इसरो जासूसी मामला: शीर्ष अदालत चार लोगों को मिली अग्रिम जमानत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई को तैयार

By भाषा | Updated: November 22, 2021 19:12 IST2021-11-22T19:12:24+5:302021-11-22T19:12:24+5:30

ISRO espionage case: Apex court ready to hear plea against anticipatory bail to four people | इसरो जासूसी मामला: शीर्ष अदालत चार लोगों को मिली अग्रिम जमानत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई को तैयार

इसरो जासूसी मामला: शीर्ष अदालत चार लोगों को मिली अग्रिम जमानत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई को तैयार

नयी दिल्ली, 22 नवंबर उच्चतम न्यायालय 1994 के कथित इसरो जासूसी मामले में एक पूर्व पुलिस महानिदेशक सहित चार लोगों को अग्रिम जमानत देने के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर सोमवार को सुनवाई के लिए सहमत हो गया। यह मामला वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित तौर पर फंसाने से जुड़ा है।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने इस याचिका पर नोटिस जारी किया और इसे 29 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को मामले में चार आरोपियों- गुजरात के एक पूर्व पुलिस महानिदेशक, केरल के दो पूर्व पुलिस अधिकारियों और एक सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारी को अग्रिम जमानत दे दी थी।

उच्च न्यायालय ने जिन लोगों को अग्रिम जमानत दी थी, उनमें आर बी श्रीकुमार (गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक), विजयन, थम्पी एस दुर्गा दत्त और पी एस जयप्रकाश शामिल हैं।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने शीर्ष अदालत से कहा कि अग्रिम जमानत मिलने से मामले की जांच पटरी से उतर सकती है।

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने अपनी जांच में पाया है कि कुछ वैज्ञानिकों को इस मामले में प्रताड़ित किया गया और फंसाया गया, जिसकी वजह से क्रायोजेनिक इंजन का विकास प्रभावित हुआ तथा भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम लगभग एक या दो दशक पीछे चला गया।

राजू ने पीठ से कहा, "हम (सीबीआई) इस तथ्य पर आगे बढ़ रहे हैं कि इंजन के विकास में शामिल वैज्ञानिकों को गिरफ्तार कर क्रायोजेनिक इंजन संबंधी प्रौद्योगिकी को जानबूझकर रोकने की कोशिश की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम कम से कम एक या दो दशक पीछे चला गया था।”

उन्होंने कहा कि यह ‘‘बहुत गंभीर मामला’’ है और विदेशी भूमिका से जुड़ी कोई बड़ी साजिश हो सकती है जिसकी जांच की जा रही है।

पीठ ने यह कहते हुए मामले को 29 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया कि ‘‘हम नोटिस जारी कर रहे हैं।’’

जांच एजेंसी ने पहले आरोप लगाया था कि इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि आरोपी उस टीम का हिस्सा थे, जिसका मकसद क्रायोजेनिक इंजन के निर्माण के लिए इसरो के प्रयासों को बाधित करना था।

सीबीआई ने जासूसी मामले में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की गिरफ्तारी और हिरासत के संबंध में आपराधिक साजिश सहित विभिन्न कथित अपराधों के लिए 18 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

वर्ष 1994 में सुर्खियों में रहा यह मामला दो वैज्ञानिकों और मालदीव की दो महिलाओं सहित चार अन्य लोगों द्वारा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े कुछ गोपनीय दस्तावेज विदेशों को सौंपने के आरोपों से संबंधित है।

सीबीआई से क्लीन चिट प्राप्त कर चुके नारायणन ने पहले कहा था कि केरल पुलिस ने मामले को "गढ़ा" था और 1994 के मामले में जिस तकनीक को चुराने एवं बेचने का आरोप लगाया गया था, वह उस समय भी मौजूद ही नहीं थी।

सीबीआई ने अपनी जांच में कहा था कि नारायणन की अवैध गिरफ्तारी के लिए केरल के तत्कालीन शीर्ष पुलिस अधिकारी जिम्मेदार थे।

शीर्ष अदालत ने 14 सितंबर, 2018 को तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी और केरल सरकार को निर्देश दिया था कि वह नारायणन के सम्मान को पहुंची क्षति को लेकर उन्हें 50 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे।

उच्चतम न्यायालय ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को "मनोरोग संबंधी उपचार" करार देते हुए सितंबर 2018 में कहा था कि नारायणन के मानवाधिकारों की बुनियाद उनकी "स्वतंत्रता और गरिमा" खतरे में पड़ गई क्योंकि उन्हें हिरासत में ले लिया गया और उनके गौरवशाली अतीत के बावजूद उन्हें "निंदक घृणा" का सामना करने के लिए मजबूर किया गया।

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Web Title: ISRO espionage case: Apex court ready to hear plea against anticipatory bail to four people

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