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LAC पर तनावः भारत और चीन में सहमति, अधिक सैनिक न भेजने, जमीनी स्थिति को एकतरफा ढंग से न बदलने पर सहमत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 22, 2020 21:57 IST

दोनों पक्ष अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिक न भेजने, जमीनी स्थिति को एकतरफा ढंग से न बदलने पर सहमत हुए। भारतीय और चीनी सेना ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए सहमत हैं जो स्थिति को जटिल बना सकती हैं।

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ठळक मुद्देभारतीय सेना ने कहा कि भारत और चीन की सेनाएं आपस में संपर्क मजबूत करने और गलतफहमी तथा गलत निर्णय से बचने पर सहमत हुईं।पूर्वी लद्दाख में अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित टकराव बिंदुओं के पास तनाव कम करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सैन्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

नई दिल्लीः भारतीय सेना ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई वार्ता के संबंध में कहा कि एलएसी पर स्थिति को स्थिर करने के मुद्दे पर दोनों पक्षों ने गहराई से विचारों का अदान-प्रदान किया। दोनों पक्ष भारत और चीन के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति के ईमानदारी से क्रियान्वयन पर सहमत हुए।

भारतीय सेना ने कहा कि भारत और चीन की सेनाएं आपस में संपर्क मजबूत करने और गलतफहमी तथा गलत निर्णय से बचने पर सहमत हुईं। दोनों पक्ष अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिक न भेजने, जमीनी स्थिति को एकतरफा ढंग से न बदलने पर सहमत हुए। भारतीय और चीनी सेना ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए सहमत हैं जो स्थिति को जटिल बना सकती हैं।

भारतीय सेना ने कहा कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द सैन्य कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता करने पर सहमत हुए।  दोनों पक्ष समस्याओं को उचित ढंग से सुलझाने, सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने पर सहमत हुए।

भारत और चीन के बीच 14 घंटे चली छठे दौर की सैन्य वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख में अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित टकराव बिंदुओं के पास तनाव कम करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले सैन्य अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

दोनों पक्षों ने वार्ता आगे बढ़ाने के लिए फिर से बैठक करने पर सहमति जताई

उन्होंने कहा कि इस मैराथन वार्ता का परिणाम सोमवार को तत्काल पता नहीं चला है, लेकिन ऐसा समझा जाता है कि दोनों पक्षों ने वार्ता आगे बढ़ाने के लिए फिर से बैठक करने पर सहमति जताई है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि वार्ता के दौरान भारतीय पक्षों ने सभी टकराव बिंदुओं से चीनी बलों को शीघ्र एवं पूरी तरह हटाए जाने पर जोर दिया। भारत ने इस बात पर भी जोर दिया कि तनाव कम करने के लिए पहले कदम चीन को उठाना है।

एक सूत्र ने कहा, ‘‘तनाव कम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।’’ दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने सीमा पर मई की शुरुआत से जारी टकराव को खत्म करने के लिए भारत एवं चीन के बीच 10 सितंबर को हुए पांचसूत्री द्विपक्षीय समझौते के क्रियान्वयन पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।

ऐसा समझा जाता है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के इतर विदेश मंत्री एस जयशंकर तथा उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते को निश्चित समय-सीमा में लागू करने पर जोर दिया।

सूत्रों ने बताया कि वार्ता का एजेंडा पांच सूत्री समझौते के क्रियान्वयन की निश्चित समयसीमा तय करना था। समझौते का लक्ष्य तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करना है, जिसके तहत सैनिकों को शीघ्र वापस बुलाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचना, सीमा प्रबंधन संबंधी सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाली के लिए कदम उठाना जैसे उपाय शामिल हैं।

चीन ने डोकलाम गतिरोध के बाद एलएसी पर अपने हवाई रक्षा ठिकानों, हेलीपोर्ट की संख्या दोगुनी की: रिपोर्ट

चीन ने 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पूरी तरह से नए कम से कम 13 सैन्य ठिकानों का निर्माण शुरू कर दिया है जिनमें तीन हवाई प्रतिष्ठान, पांच स्थायी हवाई रक्षा ठिकाने और पांच हेलीपोर्ट शामिल हैं। यह बात वैश्विक सुरक्षा सलाहकार संस्था ‘स्ट्रैटफॉर’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कही है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नए हेलीपोर्ट में से चार का निर्माण मई में पूर्वी लद्दाख में हालिया गतिरोध सामने आने के बाद शुरू हुआ है।

इसमें कहा गया है, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि 2017 के डोकलाम गतिरोध ने चीन के रणनीतिक उद्देश्यों को बदल दिया है और वह पिछले तीन साल से भारतीय सीमा के पास अपने हवाई प्रतिष्ठानों, हवाई रक्षा ठिकानों और हेलीपोर्ट की संख्या दोगुनी से भी ज्यादा कर रहा है।’’ सुरक्षा विशेषज्ञ सिम टैक द्वारा लिखी गई यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी हुई। इसमें कहा गया है कि भविष्य की सैन्य क्षमता वाले चीन के निर्माण अभियान से भारत के साथ उसका दीर्घकालिक क्षेत्रीय तनाव पैदा होगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि राफेल लड़ाकू विमानों की हालिया खरीद ने भारत को थोड़ी राहत देनी शुरू कर दी है, लेकिन स्वदेशी उत्पादन और विदेशी खरीद से भारतीय वायुसेना की शक्ति के वास्तविक पुनर्निर्माण को देखने के लिए अभी और अधिक समय की जरूरत होगी। इसमें कहा गया है कि लद्दाख क्षेत्र में जारी तनाव ने चीन के चल रहे सैन्य ढांचा अभियान के जवाब में भारतीय प्रतिक्रिया नीति की शुरुआत कर दी है।

रिपोर्ट ‘ए मिलिटरी ड्राइव स्पेल्स आउट चाइनाज इंटेंट अलांग द इंडियन बॉर्डर’ में कहा गया है कि चीन के स्थायी सैन्य ढांचे का तेजी से विस्तार बीजिंग के इरादों को स्पष्ट करता है। इसमें कहा गया है, ‘‘भारत और चीन के सैनिकों के बीच जून 2017 में डोकलाम में तनातनी हुई। तभी से, चीन ने भारत की सीमा के नजदीक पूरी तरह नए कम से कम 13 सैन्य ठिकानों का निर्माण शुरू कर दिया है जिनमें तीन हवाई प्रतिष्ठान, पांच स्थायी हवाई रक्षा ठिकाने और पांच हेलीपोर्ट शामिल हैं।’’

वर्ष 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था जिससे परमाणु संपन्न दोनों देशों के बीच युद्ध का खतरा उत्पन्न हो गया था। कई दौर की वार्ता के बाद इस गतिरोध का अंत हुआ था। दोनों देशों की सेनाओं के बीच गत मई से पूर्वी लद्दाख में कई जगह तनातनी जारी है। गलवान घाटी में संघर्ष के बाद हाल में दोनों पक्षों के बीच पैंगोंग सो क्षेत्र में भी टकराव हुआ था। वर्तमान गतिरोध 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद सबसे बड़े सैन्य गतिरोध में तब्दील होता जा रहा है। दोनों देशों की सेनाएं भारी अस्त्र-शस्त्रों के साथ एक-दूसरे के सामने खड़ी हैं। 

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