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उचित समय में एमएलसी नामांकनों पर निर्णय लेना राज्यपाल का संवैधानिक कर्तव्य है: अदालत

By भाषा | Updated: August 13, 2021 18:01 IST

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मुंबई, 13 अगस्त बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्यों के रूप में 12 व्यक्तियों को नामित करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को ‘‘उचित समय के भीतर’’ स्वीकार या अस्वीकार करना महाराष्ट्र के राज्यपाल का ‘‘संवैधानिक दायित्व’’ है।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि कैबिनेट द्वारा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सूची भेजे जाने के आठ महीने बीत चुके है और यह ‘‘उचित समय’’ है। उसने कहा कि इस गतिरोध को दूर करना होगा।

अदालत ने कहा कि यह ‘‘बेहद वांछनीय’’ होगा यदि राज्यपाल बिना किसी देरी के अपने दायित्व का निर्वहन करते हैं क्योंकि विधान परिषद में सीटों को अनिश्चितकाल तक खाली नहीं रखा जा सकता है।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘हालांकि एक राज्यपाल अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं है, ‘‘हम अपनी उम्मीद और विश्वास व्यक्त करते हैं कि संवैधानिक दायित्व पूरा हो रहा है और चीजें जल्द से जल्द ठीक हो जाएंगी।’’

पीठ ने कहा, ‘‘अगर कहावत ‘हर चीज होने के पीछे एक कारण होता है’ पर विश्वास किया जाए तो हमें यकीन है कि प्रस्ताव पर अब तक कुछ नहीं कहने का राज्यपाल के पास एक वास्तविक कारण है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, राज्यपाल का यह कर्तव्य है कि वह प्रस्ताव पर उचित समय के भीतर मुख्यमंत्री को अपने विचारों से अवगत कराएं और उन्हें बताएं।’’

पीठ ने नासिक निवासी रतन सोली लूथ द्वारा दाखिल एक याचिका पर अपना आदेश पारित किया। याचिका में राज्यपाल बी एस कोश्यारी को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मंत्रिपरिषद द्वारा नवंबर 2020 में पदों के लिए 12 नामों की सिफारिश करने वाले नामांकनों पर निर्णय लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

राज्य सरकार को उम्मीद थी कि राज्यपाल 15 दिनों के भीतर प्रस्ताव पर फैसला ले लेंगे।

न्यायालय ने कहा, ‘‘मौजूदा मामले में आठ महीने बीत चुके हैं। यह हमारे अनुसार उपयुक्त समय है। यह महत्वपूर्ण है कि वर्तमान मामले में राज्यपाल के दायित्व का बिना किसी देरी के निर्वहन किया जाए।’’ न्यायालय ने कहा, ‘‘हालांकि यह सच है कि राज्यपाल अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं है, हम उम्मीद और विश्वास करते हैं कि संवैधानिक दायित्व को पूरा किया जा रहा है।’’

बारह एमएलसी की नियुक्ति को मंजूरी देने में देरी को लेकर कोश्यारी सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के निशाने पर है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने इस साल की शुरुआत में राज्यपाल के कोटे से विधान परिषद के लिए 12 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा में देरी को लेकर कोश्यारी पर कटाक्ष किया था। उन्होंने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार को इस मामले में अदालत नहीं जाना पड़ेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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