मेरे खिलाफ गवाहों को प्रभावित करने का कोई आरोप नहीं, पढ़ें पी चिदंबरम की अदालत में दी गई पूरी दलील

By भाषा | Updated: September 24, 2019 06:24 IST2019-09-24T06:24:05+5:302019-09-24T06:24:05+5:30

सीबीआई ने कहा था कि पूर्व वित्तमंत्री द्वारा किये गए अपराध की गंभीरता को देखते हुए वह किसी राहत के हकदार नहीं हैं क्योंकि यह न केवल ‘भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति’ के खिलाफ होगा बल्कि यह भ्रष्टाचार के सभी मामलों में एक गलत नजीर बनेगा।

INX Media case No allegation against me for influencing witnesses Chidambaram tells court | मेरे खिलाफ गवाहों को प्रभावित करने का कोई आरोप नहीं, पढ़ें पी चिदंबरम की अदालत में दी गई पूरी दलील

फाइल फोटो

Highlightsएजेंसी ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी के बावजूद चिदंबरम पूछताछ के दौरान पूछे गए सवालों पर टालमटोल करते रहे।चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त को यहां जोरबाग स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था ।

आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि 2007 से मामले से संबंधित किसी को भी प्रभावित करने के प्रयास का उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है। चिदंबरम ने सीबीआई के इस दावे से भी इनकार किया कि पुलिस हिरासत के दौरान पूछताछ के बाद उन्हें ताजा सबूत के बारे में अच्छी तरह से जानकारी है और इसकी बहुत संभावना है कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं या रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। चिदंबरम ने यह बातें मामले में जमानत के लिए दलील देते हुए कही। 74 वर्षीय चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था और वह न्यायिक हिरासत में हैं। वह जांच एजेंसी के दावों का जवाब दे रहे थे जिसने उनकी जमानत अर्जी का विरोध किया है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा बताया गया कि सामान्य प्रक्रिया के तहत आईएनएक्स मीडिया के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रस्ताव को एफआईपीबी इकाई में कई अधिकारियों द्वारा संसाधित किया गया। उसके बाद इसे एफआईपीबी के समक्ष रखा गया जिसमें छह सचिव शामिल थे जिन्होंने उचित विचार के बाद अपनी सिफारिश वित्त मंत्रालय को की। सिब्बल ने कहा कि फाइल कई स्तर से गुजरने के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम के पास आयी और उन्होंने उसे मंजूरी दी।

उन्होंने कहा कि कथित अपराध 2007-2008 में हुआ और प्राथमिकी मई 2017 में दर्ज हुई, जब इसका कोई आरोप नहीं था कि उन्होंने किसी को प्रभावित करने का प्रयास किया। सिब्बल ने चिदंबरम की ओर से कहा, ‘‘सभी छह सचिव अपने निर्णय में सही थे। इसका कोई आरोप नहीं था कि मैंने उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया। मेरा उनके साथ आमना सामना कराया गया है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने जो किया वह सही था। मुझे ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है। मैंने केवल सिफारिशें स्वीकार की और मैं जेल में हूं। जिन्होंने सिफारिशें की वे बाहर हैं।’’

चिदंबरम ने अपनी जमानत याचिका पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के जवाब का प्रत्युत्तर देते हुए कहा, ‘‘चिदंबरम का वित्त मंत्रालय के पांच अधिकारियों के साथ पहले ही आमना सामना कराया जा चुका है जो आईएनएक्स मीडिया से जुड़े एफआईपीबी प्रस्ताव संसाधित करने से जुड़े थे और सीबीआई ने प्रत्येक के बयान पहले ही दर्ज कर लिये हैं। ऐसे में किसी भी गवाह को प्रभावित करने का कोई सवाल नहीं उठता।’’ उन्होंने इससे भी इनकार किया कि देश के बहुत ही उच्च एवं प्रभावशाली पद, वित्त मंत्री के पद पर रहे चिदंबरम ने उस पद का इस्तेमाल अपने सह षड्यंत्रकारियों के साथ मिलकर निजी लाभ के लिए किया।

