अपने चिकित्सकीय रिकॉर्ड हासिल करना कैदियों का मौलिक अधिकार है: बंबई उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: May 21, 2021 21:03 IST2021-05-21T21:03:46+5:302021-05-21T21:03:46+5:30

It is the fundamental right of prisoners to obtain their medical records: Bombay High Court | अपने चिकित्सकीय रिकॉर्ड हासिल करना कैदियों का मौलिक अधिकार है: बंबई उच्च न्यायालय

अपने चिकित्सकीय रिकॉर्ड हासिल करना कैदियों का मौलिक अधिकार है: बंबई उच्च न्यायालय

मुंबई, 21 मई बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि अपने चिकित्सकीय रिकॉर्ड प्राप्त करना सभी कैदियों का मौलिक अधिकार है।

न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तावडे की पीठ ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी वकील-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को उनके चिकित्सकीय रिकॉर्ड मुहैया कराने का महाराष्ट्र जेल प्राधिकारियों को आदेश दिया और कहा कि यह राहत राज्य के सभी कैदियों को दी जानी चाहिए।

भारद्वाज की बेटी ने वरिष्ठ वकील युग चौधरी के जरिए पिछले सप्ताह अदालत में याचिका दायर करके अपनी मां को चिकित्सकीय सहायता और भारद्वाज के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्हें अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया था।

चौधरी ने शुक्रवार को पीठ से कहा कि याचिका दायर किए जाने के बाद भारद्वाज को सरकारी जेजे अस्पताल ले जाया गया और आवश्यक चिकित्सकीय उपचार मुहैया कराया गया, इसलिए इस समय वह भारद्वाज की चिकित्सकीय आधार पर जमानत के लिए अनुरोध नहीं करेंगे।

उन्होंने अदालत से अपील की कि वह राज्य में सभी कैदियों को उनके चिकित्सकीय रिकॉर्ड मुहैया कराने और अस्पताल या जेल के बाहर किसी चिकित्सकीय जांच के लिए जाने के बाद अपने परिवार या वकील से फोन पर बात करने की अनुमति देने का निर्देश दे।

चौधरी ने कहा कि इस प्रकार का कोई आदेश जारी नहीं होने के कारण कैदियों को अपने चिकित्सकीय रिकॉर्ड या जांच के परिणाम आदि हासिल करने के लिए याचिकाएं दायर करनी पड़ती हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और राज्य के वकील वाई पी यागनिक ने इस अनुरोध का विरोध करते हुए अदालत से कहा कि चौधरी ने जनहित याचिका दायर नहीं की है, इसलिए उनके इस अनुरोध पर आदेश नहीं दिया जा सकता।

हालांकि, पीठ ने कहा कि वह चौधरी के इस अभिवेदन से सहमत है कि कैदियों को संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त जीवन के मौलिक अधिकार के तहत उनके चिकित्सकीय रिकॉर्ड मुहैया कराए जाने चाहिए।

पीठ ने यह भी कहा कि भारद्वाज को जेल परिसर के बाहर किसी अस्पताल ले जाए जाने के बाद अपने परिवार के सदस्य से फोन पर बात करने की अनुमति है और इसके बाद परिवार का सदस्य कैदी की हालत के बारे में वकील को सूचित कर सकता है।

उसने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह सुविधा सभी कैदियों के लिए उपलब्ध रहनी चाहिए।’’

भारद्वाज भायखला महिला जेल में हैं।

भारद्वाज की बेटी ने याचिका में कहा था कि भारद्वाज को पहले से कई बीमारियां हैं और इससे उनके कोरोना वायरस की चपेट में आने का खतरा बढ़ गया है।

चौधरी ने कहा था कि भारद्वाज को गंभीर बीमारियां हैं। उन्होंने कहा था कि उन्हें मधुमेह, हृदय संबंधी रोग हैं और उन्हें पहले तपेदिक भी हो चुका है।

चौधरी ने कहा था कि भारद्वाज को एक ऐसे वार्ड में रखा गया है, जिसमें अन्य 50 महिलााएं बेहद विषम परिस्थितियों में रह रही हैं और वहां उन सभी के लिए केवल तीन शौचालय हैं।

चौधरी ने दावा किया था, ‘‘ वह जिस वार्ड में बंद है, वह वास्तव में एक खतरनाक जगह है।’’

चौधरी ने यह भी कहा था कि उन्होंने और भारद्वाज के परिवार ने कारागार में पिछले कुछ दिनों में कई बार फोन किए लेकिन जेल वार्डन ने फोन पर बात करने से मना कर दिया।

चौधरी ने शुक्रवार को कहा, ‘‘हम अनावश्यक रूप से जमानत का अनुरोध नहीं कर रहे, लेकिन हमें चिकित्सकीय उपचार दीजिए और हमारी चिकित्सकीय रिपोर्ट मुहैया कराइए। हमें अनुच्छेद 21 के तहत इसका अधिकार है।’

अदालत ने चौधरी के अभिवेदन के बाद याचिका का निपटारा कर दिया।

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Web Title: It is the fundamental right of prisoners to obtain their medical records: Bombay High Court

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