चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 के बाद अगले मिशन का तैयारी में ISRO, 'एक्पोसैट' से अंतरिक्ष का अध्ययन किया जाएगा

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 2, 2023 17:21 IST2023-09-02T17:19:19+5:302023-09-02T17:21:29+5:30

एक्पोसैट (एक्सर रे पोलारिमीटर सैटेलाइट) भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है जो कठिन परिस्थितियों मे भी चमकीले खगोलीय एक्सरे स्रोतों के विभिन्न आयामों का अध्ययन करेगा।

ISRO preparing for the next mission after Chandrayaan-3 and Aditya L-1 studying space through XPoSat | चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 के बाद अगले मिशन का तैयारी में ISRO, 'एक्पोसैट' से अंतरिक्ष का अध्ययन किया जाएगा

अगले मिशन का तैयारी में ISRO

Highlightsइसरो अब जल्द ही एक्पोसैट लॉन्च करने की तैयारी में जुटाअंतरिक्ष की समझ को और बढ़ाने के लिए होगा कदमएक्पोसैट भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है

नई दिल्ली: चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणि ध्रुव पर सफल लैंडिंग और आदित्य एल 1 की सफल लॉन्चिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब एक नए अभियान की तैयारी में जुट गया है। इसरो अब अंतरिक्ष की समझ को और बढ़ाने के लिए अन्य परियोजना पर काम कर रहा है। इसके लिए एक्पोसैट मिशन अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

एक्पोसैट (एक्सर रे पोलारिमीटर सैटेलाइट) भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है जो कठिन परिस्थितियों मे भी चमकीले खगोलीय एक्सरे स्रोतों के विभिन्न आयामों का अध्ययन करेगा। इसके लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष यान भेजा जाएगा जिसमें दो वैज्ञानिक अध्ययन उपकरण (पेलोड) लगे होंगे। 

इसरो ने बताया कि प्राथमिक उपकरण ‘पोलिक्स’ (एक्सरे में पोलारिमीटर उपकरण) खगोलीय मूल के 8-30 केवी फोटॉन की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज में पोलारिमेट्री मापदंडों (ध्रुवीकरण की डिग्री और कोण) को मापेगा। इसरो के अनुसार, ‘एक्सस्पेक्ट’ (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और टाइमिंग) पेलोड 0.8-15 केवी की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक (भौतिक विज्ञान की एक शाखा जिसमें पदार्थों द्वारा उत्सर्जित या अवशोषित विद्युत चुंबकीय विकिरणों के स्पेक्ट्रमों का अध्ययन किया जाता है और इस अध्ययन से पदार्थों की आंतरिक रचना का ज्ञान प्राप्त किया जाता है) की जानकारी देगा। 

इस बारे में जानकारी देते हुए इसरो के एक अधिकारी ने बेंगलुरु स्थित मुख्यालय में कहा कि एक्सपोसैट प्रक्षेपण के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ब्लैकहोल, न्यूट्रॉन तारे, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, पल्सर पवन निहारिका जैसे विभिन्न खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन तंत्र जटिल भौतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है और इसे समझना चुनौतीपूर्ण है। अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि हालांकि विभिन्न अंतरिक्ष-आधारित वेधशालाओं द्वारा प्रचुर मात्रा में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी प्रदान की जाती है, लेकिन ऐसे स्रोतों से उत्सर्जन की सटीक प्रकृति को समझना अभी भी खगोलविदों के लिए चुनौतीपूर्ण है।

चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतारने के एक पखवाड़े से भी कम समय में सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए ‘आदित्य-एल1’ को रवाना करने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब अंतरिक्ष की समझ को और बढ़ाने के लिए इसरो अब जल्द ही एक्पोसैट (एक्सर रे पोलारिमीटर सैटेलाइट) लॉन्च करने की तैयारियों में जुट गया है।

Web Title: ISRO preparing for the next mission after Chandrayaan-3 and Aditya L-1 studying space through XPoSat

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