर को सबसाइडरी जेल का दर्जा दिया गया है। वह अगले महीने 82 साल के हो जाएंगे। फारुक के खिलाफ की गई पीएसए की कार्रवाई में वर्ष 2016 से अब तक के सात मौकों का हवाला दिया गया है। 

फारूक अब्दुल्ला को लेकर डोजियर में लिखा है कि वे श्रीनगर जिले के भीतर और घाटी के अन्य हिस्सों में सार्वजनिक अव्यवस्था का वातावरण बनाने की क्षमता रखते हैं। यह बताता है कि भारत के खिलाफ आमजन की भावनाओं को धूमिल करने और आमजन को भारत की एकता और अखंडता के खिलाफ बयान देने के लिए उकसाया जाता रहा है।

राज्य के डोजियर में उनका बयान दर्ज है, जिसमें उन्होंने 2016 के दिसंबर में नसीमबाग हजरतबल में अपने पिता की 11वीं जयंती पर अलगाववादी समूह के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण बनाकर बयान दिया था और नए विवाद को जन्म दिया था। उन्होंने अलगाववादी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को कश्मीर को एकजुट करने की बात कही थी। 

अब्दुल्ला के खिलाफ आरोपों में एक बयान यह भी है कि उन्होंने आतंकवादियों को महिमा मंडित करके देश विरोधी तत्वों द्वारा किए गए आतंक के कृत्यों को सही ठहराया। जुलाई 2019 में उन्होंने बयान दिया था कि यदि अनुच्छेद 370 अस्थायी है, तो जम्मू और कश्मीर के भारत के साथ संबंध भी अस्थायी हैं।

टॅग्स :फारूक अब्दुल्लाजम्मू कश्मीर
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