उत्तराखंड में बाघ स्थानांतरण परियोजना को आगे बढने में अभी लगेगा और समय

By भाषा | Updated: January 18, 2021 14:18 IST2021-01-18T14:18:03+5:302021-01-18T14:18:03+5:30

It will take more time to move forward the tiger transfer project in Uttarakhand | उत्तराखंड में बाघ स्थानांतरण परियोजना को आगे बढने में अभी लगेगा और समय

उत्तराखंड में बाघ स्थानांतरण परियोजना को आगे बढने में अभी लगेगा और समय

ऋषिकेश, 18 जनवरी हाल में कार्बेट बाघ संरक्षित क्षेत्र से राजाजी अभयारण्य में स्थानांतरित किए गए एक नर और एक मादा बाघ के अपने नए परिवेश में पूरी तरह ढल जाने के बाद ही उत्तराखंड में बाघ स्थानांतरण परियोजना को आगे बढ़ाया जाएगा। अधिकारियों ने इस बारे में बताया।

इसका मतलब यह है कि दो और बाघिनों तथा एक अन्य बाघ के कार्बेट से राजाजी अभयराण्य में प्रस्तावित स्थानांतरण में अभी कुछ और समय लग सकता है।

उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने बताया, ‘‘प्रदेश के वन विभाग को यह सूचना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के उपमहानिरीक्षक (वन) सुरेंद्र मेहरा ने एक पत्र के जरिए दी है।’’

एनटीसीए का पत्र हाल में कार्बेट से राजाजी अभयारण्य में स्थानांतरित किए गए एक नर बाघ के मोतीचूर रेंज स्थित बाडे़ से अपना रेडियो कॉलर निकालकर भाग जाने की घटना के कुछ ही दिन बाद आया है।

संपर्क किए जाने पर मेहरा ने बताया, ‘‘कार्बेट तथा राजाजी के पश्चिमी हिस्से के परिवेश में काफी अंतर है। सबसे बड़ा फर्क तो यह है कि राजाजी अभयारण्य के पश्चिमी हिस्से से 19 किलोमीटर लंबा रेलवे ट्रैक गुजरता है।’’

उन्होंने कहा कि दोनों बाघ जब तक नए माहौल में पूरी तरह ढल नहीं जाते, तब तक क्षेत्र में गहन गश्त और सतर्कता बरती जाएगी तथा राजाजी अभयारण्य में और बाघों के स्थानांतरण के लिए इंतजार करना होगा। स्थानांतरित किए गए दोनों बाघों की स्थिति पर कैमरे से नजर रखी जा रही है।

मेहरा ने सुझाव दिया कि वन विभाग को राजाजी के पश्चिमी भाग में निगरानी बढ़ाने के लिए अपने पालतू हाथियों के जरिए गश्त करनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘रेडियो कॉलर के अभाव में हाथियों के जरिए गश्त लगाकर बाघों की गतिविधियों पर नजर रखना एक प्रभावी वैकल्पिक तरीका है। इसके अलावा बाघों की बेहतर निगरानी के लिए वन रक्षकों को वायरलेस संचार प्रणाली का इस्तेमाल करने तथा देहरादून वन प्रभाग से ज्यादा समन्वय स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।’’

मेहरा ने कहा कि राजाजी अभयारण्य के बाहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से भी संवाद स्थापित किया जाना चाहिए जिससे वे जंगलों में नहीं जाएं और बाघ की गतिविधि देखे जाने पर तुरंत अधिकारियों को सूचित करें।

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Web Title: It will take more time to move forward the tiger transfer project in Uttarakhand

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