Interview: इकोलॉजी के साथ इकोनाॅमी जरूरी, उत्तराखंड के सीएम धामी बोले-दुनिया का सबसे बड़ा नेतृत्व हमारे पास...
By शरद गुप्ता | Published: June 1, 2022 09:40 PM2022-06-01T21:40:18+5:302022-06-01T21:42:00+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में देश का ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा नेतृत्व हमारे पास है. उनकी प्रेरणा से और निर्देशन में यहां बहुत से काम हुए हैं जिन्हें हम जनता के बीच ले गए और हमें बहुमत मिला.
पैंतालीस वर्ष की उम्र में उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव से मात्र छह महीने पहले पांच साल में भाजपा के तीसरे मुख्यमंत्री बनने वाले पुष्कर सिंह धामी मार्च में दोबारा भाजपा की सरकार बनवाने में कामयाब रहे.
भले ही वह खटीमा से अपना चुनाव हार गए हों लेकिन पार्टी ने उन पर फिर विश्वास जताया है. अपना पद बचाने के लिए 31 मई को हुए उपचुनाव में उतरे पुष्कर सिंह धामी ने लोकमत मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर (बिजनेस एवं पॉलिटिक्स) शरद गुप्ता से लंबी बातचीत की. प्रस्तुत हैं मुख्य अंश...
चुनाव से पहले साढ़े चार वर्षों तक उत्तराखंड में भाजपा ढलान पर थी. आपने ऐसी कौन सी जादू की छड़ी घुमाई जो पार्टी दोबारा सत्ता में आ गई?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में देश का ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा नेतृत्व हमारे पास है. उनकी प्रेरणा से और निर्देशन में यहां बहुत से काम हुए हैं जिन्हें हम जनता के बीच ले गए और हमें बहुमत मिला. उन्होंने रोड कनेक्टिविटी से लेकर रेल और एयर कनेक्टिविटी तक उत्तराखंड के कोने-कोने को दी है. कोरोना काल में भी मुफ्त राशन देने से लेकर बहुत काम किया गया...
लेकिन यह सब काम तो आप के मुख्यमंत्री बनने से पहले भी चल रहे थे. आपने अलग क्या किया?
मैं भाजपा का सामान्य कार्यकर्ता हूं. मुझे जो जिम्मेदारी दी गई मैंने उसे पूरे दमखम से निभाने का प्रयास किया. सभी को साथ लेकर चलने का प्रयास किया.
आपके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों के कुछ फैसले आपने वापस ले लिए. क्या यह वजह बनी जीत की?
कुछ कर्मचारी संगठन नाराज थे उनसे बातचीत कर बीच का रास्ता निकाला गया. देवस्थानम बोर्ड के बारे में कमेटी गठित की गई थी जिसने श्रद्धालुओं, पंडा समाज, रावल आदि से राय लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी. उस रिपोर्ट के आधार पर इस बोर्ड को भंग कर दिया गया. जन भावनाओं के अनुरूप जो भी निर्णय जरूरी थे, लिए गए.
पार्टी को इतनी अच्छी जीत दिलाने के बावजूद आप अपनी सीट कैसे हार गए?
मैं पूरे प्रदेश में प्रचार कर रहा था, संभवत: इस वजह से अपने क्षेत्र में कम जा पाया. जनता का आदेश सिर आंखों पर है.
क्या पार्टी के कुछ लोगों ने ही भितरघात किया?
नहीं, नहीं. सबका बहुत सहयोग मिला. अब कहीं कुछ कमी तो रह गई थी. अब उसे दूर करेंगे.
आपके लिए दो कांग्रेस विधायकों ने अपनी सीट खाली कर दी. यह कैसे मैनेज किया?
हमारी अपनी पार्टी के लोगों ने, सहयोगी दलों के और कई निर्दलीय विधायकों ने भी सीट छोड़ने की पेशकश की थी. सभी की भावनाएं थीं. मैं सभी का आभारी हूं. लड़ा तो सिर्फ एक ही सीट से जा सकता है.
आप उपचुनाव लड़ने जा रहे हैं. उसमें जीत के प्रति कितने आश्वस्त हैं?
संगठन, सहयोगी और वैचारिक संगठनों के लोगों के साथ स्थानीय लोग अभी से ही प्रचार में जुट गए हैं. जिस सीट चंपावत से मैं लड़ने जा रहा हूं वह देवभूमि है. यहां मां पूर्णागिरि का धाम है, शारदा मैया का तट है, बाबा गोरखनाथ का स्थान है, मां वाराही का स्थान है, रणकूची मैया का स्थान है, मां हिंगलाज देवी का स्थान है. घटोत्कच का स्थान है. आशा करता हूं कि इन सभी के आशीर्वाद के साथ इस बार वहां की जनता का भी आशीर्वाद मिलेगा.
इस कार्यकाल में आप पहले कार्यकाल से क्या अलग करने वाले हैं?
पहले कार्यकाल में मुझे बहुत कम समय मिल पाया था. काम बहुत थे. चुनाव सिर पर था. सभी के सहयोग से हमने दो तिहाई बहुमत पाया. इस बार हम समान नागरिक संहिता पर कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहे हैं. चुनाव के दौरान हमने यह घोषणा की थी जिसे अब पूरा करने जा रहे हैं. बिल ड्राफ्टिंग समिति गठित कर दी गई है. जल्दी ही इसे विधानसभा से भी पारित करा लिया जाएगा.
केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की चारधाम यात्रा के लिए इस बार कैसे प्रबंध कर रहे हैं?
कोरोना की वजह से यात्रा दो वर्ष बाद शुरू होने की वजह से श्रद्धालु बहुत अधिक संख्या में आ रहे हैं. पहले वर्षाें के मुकाबले कई गुना अधिक. यात्रा का सुचारु प्रबंधन हमारे लिए चुनौती है. इसे हम भली-भांति निभाने की कोशिश कर रहे हैं.
लेकिन यात्रा के दौरान कई श्रद्धालुओं की मृत्यु के समाचार भी आ रहे हैं.
हर साल प्राकृतिक कारणों से कई श्रद्धालुओं की मृत्यु हो जाती है. इस साल दर्शनार्थियों की संख्या ज्यादा है तो मृत्यु की दर भी अधिक लग रही है. लेकिन ऐसा है नहीं.
पर्यटकों की अधिक संख्या की वजह से पर्यावरण की रक्षा कैसे कर रहे हैं?
उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर्यटकों पर निर्भर है. लेकिन हमारे लिए इकोलॉजी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी इकोनॉमी. हम दोनों में संतुलन बना रहे हैं.
बद्री और केदार धामों के लिए बेहतर सड़कें और रेल सेवा का निर्माण कब तक हो जाएगा?
कुछ कोर्ट केस की वजह से सड़क निर्माण कुछ समय के लिए रुक गया था. ऑल वेदर रोड जल्दी ही बन जाएगी. केदारनाथ के लिए रेल सेवा 2030 के अंत या 2024 से शुरू हो जाएगी. लगभग उसी समय केदारनाथ के लिए रोपवे भी चालू हो जाएगा.