Jammu Kashmir Assembly Elections 2024: जमायते इस्लामी ने उम्मीदवार मैदान में उतार चुनौती पैदा कर ही दी, एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 28, 2024 12:15 IST2024-08-28T12:15:46+5:302024-08-28T12:15:49+5:30
Jammu Kashmir Assembly Elections 2024: बेरोजगारी है और हत्याएं हो रही हैं। बुजुर्गों को 1,000 से 2,000 रुपये की मामूली वृद्धावस्था पेंशन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। हम सामाजिक न्याय के लिए काम करेंगे।

Jammu Kashmir Assembly Elections 2024: जमायते इस्लामी ने उम्मीदवार मैदान में उतार चुनौती पैदा कर ही दी, एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी
Jammu Kashmir Assembly Elections 2024: कश्मीर में जमायते इस्लामी ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार कर अन्य उम्मीदवारों के लिए चुनौती पैदा कर दी है। हालांकि नेकां के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जमायते इस्लामी के इस कदम का स्वागत जरूर किया है और कहा है कि इससे मुकाबला रोचक होगा। प्रतिबंधित जमायते इस्लामी जम्मू कश्मीर के कई पूर्व सदस्यों ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर नामांकन पत्र दाखिल किया था। जेल में बंद अलगाववादी कार्यकर्ता सरजन बरकती की बेटी सुगरा बरकती ने भी अपने पिता की ओर से नामांकन पत्र दाखिल किया।
हालांकि जमात केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के कारण चुनाव में भाग नहीं ले सकती, लेकिन प्रतिबंध हटने पर लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव में भाग लेने में इसने रुचि दिखाई थी। जमात ने 1987 के बाद किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया है और 1993 से 2003 तक अलगाववादी गठबंधन हुर्रियत कांफ्रेंस का हिस्सा रही है, जिसने चुनाव बहिष्कार की वकालत की थी। जमात के पूर्व सदस्य तलत मजीद ने पुलवामा निर्वाचन क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है।
इस अवसर पर मजीद ने पत्रकारों के साथ बात करते हुए कहा कि वर्ष 2008 से बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर विचार करने के बाद उन्हें अतीत की कुछ ’कठोरता‘ से दूर रहने की जरूरत महसूस हुई। उन्होंने कहा कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए मुझे लगा कि राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का समय आ गया है। मैं 2014 से ही अपने विचार खुलकर व्यक्त करता रहा हूं और आज भी मैं उसी एजेंडे को आगे बढ़ा रहा हूं।
मजीद ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जमात और हुर्रियत कांफ्रेंस जैसे संगठनों की भूमिका है। उन्होंने कहा कि जब हम कश्मीर के हालात की बात करते हैं तो हम वैश्विक स्तर पर स्थिति को नजरअंदाज नहीं कर सकते। कश्मीरियों के तौर पर हमें वर्तमान में जीना चाहिए और (बेहतर) भविष्य की ओर देखना चाहिए।
जमात के एक अन्य पूर्व नेता सयार अहमद रेशी भी कुलगाम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। रेशी ने लोगों से अपने विवेक के अनुसार मतदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को आशीर्वाद देना या अपमानित करना अल्लाह पर निर्भर करता है... लेकिन मैं लोगों से अपने विवेक के अनुसार मतदान करने की अपील करूंगा।
वे कहते थे कि हम सुधारों के लिए एक ऐतिहासिक आंदोलन शुरू करेंगे। रेशी ने स्वीकार किया कि युवाओं को खेलों से जोड़कर हिंसा से दूर किया गया है, लेकिन उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि युवाओं को बल्ले दिए गए हैं, लेकिन इससे उनका पेट नहीं भरेगा। बेरोजगारी है और हत्याएं हो रही हैं। बुजुर्गों को 1,000 से 2,000 रुपये की मामूली वृद्धावस्था पेंशन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। हम सामाजिक न्याय के लिए काम करेंगे।
याद रहे 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद भड़के उपद्रव के दौरान सुर्खियों में आए सरजन बरकती शोपियां जिले से चुनाव लड़ेंगे। उनकी बेटी सुगरा बरकती ने अपने पिता की ओर से नामांकन पत्र दाखिल किया, जो आतंकवाद के आरोप में जेल में हैं। जम्मू कश्मीर में 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं।