कुलगाम में शहीद डीएसपी अमन ठाकुर की हैरान कर देने वाली कहानी, दो सरकारी नौकरी छोड़ पुलिस में आये थे

By भाषा | Published: February 25, 2019 08:38 AM2019-02-25T08:38:14+5:302019-02-25T08:38:14+5:30

दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम जिले में उनके कार्यकाल के दौरान ठाकुर कई तिमाही से बहादुरी का पुरस्कार जीत रहे थे।

jammu and kashmir kulgam encounter dsp aman thakur left govt jobs to join police | कुलगाम में शहीद डीएसपी अमन ठाकुर की हैरान कर देने वाली कहानी, दो सरकारी नौकरी छोड़ पुलिस में आये थे

अमन ठाकुर (फाइल फोटो)

Highlightsकुलगाम में एनकाउंटर में डीएसपी अमन ठाकुर हुए शहीददो नौकरियां छोड़ जम्मू-कुश्मीर पुलिस में हुए थे शामिलडोडा क्षेत्र में गोगला जिले के रहने वाले थे अमन ठाकुर, 2011 बैच के अधिकारी

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में रविवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) अमन ठाकुर को पुलिस बल में शामिल होने का जुनून इतना अधिक था कि वह दो सरकारी नौकरियां छोड़कर पुलिस में शामिल हुए थे।

ठाकुर की उम्र करीब 40 साल थी। पहली नौकरी उन्हें समाज कल्याण विभाग में मिली थी। इसके बाद वह एक सरकारी कॉलेज में लेक्चरर के पद पर नियुक्त हुए थे, जो जंतु विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री के कारण मिली थी।

वर्दी पहनने का था जुनून

पुलिस विभाग में उनके एक करीबी मित्र ने बताया कि ठाकुर हमेशा से ही पुलिस बल में शामिल होना चाहते थे और उन्हें वर्दी पहनने का जुनून था। डोडा क्षेत्र में गोगला जिले के रहने वाले ठाकुर 2011 बैच के जम्मू कश्मीर पुलिस सेवा के अधिकारी थे। अब उनके परिवार में बुजुर्ग माता-पिता और पत्नी सरला देवी तथा छह साल के बेटे आर्य हैं।

पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह इस युवा पुलिस अधिकारी के साथ अपनी कई मुलाकातों को याद करते हुए अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके। सिंह ने कहा, 'वह हमेशा जोश से लबरेज रहते और सामने से अपनी टीम का नेतृत्व करते।' 

दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम जिले में उनके कार्यकाल के दौरान ठाकुर कई तिमाही से बहादुरी का पुरस्कार जीत रहे थे। ठाकुर के सर्वोच्च बलिदान के लिये उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सिंह ने कहा, 'दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं ठाकुर के परिवार के साथ हैं।' 

उनके मित्र उन्हें उनकी सादगी, साफगोई और पेशेवर अंदाज के लिये याद करते हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'वह अपने दृढ़ संकल्प और बहादुरी के लिये जाने जाते हैं। अपने मददगार स्वभाव और पेशेवराना रुख के कारण बेहद कम समय में ही उन्होंने इलाके के स्थानीय लोगों का प्यार, सम्मान और प्रशंसा हासिल की।'

अपने उल्लेखनीय योगदान के लिये हाल में वह डीजीपी पदक एवं प्रशंसा पुरस्कार से सम्मानित किये गये थे। उनकी बहादुरी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में उनके साहस के लिये उन्हें शेर-ए-कश्मीर वीरता पदक से सम्मानित किया गया।

जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने ठाकुर की शहादत पर दुख प्रकट किया है। उन्होंने उनके परिजन के प्रति अपनी सहानुभूति और एकजुटता जतायी।

अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में रविवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में ठाकुर के साथ दो जवान शहीद हो गये। मुठभेड़ में सेना के एक मेजर और दो सैनिक घायल हो गये हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादियों को मार गिराया।

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