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जेल सुधार संगठन उम्र कैद की सज़ा काट रही महिला समेत कई कैदियों को करेगा पुरस्कृत

By भाषा | Updated: December 7, 2021 16:12 IST

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नयी दिल्ली, सात दिसंबर हरियाणा में करनाल की जिला जेल में बंद 39 वर्षीय सोनिया चौधरी को सुनाई गई फांसी की सज़ा को 2004 में अंतिम सांस तक कारावास में तब्दील कर दिया गया था। जेल में 21 बरस का लंबा अरसा गुज़ार चुकी चौधरी को एक जेल सुधार संगठन बेहतर काम के लिए पुरस्कृत कर रहा है।

‘तिनका तिनका फाउंडेशन’ की संस्थापक वर्तिका नंदा ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में बताया कि इस वर्ष 12 बंदियों को पेंटिंग श्रेणी में पुरस्कृत किया जाएगा, जबकि दो बंदियों को जेल जीवन में उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा।

बयान के मुताबिक, दो जेल कर्मचारियों को उनके विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया जा रहा है । संगठन 2015 से हर साल जेल में बंद कैदियों और जेल कर्मियों को उनके कामों के लिए पुरस्कृत करता है।

उन्होंने बताया कि दो महिला बंदियों को ‘तिनका तिनका बंदिनी’ पुरस्कार दिया जा रहा है, जिनमें से एक चौधरी हैं, जिन्हें सुनाई गई मौत की सज़ा को 2004 में अंतिम सांस तक कारावास में बदल दिया गया था।

नंदा के मुताबिक, चौधरी को यह पुरस्कार “जेल रेडियो के संचालन, तिनका तिनका जेल रिसर्च सेल के ज़रिये जेल के टेलीफोन और जेल रेडियो पर शोध, जेल की ज़िंदगी को रंगों और साहित्य के जरिए सहजने के लिए दिया जा रहा है।”

उन्होंने बताया कि ‘तिनका तिनका बंदिनी’ पुरस्कार पाने वाली दूसरी महिला कैदी 25 वर्षीय पलक पुराणिक हैं। मध्य प्रदेश की इंदौर जिला जेल में जनवरी 2019 से बंद पुराणिक को यह पुरस्कार नर्स / कंपाउंडर के रूप में उनकी सेवा के लिए दिया जा रहा है। नंदा ने बताया, “ पुराणिक के पूर्व के नर्सिंग के ज्ञान के कारण पिछले दो वर्षों में अन्य महिला कैदियों को काफी मदद मिली, खासकर कोविड -19 के दौरान।”

उन्होंने बताया कि ‘विशेष उल्लेख श्रेणी’ में दो बंदियों-- गुजरात के राजपीपला की जिला जेल के 37 वर्षीय आशीष कपिलभाई नंदा और महाराष्ट्र की नासिक केंद्रीय जेल में बंद रजनीश मोहनलाल ठाकुर को पुरस्कृत किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि नासिक की केंद्रीय जेल में महामारी के दौरान 1700 से अधिक बंदियों को कॉल करने की अनुमति दी गई थी और जेल में बंद 53 वर्षीय ठाकुर ने इसका संपूर्ण डेटा और कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया था।

उन्होंने बताया, “जेल में विशेष कार्य के लिए इस साल भारत भर से दो जेलकर्मियों को चुना गया है। इसमें फरीदाबाद की जेल के अधीक्षक जय किशन छिल्लर (57) और नासिक रोड केंद्रीय जेल के जेलर 53 वर्षीय अशोक शिवराम करकरे शामिल हैं। छिल्लर ने इग्नू के जरिए शिक्षा को बढ़ावा दिया है, जबकि करकरे बंदियों को कोरोना वायरस से बचाने के लिए लगातार तीन महीने तक जेल में ही रहे।”

नंदा ने बताया कि यह पुरस्कार नौ दिसंबर को भोपाल के केंद्रीय कारागार में दिए जाएंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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