जामिया हिंसा: लाइब्रेरी में खून के धब्बे, आंसू गैस के गोले छोड़े गए, पढ़ें 15 दिसंबर को हुआ क्या था

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 17, 2019 10:40 IST2019-12-17T10:40:58+5:302019-12-17T10:40:58+5:30

यूनिवर्सिटी में गार्ड के रूप में कार्यरत मोहम्मद इरशाद खान ने कहा कि उन्होंने लगभग तीन दर्जन पुलिसकर्मियों को पुस्तकालयों के परिसर में घुसने से रोकने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उनके वायरलेस सेट को छीन लिया और गिरने तक उन पर डंडों की बारिश कर दी।

Jamia violence: blood stains, tear gas shells left in library, read full story | जामिया हिंसा: लाइब्रेरी में खून के धब्बे, आंसू गैस के गोले छोड़े गए, पढ़ें 15 दिसंबर को हुआ क्या था

एएफपी फोटो

Highlightsदिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्होंने पुस्तकालय भवनों में प्रवेश नहीं किया और छात्रों के साथ मारपीट नहीं की है। विश्वविद्यालय और छात्रों का दावा दिल्ली पुलिस से अलग है.

15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और उसके आस-पास के इलाकों में हुई हिंसा को लेकर छात्र और दिल्ली पुलिस द्वारा अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने हिंसा मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कहा है कि उनमें से कोई भी छात्र नहीं है। हिंसा के दो दिन बीत जाने के बाद भी जामिया यूनिवर्सिटी में उसके निशान देखे जा सकते हैं।

हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार, जामिया के अंदर जगह-जगह कपड़े बिखरे पड़े हुए थे। टूटी खिड़की के शीशों को कपड़ों से ढक दिया गया है। फर्श पर खून की बूंदें, इस्तेमाल किए गए आंसू गैस के गोले के टूटे हुए टुकड़े, सीढ़ियों पर खुली हुई पाठ्यपुस्तकें, साथ में फेंके गए बैग, टूटे हुए सीसीटीवी कैमरे जैसे मंजर मौजूद हैं।

इमारत में दो लाइब्रेरी है और दोनों एक-दूसरे से 100 मीटर की दूरी पर मौजूद है। दोनों जगह के दृश्य एक जैसे हैं। सिनेमा स्टडीज के एमफिल शोध के छात्र निहाल अहमद ने सोमवार दोपहर को फर्श पर जीन्स को देखते हुए कहा, "मुझे नहीं पता कि ये कपड़े यहां क्यों छोड़े गए हैं।" 

रविवार शाम को हुई हिंसा के बारे में वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, शाम 6 बजे से 7.30 बजे के बीच कई छात्र नई लाइब्रेरी में बैठे थे। छात्र सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए पढ़ाई कर रहे थे जो इस सप्ताह होने वाला है। प्रत्यक्षदर्शियों और पुस्तकालय कर्मचारियों के अनुसार, अचानक एक आंसू गैस का गोला कमरे में घुसा, जो खिड़की पर लगे कांच को चकनाचूर कर देता है। हैरान छात्र दौड़ने लगे। पुस्तकालय के कर्मचारियों ने बताया, आंसू गैस फटने से आंख, कान और नाक में जलन होने लगी और गोले का असर बहुत तेजी से कमरे में फैल गया। बहुत सारे छात्रों ने बताया है कि हवा आने के लिए कांच की दीवारों को तोड़ दिया गया। कांच के टूटे हुए हिस्से से कई घायल भी हुए। कुछ छात्र नई लाइब्रेरी के टॉप फ्लोर की ओर भागे। कुछ छात्रों ने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया और कई डेस्क के नीचे छिप गए।

दिल्ली पुलिस ने कहा कि उन्होंने पुस्तकालय भवनों में प्रवेश नहीं किया और छात्रों के साथ मारपीट नहीं की है। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता मनदीप सिंह रंधावा ने कहा कि हिंसक प्रदर्शनकारियों का पीछा करते हुए हमारे कर्मी परिसर में घुस गए, उन्हें पीछे धकेलने और स्थिति को संभालने के लिए उन पर पथराव, ट्यूबलाइट, बल्ब, बोतलें फेंकी गईं। दिल्ली पुलिस ने कहा, “कोई भी पुलिस कर्मी पुस्तकालय के अंदर नहीं गया और न ही उसने बर्बरता की। आंसू गैस के गोले पुस्तकालय के अंदर चले गए होंगे क्योंकि यह उन स्थानों के करीब था जहां से हिंसक प्रदर्शनकारियों को निकाला जा रहा था। ” हालांकि छात्र और कर्मचारी का दावा अलग है।

पुस्तकालय कर्मचारी मुख्तार अहमद ने कहा, मैंने सुबह एक मंजिल से खून पोंछना शुरू किया लेकिन फिर मैंने इसे छोड़ दिया। निहाल अहमद बताते हैं, दो घंटे के अंतराल में पुलिस दो बार लाइब्रेरी भवन में लौटी। दूसरी बार उन्होंने कुछ छात्रों को हवा में हाथ उठवाया और कुछ दूरी पर जाकर छोड़ दिया। कम से कम 50 छात्रों को पुरानी लाइब्रेरी से कालकाजी और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में ले जाया गया।

पुराने भवन में बैठे साजिद इकबाल ने बताया, 'मैं एक किताब पढ़ रहा था जब दर्जनों पुलिसकर्मियों ने अंदर जाने के लिए दरवाजा खोला। मुझपर डंडों से तब तक बारिश की गई जब तक मैंने अपना बचाव करने के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाया। इकबाल के हाथ में फ्रैक्चर था और उंगलियों में सूजन थी।' पुलिस ने उसे हिरासत में नहीं लिया था।

सिर्फ छात्रों ने यह दावा नहीं किया कि वे पुलिस द्वारा पीटे गए थे। यूनिवर्सिटी में गार्ड के रूप में कार्यरत मोहम्मद इरशाद खान ने कहा कि उन्होंने लगभग तीन दर्जन पुलिसकर्मियों को पुस्तकालयों के परिसर में घुसने से रोकने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उनके वायरलेस सेट को छीन लिया और गिरने तक उन पर डंडों की बारिश कर दी। खान ने अपने चोटिल शरीर को दिखाते हुए कहा कि मैं मजबूत आदमी हूं इसलिए बच गया। विश्वविद्यालय में एक और पूर्व सैनिक गार्ड मोहम्मद यूनुस के सिर पर भी प्रहार किया गया था।

Web Title: Jamia violence: blood stains, tear gas shells left in library, read full story

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