दिव्यांगता का दावा करने वाले कर्मचारी को हटाने से पहले सभी विकल्पों पर विचार जरूरी : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: December 18, 2021 00:39 IST2021-12-18T00:39:17+5:302021-12-18T00:39:17+5:30

It is necessary to consider all options before removing an employee claiming disability: Supreme Court | दिव्यांगता का दावा करने वाले कर्मचारी को हटाने से पहले सभी विकल्पों पर विचार जरूरी : उच्चतम न्यायालय

दिव्यांगता का दावा करने वाले कर्मचारी को हटाने से पहले सभी विकल्पों पर विचार जरूरी : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में शुक्रवार को कहा कि अनुशासनात्मक कार्यवाही में दिव्यांगता का दावा करने वाले व्यक्ति को सेवा से बर्खास्त करने से पहले सभी संभावित विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसे कर्मचारियों को उचित समायोजन प्रदान करना बहुत जरूरी है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी मामलों में एक समान दृष्टिकोण का उपयोग कभी भी दिव्यांगता की पहचान के लिए नहीं किया जा सकता है, जो एक ‘‘व्यक्तिवादी अवधारणा’’ है और सार्वभौमिक अवधारणा नहीं है।

गौहाटी उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के 2018 के फैसले को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने दिव्यांगों के अनुकूल महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं।

उच्च न्यायालय ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के सहायक कमांडेंट रवीन्द्र कुमार धारीवाल के खिलाफ जांच की कार्यवाही बहाल कर दी थी, जिन्होंने अनुशासनात्मक कार्यवाही में दस्तावेज जमा करके मानसिक विकार का आधार बनाया था।

पीठ ने कहा, ‘‘पहली जांच से संबंधित अपीलकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही को रद्द किया जाता है। अपीलकर्ता दिव्यांगजन अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) कानून, 2016 के तहत संरक्षण का भी हकदार है, अगर वह अपने वर्तमान नियोजन के लिए अनुपयुक्त पाया जाता है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘दिव्यांग व्यक्तियों को उचित समायोजन प्रदान किया जाना बहुत जरूरी है। सेवा से बर्खास्तगी का आदेश देने से पहले सभी संभावित विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए।’’

नवंबर 2001 में सीआरपीएफ में शामिल हुए धारीवाल के खिलाफ अलवर गेट थाने में एक शिकायत दर्ज कराई गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने कहा था कि उन्हें या तो मारने या मारे जाने का जुनून है और उन्होंने गोली मारने की धमकी दी। इस शिकायत के कारण धारीवाल के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच शुरू की गई।

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