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विश्व भारती के कुलपति से फोन पर बात करना पूरी तरह से असत्य है: अमर्त्य सेन

By भाषा | Updated: January 2, 2021 19:28 IST

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कोलकाता, दो जनवरी नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन के विश्व भारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती को फोन करने और अपना परिचय ‘भारत रत्न’ के रूप में कराने को लेकर हुए विवाद के बीच प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ने हाल के समय में कुलपति के साथ किसी भी तरह की बातचीत होने से इनकार किया है। केंद्रीय विश्वविद्यालय के एक शिक्षक संघ ने यह जानकारी दी।

विश्व भारती संकाय संघ के अध्यक्ष सुदीप्त भट्टाचार्य को भेजे एक मेल में नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्होंने फोन कॉल की थी जो पूरी तरह से असत्य है और उन्होंने कुछ साल पहले चक्रवर्ती से बात की थी, जून 2019 में नहीं, जैसा कि कहा जा रहा है।

विश्वभारती के अधिकारियों ने हाल के एक बयान में दावा किया था कि सेन ने कुलपति को 2019 में दो या 14 जून को भारत में एक नंबर से कॉल की थी और उन्होंने उनके शांति निकेतन निवास के निकट से फेरीवालों को हटाने को लेकर शिकायत की थी।

इसके बाद शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने सेन को एक मेल भेजकर विश्वविद्यालय के बयान के बारे में उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी और उन्हें पिछले साल 29 दिसम्बर को जवाब मिला।

सेन ने भट्टाचार्य को भेजे अपने जवाब में कहा, ‘‘दो जून, 2019 को मैं पेरिस में एक बैठक में भाग लेने के लिए फ्रांस में था। 14 जून, 2019 को, मैं अमेरिका, कैम्ब्रिज मैसाचुसेट्स में अपने घर पर था। उसके बाद मैं इंग्लैंड में था।’’

कुलपति से बात करने के बारे में सेन ने कहा, ‘‘आपके अन्य प्रश्न पर, मैंने विश्व भारती के वर्तमान कुलपति विद्युत चक्रवर्ती से जहां तक मुझे जानकारी है, केवल एक बार बात की है। यह कुछ साल पहले हुई थी जब वह प्रणब वर्धन की पुस्तक के विमोचन के लिए एक कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।’’

सेन ने कहा, ‘‘उनका दावा है कि हमने उनसे फोन पर बात की और मैंने खुद को ‘भारत रत्न’ के रूप में पेश किया, यह पूरी तरह से असत्य है। अन्याय और असत्य को रोकने में आपकी रुचि के लिए धन्यवाद।’’

वर्ष 2019 की गर्मियों में नोबेल पुरस्कार विजेता की भारत यात्रा पर भट्टाचार्य के सवाल का जवाब देते हुए अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘मैं तीन जुलाई को आया था, और सबसे पहले दिल्ली गया, और फिर कलकत्ता और इसके बाद शांति निकेतन। मैं जून 2019 में भारत में बिल्कुल भी नहीं था। मैं भारत में जून में बहुत कम ही आता हूं। मैं मानसून आने के बाद जुलाई में आना पसंद करता हूं, न कि जून में।’’

कुलपति या केन्द्रीय विश्वविद्यालय के किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी से इस संबंध में अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।

भट्टाचार्य ने पिछले साल दिसम्बर में कहा था कि कुलपति ने संकाय के साथ हाल में एक ऑनलाइन बैठक के दौरान दावा किया था कि उन्हें एक व्यक्ति की फोन कॉल मिली थी और उन्होंने खुद को ‘‘भारत रत्न अमर्त्य सेन’’ बताया था और उनसे अनुरोध किया था कि उनके शांति निकेतन आवास के निकट से फेरीवालों को नहीं हटाया जाये क्योंकि उनकी बेटी ‘‘उनसे सब्जियां खरीदती है।’’

संकाय संघ के अध्यक्ष ने सेन को मेल भेजा था और कुलपति के दावे के बारे में उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी।

भट्टाचार्य ने कहा कि सेन पहले भी चक्रवर्ती के इस तरह के दावों से इनकार कर चुके हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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