प्रत्युत्तर में कहा गया है कि इससे भी इनकार किया जाता है कि यह जनता के भरोसे को स्पष्ट रूप से तोड़ने का मामला है या अपराध में उन पर अभियोग लगाने के लिए ठोस सबूत रिकार्ड में है और उनके खिलाफ एक मजबूत मामला बनता है। इसमें यह भी कहा गया कि इस मामले में सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ। चिदंबरम ने अपनी जमानत याचिका पर सीबीआई के जवाब का प्रत्युत्तर देते हुए यह भी कहा कि उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस पहले से ही जारी है और यह आरोप लगाना ठीक नहीं है कि उनके भागने की आशंका है और वह कानून की प्रक्रिया से बचने की कोशिश कर सकते हैं।

पूर्व वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि आईएनएक्स मीडिया में जो 305 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तौर पर आये वह मंजूर 46.216 प्रतिशत की सीमा में ही था। सिब्बल ने दलील दी कि एफआईपीबी मंजूरी किसी विशेष राशि के लिए नहीं बल्कि यह प्रतिशत पर है। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में कोई सार्वजनिक राशि शामिल नहीं थी और यह कोई बैंक धोखाधड़ी या धनराशि देश के बाहर ले जाने या राशि चुराकर निवेशकों से धोखाधड़ी करने का मामला नहीं है।’’

चिदंबरम ने कहा कि इंद्राणी मुखर्जी की कोई विश्वसनीयता नहीं है जो कि भ्रष्टाचार मामले में सरकारी गवाह बन गई है क्योंकि सीबीआई उसके और उसके पति के खिलाफ हत्या के मामले में जांच कर रही है। सिब्बल की दलील अधूरी रही और यह मंगलवार को भी जारी रहेगी। चिदंबरम ने दोहराया कि न ही सीबीआई और न ही प्रवर्तन निदेशालय को आईएनएक्स मीडिया या आईएनएक्स न्यूज द्वारा उन्हें किसी भुगतान का कोई सबूत मिला है।

प्रत्युत्तर में कहा गया, ‘‘साथ ही सीबीआई या ईडी को किसी अघोषित बैंक खाते या अघोषित संपत्ति या अज्ञात फर्जी कंपनी के साक्ष्य का भी कोई सबूत नहीं मिला है जो चिदंबरम के स्वामित्व में हो।’’ सीबीआई ने भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम की जमानत याचिका पर 20 सितम्बर को दायर अपने जवाब में कहा था कि यह ‘‘आर्थिक अपराधों का सबसे बड़ा मामला’’ है और वित्तीय गबन और उच्च सार्वजनिक पद के दुरुपयोग के कारण उन्हें कोई राहत नहीं मिलनी चाहिए।

सीबीआई ने कहा था कि पूर्व वित्तमंत्री द्वारा किये गए अपराध की गंभीरता को देखते हुए वह किसी राहत के हकदार नहीं हैं क्योंकि यह न केवल ‘भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति’ के खिलाफ होगा बल्कि यह भ्रष्टाचार के सभी मामलों में एक गलत नजीर बनेगा। सीबीआई ने कहा कि जांच से खुलासा हुआ कि चिदंबरम ने वित्तमंत्री रहते रिश्वत की मांग की थी और भुगतान भारत और विदेश में उन्हें और उनके आरोपी पुत्र कार्ति को किया गया था।

एजेंसी ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी के बावजूद चिदंबरम पूछताछ के दौरान पूछे गए सवालों पर टालमटोल करते रहे। चिदंबरम को सीबीआई ने 21 अगस्त को यहां जोरबाग स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था और वह तीन अक्टूबर तक तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।

आईएनएक्स मीडिया समूह को 2007 में 305 करोड़ रुपये की विदेशी निधि की प्राप्ति के लिए एफआईपीबी (विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड) की मंजूरी में कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी। 2007 में उस वक्त चिदंबरम वित्तमंत्री थे। बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2017 में इस संबंध में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।

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