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लद्दाख के बाद अब सियाचिन, 36 सालों से भारतीय फौज तैनात, पाक सेना की बुरी नजर, पढ़िए विशेष रिपोर्ट

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: July 7, 2020 17:11 IST

सियाचिन हिमखंड पर प्रतिदिन सेना व वायुसेना 10 करोड़ की राशि खर्चा करती है। और अब ठीक इसी प्रकार का नया आर्थिक बोझ  लद्दाख के मोर्चे पर उठाना पडे़गा, क्योंकि चीन के बढ़ते कदमों को रोकना लाजिमी है।

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ठळक मुद्देलेह स्थित 14 कोर ने वहां दोगुने सैनिकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पिछले महीने माल-असबाब जुटाना शुरू कर दिया था।ठंड के लिए सामग्री जुटाने का काम जून में शुरू हो जाता है और चार महीनों में यानी ठंड की दस्तक होने से ठीक पहले सितंबर तक पूरा होता है।कश्मीर और लद्दाख जाने वाले प्रमुख दर्रे और रास्ते बर्फबारी की वजह से बंद हो जाते हैं तब इनका इस्तेमाल किया जा सके।

जम्मूः लद्दाख का मोर्चा अब सियाचिन से भी महंगा साबित होगा, क्योंकि सर्दियों में भी टिके रहने की तैयारी हो रही है। यह तैयारी ठीक सियाचिन हिमखंड की ही तरह की है जहां 36 सालों से भारतीय फौज पाक सेना के कुत्सित इरादों को दबाने की खातिर तैनात है।

सियाचिन हिमखंड पर प्रतिदिन सेना व वायुसेना 10 करोड़ की राशि खर्चा करती है। और अब ठीक इसी प्रकार का नया आर्थिक बोझ  लद्दाख के मोर्चे पर उठाना पडे़गा, क्योंकि चीन के बढ़ते कदमों को रोकना लाजिमी है। रक्षा सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है कि लेह स्थित 14 कोर ने वहां दोगुने सैनिकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पिछले महीने माल-असबाब जुटाना शुरू कर दिया था।

ठंड के लिए सामग्री जुटाने का काम जून में शुरू हो जाता है और चार महीनों में यानी ठंड की दस्तक होने से ठीक पहले सितंबर तक पूरा होता है। पेट्रोल केरोसिन, अनाज और दालें ट्रकों से लेह पहुंचाई जाती हैं ताकि ठंड में जब कश्मीर और लद्दाख जाने वाले प्रमुख दर्रे और रास्ते बर्फबारी की वजह से बंद हो जाते हैं तब इनका इस्तेमाल किया जा सके।

ऊंचाई पर ठंड के दौरान करीब 800 किलो सामग्री की जरूरत पड़ती है

एक सैनिक के लिए इतनी ऊंचाई पर ठंड के दौरान करीब 800 किलो सामग्री की जरूरत पड़ती है। ताजे फल और सब्जियां वायुसेना के बड़े मालवाहक विमानों के जरिये चंडीगढ़ से यहां पहुंचाई जाती हैं। भोजन के अलावा वहां तैनात सैनिकों को ऊंचाई की क्रूर और जानलेवा ठंड से बचाने की भी जरूरत होती है।

वहां तापमान शून्य से 40 से 50 डिग्री तक नीचे चला जाता है। पेंगोंग झील की तरह सिंधु, श्योक जैसी नदियां भी जम जाती हैं। पाइपों में भी पानी जम जाता है और पानी गरम करने से लेकर खाना बनाने तक हर काम के लिए केरोसिन की जरूरत होती है। इसी के मद्दनजर पिछले महीने चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद भारतीय सेना ने आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) से अत्यंत ठंडे मौसम (ईसीसी) में पहने जाने वाले कपड़ों की डिलिवरी तेज करने को कहा है।

सेना चाहती है कि ओएफबी कानपुर में बने तीन परतों वाले ईसीसी 80,000 जोड़ी कपड़ों की डिलिवरी जल्द से जल्द करे। हरेक वस्त्र शून्य से 50 डिग्री नीचे के तापमान और 40 किलोमीटर प्रति घंटे से चलने वाली हवाओं के बीच सैनिकों को बचाने के लिए डिजाइन किया गया है। ये इस बात संकेत है कि सेना मानकर चल रही है कि लद्दाख सेक्टर में तैनाती लंबे समय तक रह सकती है।

किसी भी हालत में यह प्रक्रिया महीनों तक चलना तय

हालांकि एलएसी के नजदीक टकराव के बिंदुओं पर तनाव घटाने और सैनिक हटाने का फैसला हुआ है लेकिन किसी भी हालत में यह प्रक्रिया महीनों तक चलना तय है क्योंकि ठंड तक तो सैनिक वहां तैनात ही रहेंगे। सेना का कहना है कि सप्लाई लाइन सीमित होने पर भी उसे ठंड का मौसम भी गुजार लेने की उम्मीद है।

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बीते वर्षों में हमने लद्दाख में बहुत सारी सुविधाएं तैयार कर ली हैं। इसलिए हमें यहां बस काम शुरू करने की जरूरत है। हमारे सैनिक बहुत साहसी और किसी भी माहौल में ढल जाने वाले हैं। जानकारी के लिए भारत को छोड़कर किसी भी देश की सेना इतनी ऊंचाई पर सेना तैनात नहीं करती।

ये सब ज्यादातर 1999 के करगिल युद्ध के बाद से शुरू हुआ जब करगिल में भारतीय सेना की ओर से खाली छोड़ी गई चौकियों पर पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ कर कब्जा कर लिया। तब से सेना ने 150 किमी लंबी एलओसी पर सर्दी में भी निगरानी शुरू कर दी। एलओसी पर 12 हजार से 20 हजार फुट की ऊंचाई पर 200 चौकियां स्थापित की गई हैं। जबकि 1984 से ही सियाचिन में तैनाती की जा चुकी है।

सेना ने जून में लेह में तैनात 14 कोर के तहत तैनात मौजूदा दो डिविजनों के अलावा दो और इन्फेंट्री डिविजन (करीब 30,000 सैनिक) लद्दाख सेक्टर में सुरक्षा बढ़ाने के लिहाज से तैनात की हैं। इनमें से एक डिविजन दूसरे चीन यानी पाकिस्तान से भी मुकाबले को तैनात है।

एलएसी को बदलने की चीनी सेना की सबसे बड़ी कोशिश से निपटने में सेना की तीन से ज्यादा तैनात डिविजनों को एयरफोर्स के हथियारों से लैस अपाचे लड़ाकू हेलीकाप्टरों, एसयू-30-जेट और सी-17 हैवी लिफ्टर्स का साथ मिल रहा है। 

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