नयी दिल्ली, 17 फरवरी आईटीबीपी और डीआरडीओ की एक संयुक्त टीम उत्तराखंड के चमोली जिले में ऊंचाई पर बनी कृत्रिम झील वाले स्थान तक बुधवार को पहुंच गयी। हाल में हिमखंड टूटने के कारण अचानक आयी बाढ़ के बाद शायद यह झील बनी है।
अधिकारियों ने बताया कि झील मुरेंडा में बनी है, जहां तक जाने के लिए रैनी गांव से करीब पांच-छह घंटे लग जाते हैं।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता विवेक कुमार पांडे ने बताया, ‘‘झील तक जाने वाले यह पहली टीम है। आईटीबीपी तथा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के कर्मी हाल में अचानक आयी बाढ़ के कारण बनी कृत्रिम झील से संभावित खतरे का आकलन करेंगे।’’
इससे पहले हेलिकॉप्टर से झील का निरीक्षण किया गया था। उपग्रह की तस्वीरों का भी इस्तेमाल हुआ था।
उन्होंने कहा कि आईटीबीपी के सहायक कमांडेंट शेर सिंह बुटोला के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम एक कैंप लगाएगी और झील के निकट हैलिपैड तैयार करेगी ताकि हेलिकॉप्टर से और विशेषज्ञों तथा अन्य सामानों को वहां पहुंचाया जा सके। इससे निचले क्षेत्र के गांवों और आधारभूत संरचना को खतरे के बारे में संभावित खतरे का विश्लेषण किया जााएगा।
पांडे ने कहा कि इस टीम में जोशीमठ में स्थित आईटीबीपी की पहली बटालियन के कर्मी, औली स्थित पर्वतारोहरण संस्थान के पर्वतारोही और एक स्थानीय गाइड भी है।
झील के पानी के बहाव का रास्ता भी बनाया जाएगा ताकि किसी तरह का खतरा ना हो।
बल ने झील की कुछ तस्वीरें और वीडियो भी साझा किया है। अधिकारियों ने कहा कि यह झील 250 मीटर तक चौड़ी है जबकि इसकी गहराई के बारे में कुछ नहीं बताया।
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘सात फरवरी को हिमखंड टूटने के बाद अलकनंदा नदी में अचानक तेज प्रावह के कारण शायद यह झील बनी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘झील के बारे में अध्ययन करना जरूरी है ताकि किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहा जा सके और इसके टूटने की स्थिति में पहले ही चेतावनी जारी कर दी जाए।’’
उत्तराखंड में सात फरवरी को अचानक आयी विकराल बाढ़ में मृतकों की संख्या 58 हो गयी है जबकि 146 लोग लापता हैं।
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